सपने वो नहीं होते जिन्हें हम सोते हुए देखते हैं, सपने तो वो होते हैं जो हमें सोने नहीं देते।
ये शब्द हैं देश के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके डॉ अब्दुल कलाम के। यूँ तो भारत में अनेक महापुरुष हुए हैं परंतु देश के लोगों के दिलों में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है राष्ट्रपति कलाम ने। कलाम भारतवासियों के लिए सिर्फ एक नाम नहीं है वे गौरव हैं भारतीयों का। उन्होंने अपने कार्यों अपने विचारों से सभी को अत्यधिक प्रभावित किया था इसलिए लोग आज भी उन्हें आदर्श के रूप में पूजते हैं।
कहा जाता है कि अनेक धर्म होने के बावजूद किसी भी धर्म से उनका कोई विरोधी नहीं था। उन्हें बच्चे बहुत प्रिय थे राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम लोगों के लिए भी खोल दिये और बच्चों के लिए तो हमेशा तैयार रहते थे।
अपने जज्बे और कार्य से इन्होंने देश के लिए एक मिसाल कायम की। ये राष्ट्रपति ही नहीं बल्कि मिसाइल प्रोग्राम के जनक और इंजीनियर भी रहे थे, इन्हें लोग मिसाइल मैन के नाम से अधिक जानते हैं।
इनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ था। आइए इनके जीवन के महत्वपूर्ण बिंदुओं के साथ आखरी वक्त में बोले गए इनके शब्दों को जानते हैं....
संछिप्त जीवन परिचय
15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण परिवार में इनका जन्म हुआ था।पूरा नाम था अबुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम। वे बचपन में अखबार बेचा करते थे।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान और कलाम
उन्होंने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से पूरी की।
इसके बाद वे भारत को नई ऊंचाइयों तक ले गए। उन्होंने पहला प्रक्षेपण यान बनाया था जो कि स्वदेशी था उसका नाम PSLV- 3 था।इसके पश्चात रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया, अग्नि और पृथ्वी जैसी भारतीय मिसाइलें बनाई। 1997 भारत रत्न पाकर ये देश के तीसरे ऐसे राष्ट्रपति हुए जिन्हें सर्वोच्च पद पर पहुंचने से पहले ही सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया।
आखरी समय में कलाम
आप सभी इस बात से वाकिफ होंगे कि कलाम मेघालय के शिलांग के आईआईएम में भाषण दे रहे थे जब 27 जुलाई 2015 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे दुनिया को छोड़कर चले गए।
कलाम के आखरी समय में उनके साथ रहने और उन्हें सम्भालने वाले सृजन पाल सिंह बताते हैं कि 27 जुलाई को वे दिल्ली से गुवहाटी पहुंचे और वहाँ से कार में शिलांग के लिए निकले। इस सफर में करीब ढाई घण्टे उन्हें लगे। साधारणतः कलाम साहब कार में सो जाया करते थे परंतु उस दिन वे नहीं सोये और बातें कर रहे थे।वे कहते हैं कि कलाम साहब ने संसद नहीं जाने को लेकर कहा, डेड लॉक को कैसे खत्म किया जाए फिर बोले आईआईएम में छात्रों से सवाल पूछूँगा।
सृजन पाल सिंह कहते हैं शिलांग में वे लेक्चर देने स्टेज पर गए तब मैं उनके पीछे ही खड़ा था उन्होंने मुझसे पूछा- ऑल फिट?" मैंने कहा -"जी साहब", दो शब्द ही बोले होंगे कि वे जमीन पर गिर पड़े मैंने उन्हें उठाया और हॉस्पिटल ले गए लेकिन उन्हें बचा नहीं सके।
उन्होंने आखरी लाइन बस यही कही थी कि धरती को जीने लायक कैसे बनाया जाए??
कलाम भारत के लिए एक टीचर एक वैज्ञानिक एक महापुरुष सब रहे हैं। वे चाहते थे कि उन्हें एक शिक्षक के रूप में याद किया जाए। और एक शिक्षक के रूप में ही पढ़ाते पढ़ाते उन्होंने दुनिया से विदा ले ली। परंतु आईआईएम के स्टूडेंट्स को सरप्राइज़ असाइनमेंट नहीं दे पाए।
वे ग्रामीण भारत को विकसित और युवाओं को सशक्त बनाना चाहते थे। उन्हें एक ही अफसोस रहा कि अपने माता पिता के जीवन मे वे कभी उन्हें 24 घण्टे की बिजली जैसी सुविधाएं नहीं दे सके।
कलाम के रूप में भारत ने एक चमकते सितारे एक हीरे को खोया है जिसकी कमी पूरी करना नामुमकिन है।