21 जून का दिन योग और अध्यात्म के लिए बेहद खास माना जाता है योग शरीर में सृजनशीलता के साथ अध्यात्म के प्रति रुझान उत्पन्न करता है। भारतीय सनातनी परंपरा के अनुसार एक साल में उत्तरायण तथा दक्षिणायन दो आयन होते हैं 21 जून से सूर्य दक्षिणायन में प्रवेश करता है जिसके फलस्वरूप दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन दिनों में विलासिता शीघ्र पूरी हो जाती है जिससे मनुष्य को दीर्घायु की प्राप्ति होती है। 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है अर्थात सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय सबसे अधिक होता है सूर्य दक्षिणायन में प्रवेश करता है इसी से लंबे स्वास्थ्य को प्रतिबिंबित करते हुए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मानव सभ्यता के उद्भव से ही योग का प्रारंभ
विज्ञान की उत्पत्ति से भी हजारों साल पहले धर्म और आस्था के जन्म लेने से पूर्व अर्थात मानव सभ्यता के शुरुआत से ही योग किया जाता है योग विद्या के अनुसार शिव को सर्वप्रथम योगी की संज्ञा दी गई है ऋग्वेद में कहा गया है कि योग मन, मस्तिष्क और शरीर को एक सूत्र में पिरोने की अद्वितीय ऊर्जा है।
योग शब्द की उत्पत्ति
योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के धातु "युज" से हुई है जिसका अर्थ है "व्यक्तिगत चेतना"। योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो ध्यान प्रक्रिया से संबंध रखती हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम किया जाता है।
गीता में लिखा गया है कि "योगाः कर्मसु कोशलं" अर्थात कर्मों की कुशलता ही योग है।
योग सूत्र के अनुसार- "चितवृतियों के निरोध की अवस्था" का नाम ही योग है इस अवस्था को लाने का उपयोग योग कहलाता है।
योग के प्रकार
योग ग्रंथों के अनुसार योग की उच्चावस्था, समाधि, मोक्ष, कैवल्या आदि तक पहुंचने के लिए साधकों ने योग के प्रकार बताएं हैं। शिव संहिता तथा गौरक्षक शतक में योग के चार प्रकार बताए गए हैं मंत्र योग, हठयोग, लययोग और राजयोग।
मंत्र योग
मंत्र योग का संबंध मन से माना जाता है मन की चंचलता का विरोध करने के लिए मंत्र योग किया जाता है। मंत्र योग मन को मनन, चिंतन और कार्य करने योग्य बनाता।
हठयोग
हठपूर्वक किसी भी कार्य को करने के लिए हठयोग किया जाता है हठयोग वह क्रिया है जिसमें इड़ा नाड़ी और पिंगला नाड़ी के सहारे प्राणों को सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश करवाया जाता है हठ प्रदीपिका के अनुसार हठयोग के चार अंग हैं -
- आसन
- प्राणायाम
- मुद्रा और बंधन
- नादानुसधान
लययोग
खाते -सोते, उठते- बैठते, चलते- फिरते हर समय ब्रह्मा का ध्यान करना लययोग कहलाता है यह चित की निरुद्ध अवस्था मानी जाती है।
राजयोग
योगों का राजा कहलाने वाला राजयोग चित्तवृत्ति का विरोध करता है इस साधना के उपयोग से क्लेश का नाश होता है, प्रसंता तथा ज्ञान का प्रकाश फैलता है और विवेक तथा ख्याति की प्राप्ति होती है। इस योग का वर्णन महर्षि पतंजलि के अष्टांग सिद्धांत के अंतर्गत आता है।
भगवत गीता के अनुसार योग के तीन प्रकार बताए गए हैं-
- ज्ञान योग- ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाने वाला योग ज्ञान योग कहलाता है ।
- कर्म योग- अपने कर्तव्यों के अनुसार अपने कर्मों का श्रद्धा पूर्वक निर्वाह करना कर्म योग कहलाता है।
- भक्ति योग- भावनात्मक आचरण के द्वारा भजन /कीर्तन से भक्ति योग किया जाता है
योग दिवस का इतिहास
हालांकि योग का इतिहास 26,000 साल पुराना माना जाता है लेकिन आधिकारिक रूप से सर्वप्रथम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ में योग दिवस मनाने की अपील की थी मात्र 10 दिनों के अंदर 193 देशों में से 177 देशों में 11 दिसंबर 2014 तक पूर्ण बहुमत के साथ इसका समर्थन किया इस प्रकार 21 जून 2015 को यह पूरे विश्व में पहली बार मनाया गया। इस दिन पूरे विश्व के करीब 36,000 लोग अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए शामिल हुए थे जिसमें लगभग 84 देशों के 21 प्रतिनिधियों ने भी योग के आसन लगाए थे।
क्यों मनाया जाता है योग दिवस?
योग करने का पहला और सर्वश्रेष्ठ उद्देश्य स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना कर शारीरिक और मानसिक प्रक्रिया के बीच सामंजस्य स्थापित करना है वर्तमान समय में मनुष्य अपने निजी काम में इतना बिजी हो गया है कि वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाता है यदि आप रोजाना आधा घंटे का समय भी योग के लिए निकालते हैं तो यह आपको बेहतर स्वास्थ्य लाभ और समृद्ध जीवन शैली प्रदान करता है।
बेहतर स्वास्थ्य का निर्माण करना शारीरिक और मानसिक बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करने, स्वास्थ्य के उच्च स्तर का आनंद लेने ,विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने के उद्देश्य से योग दिवस मनाया जाता है।
योग को आध्यात्मिकता का पर्याय माना जाता है योगासन के जरिए तनाव दूर होता है, मन शांत रहता है, शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का विचरण होता है, और मानव संतोष की प्राप्ति करता है। वैश्विक समन्वय को मजबूत करना योग के प्राकृतिक और अद्भुत फायदे से लोगों को अवगत कराने के उद्देश्य से योग दिवस मनाया जाता है
योग शरीर को शुद्ध करने के साथ-साथ हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है मस्तिष्क पर नियंत्रण स्थापित कर योग मनुष्य को तनावमुक्त रखता है और शांति प्रदान करता है विभिन्न प्रकार की समस्याओं से निजात दिलाने में योग का विशेष स्थान है।
योग दिवस 2021 की थीम
योग दिवस का आधिकारिक नाम "अन्तररो योग दिवस" है इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम "स्वास्थ्य के लिए योगा"(Yoga for well being ) रखी गई है।
हर साल की भांति इस वर्ष भी घर पर रहकर योगा के अभ्यास से स्वास्थ्य को मजबूत बनाकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही हैं शरीर की क्रियाशीलता को बढ़ाने के लिए योग करना बेहद आवश्यक है अंधविश्वास, आस्था, धर्म से अलग हटाकर महर्षि पतंजलि में सर्वप्रथम योग की व्याख्या की थी।
योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम
योग दिवस पर हर साल बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है लेकिन 2020-21 वैश्विक महामारी के चलते यह कार्यक्रम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किए जा रहे हैं इस बार भी गत वर्षो की भांति भारत सरकार आयुष मंत्रालय द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें जिंगल प्रतियोगिता करवाई जा रही हैं इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले व्यक्ति को संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित किसी भी भाषा में योग का प्रचार प्रसार करना है 25 से 30 सेकंड का गाना कंपोज कर उसे साउंडक्लाउड, गूगल ड्राइव और यूट्यूब पर अपलोड करने के साथ-साथ MyGov पोर्टल पर भी अपलोड करना है जिस की इनामी राशि 25000 रखी गई है।