Complete ban on firecrackers in Delhi-NCR
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पटाखों पर संपूर्ण प्रतिबंध | Complete Ban on Firecrackers in Delhi-NCR

राजधानी को लो विजिबिलिटी और स्मोग की चादर से बचाने के लिए राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (NGT)  ने ‌दिल्ली-एनसीआर में 9 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखे जलाने पर संपूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं अन्य राज्यों के लिए एनजीटी ने कहा कि जहां पर वायु गुणवत्ता अच्छी होगी, वहां पर दिवाली के दिन ग्रीन पटाखे चलाए जा सकते हैं। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार अवैध रूप से पटाखा बिक्री में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।  Complete Ban on Firecrackers in Delhi-NCR


आज पूरा विश्व आर्थिक मोर्चों के साथ-साथ कई प्रकार की अन्य लड़ाईयों से लड़ रहा है, इनमें से एक लड़ाई पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ जारी है। आज ग्लोबल वार्मिंग से पूरा विश्व त्रस्त है और क्लाइमेट चेंज एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। बढ़ती जनसंख्या और बढ़ता औद्योगीकरण से हवा की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है। बड़े शहर तो धुंध की चपेट में पूरी तरीके से आ चुके है, हवा में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार कम होती जा रही है जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत व अन्य कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही है। 

वायु गुणवत्ता को मेंटेन करने व शहर को धुंध की चपेट में आने से बचाने के लिए राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (NGT) ने एक बड़ा आदेश जारी कर दिया है। एनजीटी ने दिल्ली एनसीआर में 9 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखे जलाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही अन्य राज्यों के लिए जारी आदेश में कहा गया कि जिस स्थान पर वायु गुणवत्ता अच्छी होगी, वहां ग्रीन पटाखों पर कोई बैन नहीं है; वहां ग्रीन पटाखे जलाए जा सकते हैं। राजधानी को प्रदूषण से बचाने के लिए व दीपावली को देखते हुए एनजीटी ने यह कड़ा कदम उठाया है। ‌ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों को निर्देश दिए गए हैं कि अवैध रूप से पटाखे बिक्री में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। 

इस आदेश के बाद जहां पर्यावरणविदो ने राहत की सांस ली तो वहीं पटाखे व्यापार से जुड़े लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। अदालत द्वारा राजधानी के साथ-साथ अन्य राज्यों पर पटाखों की बिक्री और उनके जलाने पर प्रतिबंध के साथ कई करोड़ों का नुकसान होने की संभावना है। तमिलनाडु के शिवाकाशी में इसको लेकर गंभीर चिंता है क्योंकि देश में बिकने वाले 80 फ़ीसदी पटाखे शिवाकाशी में ही बनते हैं। ज्ञात हो कि पटाखा कारोबार से करीब 5 लाख लोगों को रोजगार मिलता है।  


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देश में कितना है पटाखों का कारोबार ? 


ऑल इंडिया फायरवर्क्स एसोसिएशन के मुताबिक शिवाकाशी में 1070 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। अकेले शिवाकाशी में ही गत वर्ष में 6000 करोड़ का कारोबार हुआ था। जबकि संपूर्ण देश की बात करें तो गत वर्ष में लगभग 9000 करोड़ का कारोबार हुआ था।  शिवाकाशी में पटाखा कारोबार से प्रत्यक्ष रूप से 3 लाख लोग जुड़े हैं जबकि कुल 5 लाख लोगों को इससे रोजगार मिलता है।  Complete Ban on Firecrackers in Delhi-NCR


कितना होता है पटाखों का आयात ?


पैट्रोलियम एंड एक्सप्लो‌सिव्स सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन ने एक्सप्लोसिव्स ‌रूल्स 2008 के तहत फायरवर्क्स के लिए कोई भी लाइसेंस नहीं दिया गया है, लेकिन देश में गैरकानूनी तरीके से करीब 30 फ़ीसदी पटाखा चाइना से आता है। भारतीय पटाखों की तुलना में चीनी पटाखों को ज्यादा पसंद किया जाता है, इसका कारण यह है कि भारतीय पटाखे की तुलना में चीनी पटाखे 30 से 40 फ़ीसदी सस्ते होते हैं और साथ ही आसानी से फटते हैं। 


इस साल कितने महंगे होंगे पटाखे ?


चाइना प्रोडक्ट्स के बहिष्कार से चीन से आने वाले पटाखों पर देश में कड़ी पाबंदी है। साथ ही पारंपरिक पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखों पर जोर दिया जा रहा है क्योंकि इनके जलने से 40 से 50 फ़ीसदी तक कम प्रदूषण होता है, जिसकी वजह से कीमत में 10 से 15 फ़ीसदी वृद्धि की जा सकती है। ग्रीन पटाखों की लागत अधिक होती है।  Complete Ban on Firecrackers in Delhi-NCR


डिस्क्लेमर: यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार इन्वेस्टमेंट करने से पहले आप अपने एडवाइजर से अवश्य परामर्श लें या उस से सम्बंधित दश्तावेज़ों का अध्यन अवश्य करें। हम आपके किसी भी फायदा या नुक्सान के लिए जिम्मेदार नहीं माने जायेंगे।

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