कोरोना संक्रमण के समय प्रकृति स्वयं को हील कर रही थी, मानों खुद को स्वस्थ कर रही हो, जिसमें प्रदूषण ना के बराबर था। पहले की बात करें तो भारत की राजधानी दिल्ली में रह रहे लोगों का सांस लेना भी मुश्किल था जिसकी सबसे बड़ी वजह थी 'वायु प्रदूषण'। पहले कुछ हद तक वायु प्रदूषण कम हो गया था क्योंकि कोरोना काल के चलते लॉकडाउन लगा हुआ था और सभी लोग घरों में बैठने को मजबूर थे। परंतु लॉकडाउन के खुलने के बाद से ही पर्यावरण प्रदूषण की यह समस्या फिर से उभर कर सामने आई है और एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा के प्रदूषण का खतरा बढ़ने से समस्या पैदा होने लगी है। वैसे तो दिल्ली में हर बार अक्टूबर और नवंबर महीने में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब रहती है लेकिन इस बार इस प्रदूषण ने अपने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं इस बार प्रदूषण नापने का पैमाना भी लग रहा है मानो छोटा हो गया हो।
इस बढ़ते प्रदूषण के कारण दिल्ली सरकार ने 15 अक्टूबर से ही जी आर ए पी (ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू करने का निर्णय लिया तथा पॉल्युशन कंट्रोल करने वाली कमेटी ने डीजल और पेट्रोल तथा केरोसिन से चलने वाले जनरेटर सेट पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
सूत्रों की मानें तो दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इतना भयावह हो गया है कि लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है दिल्ली में प्रदूषण मापने के स्केल को ही प्रदूषण पार कर चुका है। एयर क्वालिटी इंडेक्स में 900 से ऊपर आंकड़ा पहुँच चुका है। इस तरह से दिल्ली-एनसीआर के इलाके में ऐसी खतरनाक स्थिति को देखते हुए दिल्ली तथा नोएडा के स्कूलों ने 5 नवंबर तक की छुट्टी का निर्णय लिया है।
आइये सबसे पहले यह जानते हैं कि Air Quality Index होता क्या है?
Air Quality Index
यह एक प्रकार का मानक है जो यह जानकारी देता है कि वायु में किन-किन गैसों की और कितनी मात्रा घुली हुई है। यह हवा की गुणवत्ता बताता है कि हवा कितनी अच्छी है और कितनी खराब।
दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक मानक तैयार किया गया है जिसमें हवा में उपस्थित गैसों की मात्रा निर्धारित की गई है। इसी तरह एयर क़्वालिटी इंडेक्स से हवा में उपस्थित गैसों जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा ज्ञात की जाती है और यह देखा जाता है कि इनकी मात्रा तय किए गए विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंड से अधिक है या नहीं। इस आधार पर यह बताया जाता है कि हवा कितनी शुद्ध है और कितनी नहीं। यदि इन गैसों की मात्रा तय किए गए मापदंड से अधिक पाई जाती है तो उसका मतलब होता है कि हवा में प्रदूषण अधिक है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा छह मुख्य कैटेगरी बनाई गई हैं-:
- अच्छी (0-50)
- संतोषजनक (51-100)
- थोड़ा प्रदूषित (101-200)
- खराब (201-300)
- बहुत खराब (301-400)
- गंभीर (401-500)
जैसे-जैसे हवा की क्वालिटी खराब होती जाती है वैसे-वैसे इसकी रैंकिंग भी अच्छे से संतोषजनक, खराब तथा गंभीर होती जाती है। गंभीर वाली स्थिति में पहुंचने को आपातकाल कहा जाता है क्योंकि इसमें स्वस्थ मनुष्य को भी प्रदूषण के कारण गंभीर समस्याएं होने लगती हैं।
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इस एयर क़्वालिटी इंडेक्स में 8 प्रदूषकों की मात्रा को देखा जाता है
- नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड
- सल्फर डाई ऑक्साइड
- कार्बन मोनोऑक्साइड
- अमोनिया
- लेड
- ओज़ोन
- PM 2.5
- PM10
इनमें से ऊपर के 6 प्रदूषकों से तो ज्यादातर लोग वाकिफ होते हैं परंतु बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जो PM2.5 तथा PM10 के विषय में जानकारी रखते हैं।
आइये जानते हैं क्या है PM 2.5 तथा PM 10
विज्ञान की भाषा में PM का पूरा नाम particulate matter होता है इसको हम partical pollution ( कण प्रदूषण) भी कह सकते हैं। यह पर्यावरण में पहले से ही उपस्थित ठोस कणों तथा तरल बूंदों के मिलने से बनता है जो कि हवा में उपस्थित रहता है। परन्तु ये कण बहुत ही सूक्ष्म होते हैं जिन्हें हम खुली या नंगी आखों से नहीं देखा जा सकता। इनको देखने के लिए इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप की आवश्यकता पड़ती है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रदूषण को बढ़ाने में सबसे ज्यादा PM2.5 तथा PM 10 को ही जिम्मेदार माना जाता है क्योंकि इन कणों के बढ़ने से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं जिनमें आंखों में जलन सांस लेने में परेशानी आदि। दिल्ली की हवा में इन कणों के मौजूद रहने का अर्थ यहनिकाला जा रहा है कि दिल्ली में रहने वाले लोग लगभग हर दिन 21 सिगरेट के बराबर का धुंआ ले रहे हैं।
क्या आप भी चैक कर सकते हैं एयर क्वालिटी
आजकल हर किसी के पास स्मार्टफोन उपलब्ध हैं जिससे हर व्यक्ति अपने आस पास की हवा की क्वालिटी चैक कर सकता है। इसके लिए एक एप्लीकेशन को इंस्टॉल करने की जरूरत है। गूगल प्ले स्टोर में जाकर IQ Air-Air visual ऐप डाउनलोड कर लें इसकी रेटिंग गूगल प्ले स्टोर पर 4.8 है।इसका प्रयोग काफी सरलता से किया जा सकता है। यह ऐप ऑटोमेटिकली ही आपकी लोकेशन के हिसाब से आपके आस पास के प्रदूषण का स्तर तथा हवा की गति और तापमान को भी बताता है।
दिल्ली में प्रदूषण के प्रमुख कारण
दिल्ली में प्रदूषण के कई कारण बताए जाते हैं जिनमें से प्रमुख हैं -: दीवाली के अवसर पर पटाखे ज्यादा फोड़ना, हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलाना, वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी, पेड़ों का अत्यधिक कटाव, ग्लोबल वार्मिंग बढ़ना तथा हवा के बहाव में कमी आना आदि।
वायु प्रदूषण रोकने के उपाय
दिल्ली सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई तरह के नियम लागू कर रही है। जिसमें ऑटो ईंधन की नीति के अनुसार सीएनजी वाले परिवहन को बढ़ावा दिया जा रहा है, ऑड-इवन फार्मूला लागू किया जा रहा है, वृक्षों पर पानी छिड़का जा रहा है तथा निर्माण गतिविधियों पर भी रोक लगाई गई है। सड़कों से धूल हटाना और कोयले से चलने वाली परियोजनाओं को संचालित करने से रोकना आदि कदम सरकार द्वारा मुख्य रूप से उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोनों साथ मिलकर 342 से अधिक निगरानी स्टेशनों को कवर करते हुए राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। इन सबके अलावा ग्रेडेड रिस्पांस ऐक्शन प्लान भी सरकार द्वारा लागू किया जा रहा है।
Graded Response Action Plan
यह एक तरह का एक्शन प्लान है जो कि एनवायरनमेंट पोलूशन कंट्रोल अथॉरिटी के द्वारा बनाया गया है। इसमें सर्दियों के मौसम में दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए अथॉरिटी हर संभव कदम उठा सकती है, जो कि प्रदूषण के स्तर को घटाएं और इस तरह के प्रदूषण को बढ़ने से रोके।