एक बार की बात है एक जंगल में बहुत से पशु पक्षी रहा करते थे उनमें से एक सांप भी था जोकि अपने बिल में दिन भर आराम करता और रात में शिकार पर चला जाता। अपने शिकार में वह चूहे, बतख,मेंढक को खा जाता था ऐसा करते करते वह मोटा होता चला गया अब वह अपने मोटापे के कारण अपने बिल में फिट नहीं बैठपाता था इसलिए अब सांप ने सोचा कि उसे जल्दी ही नया ठिकाना ढूंढना पड़ेगा!
ठिकाने की तलाश में वह जंगल में भटकने लगा अचानक उस से एक बड़ा सा पेड़ दिखाई दिया जिसमें बहुत बड़ा बिल था जब उसके पास गया तो उसने देखा कि वहां पर चूहे और चीटियों ने अपना घर बनाया हुआ है यह देखते ही सांप फुंकारते हुए बोला 'सुनो जितने भी इस बिल के निवासी हैं चाहे वह चूहा हो या चीटियां जल्दी से इस बिल को खाली करो अब यहां मैं अपना घर बनाऊंगा सांप की इस धमकी से वहां के अन्य पशु पक्षी तो भाग गए परंतु चीटियां अपने काम पर लगी रही।
सांप उन चीटियों को देखकर हंसने लगा और बोला क्या तुम अपनी मौत का इंतजार कर रही हो निकलो यहां से वरना मौत के घाट उतारे जाओगे यह धमकी देकर सांप बिल के पास आने लगा।
यह देखकर सभी चीटियां आपस में एकत्रित हुई और सांप को चारों तरफ से घेर लिया सांप अभी भी अपनी ताकत के घमंड से लिपटा हुआ था कि इतने में ही सभी चीटियों ने एक साथ सांप को काटना शुरू कर दिया और सांप कुछ ही देर में छलनी - छलनी हो गया साथ ही पीड़ा को सहन ना कर सका और वहां से भाग खड़ा हुआ।
यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई कि किस तरह से नन्ही सी चीटियों ने बड़े से सांप को भगा दिया नन्ही सी चीटियों ने संपूर्ण जंगल वासियों को संदेश दिया कि एकता में ही शक्ति है।
अर्थात किसी को भी छोटा या बड़ा समझ कर मजाक नहीं उड़ाना चाहिए जब सब एक साथ मिल जाते हैं तो हर कठिन से कठिन कार्य भी आसान हो जाता है।