भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता से ही की जाती है उस समय से ही भारत एक कृषि प्रधान देश है।
1960 के बाद कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ एक नया दौर आया, उससे पहले पारंपरिक बीजों का उपयोग किया जाता था गाय, बकरी,भैंस के गोबर से खाद बनाई जाती थी ,तथा उसे उर्वरक के रूप में प्रयोग किया जाता था।
1960 के बाद सब कुछ बदल सा गया हरित क्रांति के साथ उच्च उपज बीज का प्रयोग हुआ जिससे गेहूं, चावल के उत्पादन में वृद्धि अधिक हुई। इसके पश्चात कृषि क्षेत्र में नीतियां बनी।
भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन विभिन्न संस्थान कार्यरत हैं,जो कि भारत की कृषि नीति तय करते हैं , जैसे कि कृषि एवं सहकारिता विभाग पशुपालन एवं डेयरी विभाग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि आयोग भारतीय पौध संरक्षण कृषि!
भारत में नीतियां 28 जुलाई 2000 से शुरू हुई इन Indian Government scheme में भारतीय कृषि व कृषक दोनों को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई गई, जिसके निम्न लिखित लक्ष्य हैं:
- भारत सरकार द्वारा वार्षिक वृद्धि दर को 4% होनी चाहिए।
- निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को महत्व दिया जाना चाहिए।
- किसानों के उत्पाद मूल्य को सुनिश्चित करना।
- राष्ट्रीय कृषि योजना के फसलों का बीमा करना।
- वस्तु विनिमय बाजार को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।
- देश में उपलब्ध जल संसाधनों का समुचित सिंचाई प्रणाली द्वारा प्रयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
- एनिमल हसबेंडरी (पशुपालन) मुर्गी फार्म, मत्स्य पालन, डेयरी के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- कृषि योग्य भूमि कैपिटल इन टैक्स से छूट देनी चाहिए।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्पाद के मूल्य पर नियमित रूप से निगरानी निगरानी रखनी चाहिए।
- ग्रामीण विद्युतीकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- कृषि का सतत् विकास होना चाहिए जिसमें कम लागत में ज्यादा उत्पाद हो।
- कृषि योग्य भूमि सुरक्षित होनी चाहिए।
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भारतीय कृषि नीति में चलाए गए विभिन्न योजनाएं
फसलों के लिए बीमा योजनाएं
किसानों की फसल यदि प्राकृतिक आपदा से खराब हुई हो या किसी कारणवश फसल नष्ट हो गई हो तो भारत सरकार द्वारा किसानों को खरीफ की फसल के लिए 2 %, रवि की फसल 1.5 %, तथा बागवानी फसल के लिए 5% अनुदान देने की बात की गई है ।
पौध संरक्षण योजना
फसल पर यदि कीटों का आक्रमण हो जाए , तो सरकार उसके लिए कीटनाशक अनुदान पर सस्ते दर में पौध संरक्षण यंत्र उपलब्ध करवाएगी।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाएं
इस योजना में यदि खेत में सिंचाई व्यवस्था नहीं है तो खेत में फव्वारा सिंचाई या ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकल सिंचाई के द्वारा सिंचाई की जाएगी ।
सतत कृषि
इस योजना के तहत तालाब, बागवानी भूमि के संरक्षण को बढ़ावा देना है ,साथ ही इस योजना मे तिलहन रेशम व दाल आधारित फसलों के लिए 50% का अनुदान दिया जाएगा व मत्स्य पालन, मुर्गी पालन व पशुपालन डेयरी को बढ़ावा देने के लिए 50% का अनुदान भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा।
राष्ट्रीय तिलहन एवं आयत मिशन
किसान यदि बीज लेने में समर्थ नहीं है , तो राष्ट्रीय तिलहन एवं आयात योजना के तहत बीज ले सकते हैं ,यहां पर भी सरकार बीज में अनुदान उपलब्ध कराएगी ।
परंपरागत कृषि योजना
फसल की लागत मूल्य को कम किया जाए, इसके लिए जैविक कृषि की तरफ बढ़ना होगा परंपरागत कृषि योजना के तहत सरकार किसानों को ₹1000000 तक का अनुदान देगी ।
बीज योजना
इस योजना के तहत सरकार किसानों को गुणवत्ता पूर्ण बीज उपलब्ध कराएगी ।
कृषि यंत्रीकरण उप मिशन
किसानों को सरकार कृषि से जुड़े यंत्रों में 25% से लेकर 50% तक की सब्सिडी उपलब्ध कराएगी।
मूल्य नीति
भारत सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल के लिए अच्छे दाम मिल सके इसके लिए 23 फसलों का न्यूनतम निर्धारित मूल्य किया गया है ,जिससे किसानों को फसल के दाम के लिए परेशान ना होना पड़े ।
उपरोक्त दी गई नीतियां किसानों के हित में बनाई गई है परंतु यह नीतियां अभी भी धरातल पर नहीं उतरी है।