Bhishm Sahni Book
पुस्तक समीक्षा

भीष्म साहनी की कहानी- मरने से पहले | Bhishm Sahni Book

एक कहानी जो बयां करती है मरने से पहले किसी व्यक्ति के मन में चल रही उधेड़बुन को, वह कहां तक सोच सकता है किस प्रकार से उसके विचार उसके मन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से बिजली की तरह कौंधते हुए भीतर ही भीतर उसे झकझोर कर रख देते हैं। जानते हैं इस कहानी के लेखक तथा इसके कुछ मार्मिक प्रसंगों के बारे में:

भीष्म साहनी ऐसे लेखक जो हिंदी साहित्यय की अनेक विधाओंं, कहानी, उपन्यास, नाटक तथा आत्मकथा लिख चुके हैं। वे हिंदी साहित्य के  प्रमुख रचनाकार तथा  लेखकों में से एक हैं। उन्होंने हमेशा ही हिंदी साहित्य को अपने रचनात्मक कौशल तथा बहुमुखी प्रतिभा से समृद्ध किया है, उनकी लेखन क्षमता परिचित करवाती है कि वे किन घटनाओं के भुक्तभोगी रहे हैं। साहनी के लेखन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह बहुत ही सरल शब्दों और सहज वाक्यों में एक ऐसी बड़ी कहानी लिख जाते हैं जिसका मर्म कुछ और ही होता है। ऐसे में यह लगता ही नहीं कि यह रचना किसी लेखक की है। पाठक उस रचना को पढ़ते हुए इतने भावविभोर होकर डूब जाते हैं कि उन्हें वह कहानी अपने जीवन से संबंधित लगने लगती है। सहानी जी की इसी सहजता ने उन्हें हिंदी साहित्य में इतना महान लेखक बनाया है। उनका नाम हिंदी साहित्य के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है।

भीष्म साहनी जी का जन्म 8 अगस्त 1915 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ जो रावलपिंडी में निवास करता था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय क्षेत्र से करने के बाद लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से स्नातक तथा स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने इंग्लिश विषय से एम ए पास  करने के बाद अपने शोध कार्य को संपन्न किया तथा 1944 में उनका विवाह हुआ। Bhishm Sahni Book 

अपने जीवन में उन्होंने कई उपन्यास जैसे- झरोखे, कड़ियां, तमस, बसन्ती, कुंतो, नीलू नीलिमा नीलोफर, कहानियां जैसे- भाग्य रेखा, शोभायात्रा, पटरियां, पहला पाठ, निशाचर, वाड चू, पाली, प्रतिनिधि आदि लिखी हैं। उन्होंने 'आज के अतीत' नामक आत्मकथा का प्रकाशन अपने देहांत के कुछ समय पहले ही करवाया था। 11 जुलाई 2003 को इनका निधन हो गया।

भीष्म साहनी जी हमेशा से ही अपनी रचनाओं में यथार्थ और सच्चाई की जमीन पर जागती हुई जटिलता को संदर्भित करते हुए  तथा एक धागे में पिरोकर रोचकता की मिसाल पेश करते हैं। उनके विषय सदा बदलते रहते हैं, जैसे सांप्रदायिकता, नगरीय जीवन की जटिलता, मानव स्वभाव, मनोविज्ञान तथा बदलते पारिवारिक संबंधों की जटिलता उनके प्रमुख विषय रहे हैं। साहनी द्वारा लिखी गयी सबसे पहली कहानी 'अबला' इंटर कॉलेज की पत्रिका रवि में तथा दूसरी कहानी 'नीली आंखें' हंस पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। इनके द्वारा लिखी गई एक कहानी है 'मरने से पहले'।


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यह कहानी एक वृद्ध की है जो बताती है कि मरने से पहले उनके मन में क्या कुछ अंतर्द्वंद चलता रहता है तथा वे क्या-क्या कर रहे होते हैं।

इसमें 73 वर्ष के एक वृद्ध के बारे में बताया गया है जो अपनी एक पुश्तैनी जमीन के लिए 20 सालों से कचहरी के इतने चक्कर काटता है कि अब वह बूढ़ा हो चला है। इस उम्र में उसे जमीन मिल तो जाती है परंतु अभी तक उस पर कब्जा मिलना बाकी है। इस पर वह कचहरी के चक्कर काटते-काटते इतनी उधेड़बुन में और कशमकश में है कि सोच नहीं पाता क्या किया जाए? वह अपने मन के विचारों से कभी सोचता है कि अब वह यह जमीन लेकर क्या करेगा? अब तो उसके जीने के कुछ चार-पांच साल ही बाकी होंगे, कभी वह सोचता है कि क्यों ना अपनी जमीन को लेकर उस पर एक घर बनाए जिसमें वह कुछ साल ही सही पर रह तो सकेगा। अपने इसी उधेड़बुन में वह अनेक विचारों को समेटे हुए कचहरी के चक्कर लगाता रहता है। उसके उसका साथ देने वाला वकील भी अब बूढ़ा हो चला है और उसने भी अपना पल्ला झाड़ते हुए यह कहा कि उसने वृद्ध को जमीन दिलाने का कार्य पूरा कर दिया है, अब बाकी कब्जे के लिए उसे स्वयं ही भागदौड़ करनी पड़ेगी। इस प्रकार यह कहानी बताती है कि किस तरह वह वृद्ध अपनी जमीन के लिए भटकता है और अंत में मरने से पहले तक भी वह इसी कशमकश में अटका रहता है। अंत तक यह देखना बड़ा रोचक हो जाता है कि क्या उस व्यक्ति को जमीन का सुख मिल पाता है या उसके साथ क्या होता है? इसी तरह के प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए आपको इस कहानी को अवश्य पढ़ना चाहिए।

भीष्म साहनी जी यथार्थ को अपनी कहानियों में परिभाषित करते हुए लिखते हैं, जिस वजह से उन्हें प्रेमचंद की परंपरा का लेखक कहा जाता है। वे सकारात्मकता तथा जिजीविषा को स्पष्ट करते हुए अपनी कहानियों में सीधे-सादे अंदाज से एक शक्ति डाल देते हैं जो किसी भी पाठक को सकारात्मकता की ओर आगे ले जाता है, जिसमें मानवीय करुणा और मानवीय मूल्यों जैसी नैतिकता विद्यमान होती है। इसी वजह से उन्हें सांस्कृतिक और साहित्यिक जगत का 'भीष्म पितामह' जैसे सम्मान से नवाजा गया है।


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