Data leak of Big Basket Users
बिज़नेस

बिग बास्केट के यूजर्स का हुआ डाटा लीक | Big Basket Users Data Leak

"डाटा लीक" आज के समय में यूजर्स की प्राइवेसी के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है आए दिन हैकिंग के नए-नए तरीके से हैकर्स इसे अंजाम दे रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग और बैंकिंग जैसी सुविधाओं के आने से इसमें और बढ़ोतरी हुई है। हैकर्स के लिए यूजर्स का डेटा काफी कीमती होता है। वह इसे बेचकर करोड़ों रुपयों की कमाई करते हैं। Big Basket Users Data Leak

इसी प्रकार की डेटा लीक  की एक बड़ी खबर "बिग बास्केट" की ओर से सामने आ रही है सूत्रों के मुताबिक "किराना" सामान की ऑनलाइन बिक्री करने वाली कंपनी "बिग बास्केट" के डाटा में सेंध लगने का अंदेशा है। पीटीआर की खबर के मुताबिक "साइबर इंटेलिजेंस कंपनी" 'साइबिल' का कहना है कि डाटा में सेंध से बिग बास्केट के करीब 200 करोड़ यूजर्स या कस्टमर्स की डिटेल लीक गई है। जिसमें एसक्यूएल फाइल में यूजर्स के नाम, ईमेल आईडी, पासवर्ड , कांटेक्ट नंबर, फोन, पता, जन्मतिथि, स्थान, और आईपी ऐड्रेस आदि शामिल है। साइबल ने पासवर्ड की चर्चा की है। वहीं कंपनी वन टाइम पासवर्ड ओटीपी का इस्तेमाल करती है जो हर बार लॉगिन में बदलता है।


साइबल रिसर्च टीम ने की पुष्टि


कंपनी ने इस बारे में बेंगलुरु में "साइबर क्राइम सेल" में शिकायत दर्ज कराई है और वह साइबर एक्सपर्ट की तरफ से किए गए दावों की पड़ताल कर रही है। साइबल ने कहा है कि एक हैकर्स ने कथित रूप से बिग बास्केट के डाटा को 30 लाख रुपए में सेल के लिए रखा है।

दूसरी ओर "साइबल" ने अपने एक ब्लॉग  के माध्यम से इस बात की पुष्टि की है कि डार्क वेब की रेगुलर निगरानी के दौरान "साइबल" की रिसर्च टीम ने यह पाया है कि साइबर क्राइम मार्केट में बिग बास्केट का डेटाबेस $40000 में बेचा जा रहा है। जिसकी एसक्यूएल फाइल साइज करीब 15 जीबी है जिसमें करीब 2 करोड यूजर्स का डाटा शामिल है। 


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कंपनी का बयान


बिग बास्केट ने बयान में कहा है कि कुछ दिन पहले हमें संभावित टाटा सेंध की जानकारी मिली है। हम इसका आकलन तथा दावे के सच की पुष्टि करने का प्रयास कर रहे हैं।


30 अक्टूबर को आई थी डेटा लीक की खबर


"साइबल" का दावा है कि डाटा चोरी 30 अक्टूबर 2020 को हुआ जिसके बारे में बिग बास्केट के मैनेजमेंट को सूचित कर दिया गया था। साइबिल का कहना है कि 31 अक्टूबर को डाटा सेंध बिग बास्केट का है या नहीं पहले इसकी पूरी जांच की गई इसके बाद 1 नवंबर को बिग बास्केट मैनेजमेंट को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है। 


डार्क वेब में बेचा जा रहा है डेटा


खबरों के मुताबिक पता चला है कि बिग बास्केट यूजर्स का डाटा डार्क वेव में बेचा जा रहा है क्या है डार्क वेब? आइए एक नजर डालते हैं-

डार्क वेब इंटरनेट की तरह ही होता है लेकिन यहां इंडेक्सिंग नहीं होती यानी आप ऐसे ही इंटरनेट पर जाकर डार्क वेब के कंटेंट सर्च नहीं कर सकते हैं। डार्क वेब में "एनोनिमाइजिंग ब्राउज़र" यूज़ किया जाता है इसमें से पॉपुलर "टॉर" है जिसे यूज़ करके इसे एक्सेस किया जाता है। डार्क वेब वेबसाइट को "टॉर डिटेन सर्विसेज" भी कहा जाता है। डार्क वेब में वेबसाइट के नाम में आखिर में .com या .org नहीं लगते बल्कि यहां.onion जैसे नाम का यूज किया जाता है। यह गूगल सर्च में भी नहीं दिखते हैं ये नियम भी हर बार बदलते रहते हैं। हैकर्स अपने तरीके से "डार्क वेब" में बदलाव करते रहते हैं ताकि आम लोग इसे एक्सेस न कर पाए।

इस खबर के बाद लाखों-करोड़ों कस्टमर्स के लिए यह चिंता की बात है यदि आप भी ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो ज़रा संभल जाइए इ-कॉमर्स कंपनी की वेबसाइट पर आपका डाटा कभी भी लीक हो सकता है।


डिस्क्लेमर: यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार इन्वेस्टमेंट करने से पहले आप अपने एडवाइजर से अवश्य परामर्श लें या उस से सम्बंधित दश्तावेज़ों का अध्यन अवश्य करें। हम आपके किसी भी फायदा या नुक्सान के लिए जिम्मेदार नहीं माने जायेंगे।

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