आज के समय में हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है। इन बीमारियों की वजह व्यक्ति का अत्यधिक शारीरिक और मानसिक तनाव हो सकता है। इसके अलावा लोग काम के कारण अपनी सेहत पर उतना ध्यान नहीं दे पाते जिस कारण उन्हें कई सारी बीमारियां घेर लेती हैं। ऐसे समय में कई लोग हेल्दी चीजें खाने और पोषक तत्वों को अपनी डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं। ऐसी ही एक सलाह लौकी के सेवन की दी जाती है। लौकी जो कि सामान्य तौर सभी घरों में सब्जी के रूप में प्रयोग की जाती है। देखा जाए तो आजकल लोग इसका प्रयोग सिर्फ सब्जी के रूप में ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के अन्य पकवान और जूस बनाने में भी कर रहे हैं। हालांकि लौकी कई तरह से शरीर को फायदा पहुंचाती है परंतु यह फायदा पहुंचाने वाली सब्जी कभी-कभी हानिकारक भी हो सकती है।
जी हां पौष्टिकता से भरपूर और सेहत के लिए लाभदायक होने की वजह से खायी जाने वाली लौकी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है।लौकी को नियमित तौर पर इस्तेमाल करने से वजन पर नियंत्रण, ब्लड प्रेशर तथा ब्लड शुगर कंट्रोल होने जैसी कई समस्याओं से निजात मिलती है। इसके सेवन से भरपूर ऊर्जा मिलने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और अन्य खतरनाक बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर मजबूत होता है।
आयुर्वेद के अनुसार लौकी कई औषधीय गुणों को अपने भीतर समेटे हुए है। इसका प्रयोग हर व्यक्ति के लिए लाभकारी होता है। वजन कम करने के लिए लौकी कल्प का इस्तेमाल कुछ दिनों तक करने की सलाह दी जाती है। लौकी कल्प का अर्थ है कुछ दिनों तक दिन भर लौकी का सूप, सब्जी या फिर जूस के रूप में प्रयोग किया जाए। इस तरह से देखा जाए तो लौकी से भरपूर ऊर्जा मिलने के साथ-साथ ग्लाइकोजन का स्तर नियंत्रित रखने में भी मदद मिलती है। इससे बॉडी डिटॉक्स होती है तथा मांसपेशियों में मजबूती के साथ यह कब्ज से निजात पाने और दिल को स्वस्थ रखने के लिए भी एक रामबाण औषधि है।
परंतु कई बार यह देखा जाता है कि किसी भी फायदेमंद वस्तु का यदि गलत तरीके से और अधिक मात्रा में इस्तेमाल किया जाए तो यह नुकसानदायक साबित होती है। इसलिए भले ही पौष्टिकता से भरपूर लौकी सभी के लिए फायदेमंद हो परंतु विशेष तौर पर कुछ लोगों को लौकी के जूस का प्रयोग करने से बचना चाहिए। इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि ऐसे कौन से लोग हैं जिन्हें लौकी के जूस के सेवन से बचने की आवश्यकता होती है।
लौकी में मौजूद होते हैं विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व
लौकी को शरीर के लिए पौष्टिक इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इनमें विटामिन ए, कैल्शियम, प्रोटीन, मैग्नीशियम, विटामिन सी, जिंक तथा पोटेशियम के साथ-साथ आयरन भी भरपूर मात्रा में उपस्थित होता है। इस तरह से देखा जाए तो लौकी के सेवन से इन सभी पोषक तत्वों की मात्रा व्यक्ति के शरीर में पहुंचती है जिससे शारीरिक रूप से व्यक्ति मजबूत बनता है।
अस्थमा के रोगी
हालांकि लौकी का सेवन कई तरह से विभिन्न बीमारियों में फायदा पहुंचाता है परंतु अस्थमा से पीड़ित मरीज को लौकी के जूस का सेवन ना करने की हिदायत दी जाती है। अस्थमा में लोगों को सांस लेने की समस्या हो जाती है। लौकी के जूस का प्रयोग ना करने का कारण यह है कि इस की तासीर ठंडी होती है और इससे सर्दी-जुकाम जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। सर्दी-जुकाम के कारण अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में अधिक समस्या हो सकती है। इसके अलावा फेफड़ों में भी कफ जमा होने की संभावना बढ़ जाती है। यही कारण है कि लौकी के जूस का सेवन ऐसे मरीजों के लिए परेशानी बन जाता है।
सर्दी-जुकाम से ग्रसित व्यक्ति
ऐसे व्यक्ति जिन लोगों को सर्दी-जुकाम या साइनस जैसी परेशानियां होती है उन्हें भी लौकी के जूस का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस जूस की तासीर ठंडी होने के कारण सर्दी-जुकाम जैसी समस्या अधिक बढ़ जाती है और इससे मरीज को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
अर्थराइटिस के रोगी
अर्थराइटिस यानी जोड़ों के दर्द से पीड़ित व्यक्ति को भी लौकी के जूस को इस्तेमाल ना करने की सलाह दी जाती है। इसका कारण यह है कि लौकी के जूस की ठंडी तासीर जोड़ों के दर्द को और अधिक बढ़ा सकती है। इस कारण पैरों में अकड़न जैसी बड़ी परेशानी भी हो सकती है। अतः इस तरह की कई गंभीर समस्याओं से बचने के लिए अर्थराइटिस के मरीजों को लौकी के जूस का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
जिन्हें है यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या
जिन व्यक्तियों को यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या है उनके लिए भी लोकी का जूस हानिकारक हो सकता है। क्योंकि लौकी के जूस से यूरिक एसिड, गठिया और गाउट जैसे रोगों के बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है। इस वजह से इन मरीजों को सामान्यतः लौकी के जूस का सेवन नहीं करना चाहिए।
यदि लौकी का जूस नहीं, तो क्या हो सकता है दूसरा विकल्प
जिन रोगियों के लिए लौकी के जूस को ना पीने की हिदायत दी जाती है। इसके लिए एक दूसरा विकल्प अवश्य ही मौजूद है। यह है लौकी का सूप। जी हां लौकी का सूप बिल्कुल लौकी के जूस की तरह ही होता है। बस इसमें फर्क है तो तासीर का। यानी लौकी का जूस ठंडी तासीर का होता है परंतु लौकी के सूप की तासीर बदल जाती है। इसके अलावा लौकी के जूस में पाए जाने वाले सभी तरह के विटामिंस, मिनरल्स और पोषक तत्व इसमें भी पाए जाते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि यूरिक एसिड, अस्थमा तथा आर्थराइटिस के मरीज भी लौकी के सूप का सेवन बिना किसी हिचकिचाहट के कर सकते हैं। उनके लिए यह लाभदायक होता है।
इस तरह से बन सकता है लौकी का सूप
लौकी का सूप बनाने के लिए सबसे पहले लौकी को छिले बिना ही छोटे-छोटे टुकड़ों में काट काटते हैं। अब इसे मिक्सी में पीसकर इसका पल्प बना दिया जाता है। तत्पश्चात एक कढ़ाई में घी डालकर इसे धीमी आंच में गर्म करके इसमें अजवाइन, जीरा, हींग आदि डालते हैं। इसके अलावा सेंधा नमक भी इसी समय मिलाया जा सकता है। अब लौकी के पल्प को इस में डालकर अच्छी तरह से मिलाकर इसे धीमी आंच में लगभग 10 से 15 मिनट तक के लिए पकाया जाता है। जरूरत के अनुसार इसमें थोड़ा सा पानी भी मिला सकते हैं। अब गैस को बंद करके सूप के रूप में इसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।