देवताओं की भूमि उत्तराखंड में हर 10 कोस पर आपको एक हिंदू मंदिर जरूर मिल जाएगा। हिंदू आस्था का यह प्रमुख केंद्र इस बार भी कोरोना लहर से बुरी प्रभावित रहा। बढ़ते कोरोना वायरस को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी थी। कपाट खुलते समय भी सिर्फ पुजारी और धाम से जुड़े कुछ गणमान्य व्यक्ति ही मौजूद रहे, श्रद्धालुओं व तीर्थ यात्रियों के लिए चार धाम यात्रा अभी भी प्रतिबंधित है। कोरोना के कहर को देखते हुए सरकार ने यात्रा पर रोक लगा दी थी जिससे श्रद्धालु देव दर्शन से इस बार भी दूर रह सकते हैं। हालांकि सरकार ने धाम के दर्शन के लिए ऑनलाइन माध्यम की व्यवस्था की थी।
देवताओं की भूमि उत्तराखंड में हर 10 कोस पर आपको एक हिंदू मंदिर जरूर मिल जाएगा। हिंदू आस्था का यह प्रमुख केंद्र इस बार भी कोरोना लहर से बुरी प्रभावित रहा। बढ़ते कोरोना वायरस को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी थी। कपाट खुलते समय भी सिर्फ पुजारी और धाम से जुड़े कुछ गणमान्य व्यक्ति ही मौजूद रहे, श्रद्धालुओं व तीर्थ यात्रियों के लिए चार धाम यात्रा अभी भी प्रतिबंधित है। कोरोना के कहर को देखते हुए सरकार ने यात्रा पर रोक लगा दी थी जिससे श्रद्धालु देव दर्शन से इस बार भी दूर रह सकते हैं। हालांकि सरकार ने धाम के दर्शन के लिए ऑनलाइन माध्यम की व्यवस्था की थी।
अभी हाल ही में हरिद्वार में हुए महाकुंभ में कोरोना महामारी के दौरान काफी श्रद्धालु और साधुओं की कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद सरकार ने अस्थाई रूप से चार धाम यात्रा पर रोक लगा दी थी जिसे लेकर प्रदेश सरकार ने कहा कि कोरोना कहर कम होते ही यात्रा को शुरू किया जाएगा। अब खबर यह आ रही है कि गढ़वाल आयुक्त व चार धाम देवस्थानम बोर्ड के चेयरमैन रविनाथ रमन के हवाले से कहा गया कि महामारी संबंधित स्थितियों पर नजर रखी जा रही है और जून के दूसरे हफ्ते में बोर्ड की बैठक के बाद ही चार धाम यात्रा पर फैसला लिया जाएगा कि यात्रा शुरू की जाए या नहीं। हम यात्रा पर जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं बल्कि क्या हो सकता है यह देख रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक जिन क्षेत्रों में कोरोना वायरस के हालात बेहतर पाए जाएंगे वहां के लिए बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री चार धाम यात्रा खोली जा सकती है।
समीक्षा के बाद लिया जाएगा फैसला
गढ़वाल कमिश्नर और चार धाम देवस्थानम बोर्ड के चेयरमैन रविनाथ रमन ने कहा कि कोरोना महामारी संक्रमण पर नजर रखी जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि यात्रा शुरू करने या न करने को लेकर जून के दूसरे सप्ताह में फैसला लिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि हम स्थिति को देख रहे हैं और क्या किया जा सकता है, इस बात की समीक्षा कर रहे हैं।
कैसे शुरू की जा सकती चार धाम यात्रा
आयुक्त के मुताबिक कोरोना संबंधी स्थितियों को देखते हुए हो सकता है कि जिस जिले में धाम स्थित है वहां के लोगों के लिए यात्रा शुरू की जाए या फिर उस तीर्थ से जुड़े गांव के श्रद्धालुओं को यात्रा के लिए अनुमति दी जाए। परंतु यह सब तभी होगा जब वाकई में लगे कि यहां कोरोना संक्रमण कम हो रहा है। इससे पहले हाईकोर्ट ने मई माह में कुंभ और चार धाम यात्रा को लेकर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि 'राज्य को अपनी भूल से सबक लेना चाहिए।' परंतु यह राज्य की विडंबना ही है कि चार धाम यात्रा के प्रतिबंध के बावजूद भी राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री व उनके समर्थक धाम के दर्शन के लिए पहुंच गए। उनके इस कृत्य का क्षेत्रीय जनता व तीर्थ पुरोहित समाज ने विरोध किया गया।
क्या कह रहे हैं पिछले आंकड़े
रिपोर्ट की मानें तो पिछले महामारी के दौरान चार धाम यात्रा 1 जुलाई से सिर्फ राज्यों के लोगों के लिए ही शुरू की गई थी और जुलाई के अंतिम सप्ताह में उत्तराखंड के बाहर के लोगों के लिए भी यह यात्रा शुरू की गई थी। पिछले वर्ष महामारी के बावजूद भी आंकड़ों के मुताबिक 4.2 लाख लोगों ने चार धाम यात्रा की, जबकि साल 2019 में जब महामारी नहीं थी, 38 लाख लोगों ने चार धाम यात्रा कर धाम के दर्शन किए थे।
ऐसे समझें उत्तराखंड के चार धाम
भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है परंतु यहां हिंदू धर्म को मानने वाले लोग अधिक हैं। हिंदू आस्था को जोड़े रखने के लिए आदि गुरु शंकराचार्य ने देश के चार दिशाओं में चार धामों की स्थापना की थी, जो भारत के चार धाम कहलाते हैं। इन धामों में उत्तर दिशा में बदरीनाथ धाम उत्तराखंड में; दक्षिण दिशा में श्री रामेश्वरम धाम तमिलनाडु में; पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी उड़ीसा में तो वहीं पश्चिम दिशा में द्वारिका गुजरात राज्य में स्थित है, यह चार धाम हिंदू व हिंदुस्तान के चार धाम कहलाते हैं।
अब बात करें उत्तराखंड के चार धामों की तो यह सभी धाम उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल जिले में स्थित हैं; जिनमें बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम शामिल है। इन धामों की यात्रा को "छोटी चार धाम यात्रा" के नाम से जाना जाता है। इन छोटे चार धामों की यात्रा के लिए प्रतिवर्ष लाखों लोग राज्य की यात्रा करते हैं।