डायबिटीज यानी मधुमेह इस बीमारी से आप सभी परिचित होंगे। आजकल ज्यादातर लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं जो मनुष्य के शरीर में रक्त में उपस्थित शुगर का स्तर बढ़ने से होती है। रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे- पेनक्रियाज़ ग्रंथि द्वारा इंसुलिन हार्मोन का स्राव में कमी होना और ग्लूकोज़ का स्तर अधिक होना आदि। इस बीमारी के लिए लोग दवाइयों और डॉक्टर के उपचार के साथ-साथ कई तरह के घरेलू उपाय भी अपनाते रहते हैं।
आज इस लेख के माध्यम से हम इसी प्रकार के एक पौधे (जिसे चौलाई कहा जाता है) के मधुमेह रोग में उपयोग के बारे मे बताने जा रहे हैं।
चौलाई लगभग सभी जगह पाई जाती है। यह एक प्रकार का पौधा होता है जिसका प्रयोग ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपने खाने में करते हैं। चौलाई को अंग्रेजी भाषा में अमरंथ कहा जाता है और दुनिया के लगभग आधे से अधिक क्षेत्रों में इसकी खेती भी की जाती है। अन्य देशों की तरह भारत में भी चौलाई की खेती की जाती है।
चौलाई गर्मी और बरसात के मौसम में उगाई जाती है। इसे कई तरह के रोगों में रामबाण इलाज की तरह प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसमें अनेक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं, जो मनुष्य की सेहत के लिए गुणकारी और लाभदायक होते हैं। चौलाई को आयुर्वेद की भाषा में 'पंचाग औषधि' के नाम से भी जाना जाता है।
मधुमेह के रोगियों के लिए माना जाता है अमृत समान
मधुमेह जैसे बड़ी बीमारी के रोगियों के लिए चौलाई अमृत समान मानी जाती है क्योंकि इसमें मिनरल्स, प्रोटींस और लिपड्स के साथ-साथ कई तरह के विटामिन पाए जाते हैं। विटामिन-सी इसमें अधिक मात्रा में पाया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार चौलाई के सेवन से रक्त में उपस्थित शर्करा नियंत्रित रहती है और इससे मोटापा भी कम किया जा सकता है।
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एक शोध के मुताबिक चौलाई के सेवन से हृदय से संबंधित कई बीमारियों का खतरा भी कम किया जा सकता है क्योंकि चौलाई में एंटी-ऑक्सीडेंट और anti-diabetic तरह के अनेक गुण उपस्थित रहते हैं। इस शोध में लगभग 3 महीने तक कई लोगों को हर रोज 20 ग्राम चौलाई का सेवन करने को कहा गया और इसके परिणाम स्वरुप यह पाया गया कि चौलाई डायबिटीज, मोटापे और हृदय से संबंधित कई बड़ी बीमारियों के लिए लाभदायक साबित होता है।
इस तरह से कर सकते हैं सेवन (How to Consume Chaulai)
चौलाई का सेवन वैसे तो पुराने समय से एक तरह के साग के रूप में होता रहा है। इस साग को ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक बनाया जाता है।
इसके लिए सबसे पहले चौलाई को धुल कर उसे उबाला जाता है। इसके बाद उसे पीसकर उसका साग तैयार किया जाता है और इसे रोटी या चावल के साथ खाया जाता है। यह सेहत से भरपूर होता है।
इस साग के अलावा चौलाई का इस्तेमाल रोटी के रूप में भी कर सकते हैं। इसे चलाई की रोटी कहते हैं। इसमें आटा और चौलाई को मिलाकर गूंथा जाता है और इसकी रोटी तैयार की जाती है। इसे खाने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है और सेहत तंदुरुस्त रहती है।