आज थायराइड डिसऑर्डर के मरीजों में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है। थाइरोइड डिसऑर्डर उस स्थिति को कहा जाता है जब व्यक्ति के शरीर में मौजूद थायराइड ग्लैंड से कम या अधिक मात्रा में हार्मोन स्रावित होने लगते हैं। गर्दन में तितली के आकार की थायराइड ग्रंथि को अवटु ग्रंथि भी कहते हैं जो हार्मोंस का उत्सर्जन करती है। शरीर से कम या अधिक हार्मोंस सिक्रिएशन की स्थिति में शरीर की सभी कोशिकाएं प्रभावित होने लगती हैं। थायराइड ग्रंथि से हार्मोंस कभी अधिक मात्रा में तो कभी कम मात्रा में निकलने लगते हैं। जब थाइरॉएड ग्लैंड से अधिक मात्रा में हार्मोंस सीक्रेसन होता है तो इसे हाइपरथाइरॉयडिज़्म कहा जाता है। यह डिसऑर्डर सौ में से सिर्फ एक या दो व्यक्तियों में होता है। इस प्रकार की समस्या में व्यक्ति के हार्ट रेट में वृद्धि, खाने के बाद भी वजन कम, नींद ज्यादा, तथा शरीर के तापमान में वृद्धि महसूस होने लगती है।
परंतु जब शरीर में थायराइड ग्लैंड से कम मात्रा में हार्मोन स्रावित होते हैं तो उस स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति मोटा तथा सुस्त हो जाता है साथ ही दिमाग कमजोर तथा एनर्जी कम व थकावट महसूस होती है। संतुलित आहार, नियमित एक्सरसाइज, आयोडीन का सेवन कर थायराइड को नियंत्रित किया जा सकता है। प्राचीन काल में स्वस्थ शरीर के लिए योगासन पर अधिक ध्यान दिया जाता था। ठीक उसी प्रकार आज थायराइड नियंत्रण के लिए योग व कई प्रकार के आसनों का सहारा ले सकते हैं।
थायराइड नियंत्रण के लिए योगासन (Yogasana for Thyroid Control)
मत्स्यासन (Matsyasana)
इस आसन में शरीर को मछली की मुद्रा में लाया जाता है। यह आसन आसानी से और बिना किसी सहायता से किया जा सकता है। मत्स्यासन को थायराइड डिसऑर्डर के लिए सबसे कारगर माना जाता है। इस आसन में सिर पीछे की तरफ झुकता है तथा गले पर दबाव बनता है जिससे गले पर दबाव आने से थायराइड उत्तेजित हो सके।
विपरीत करणी आसन (Viparita Karani Asana)
यह आसन वास्तव में थायराइड से शरीर को हुए नुकसान को रिकवर करता है। यह गर्दन पर कोई दबाव नहीं डालता। इस आसन से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और संतुलन को वापस लौटाता हैं। इस आसन की समय अवधि 5 मिनट से 20 मिनट तक की है इससे तनाव/स्ट्रेस आदि को दूर किया जा सकता है।
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सलंब सर्वांगासन (Salamba Sarvangasana)
इस आसन को थायराइड के उपचार में सर्वश्रेष्ठ लाभकारी बताया जाता है। इस आसन में शरीर उल्टा हो जाता है जिससे शरीर के ऊपरी भाग की तरफ रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। यह भी माना जाता है कि यह शरीर में थायराइड से होने वाले हार्मोन के उत्पादन को नियमित करता है।
नौकासन (Naukasana)
नौकासन यानी कि शरीर को नाव की मुद्रा में लाना। इस आसन के निरंतर अभ्यास से व्यक्ति के गले पर सकारात्मक दबाव बनता है। इस मुद्रा का अभ्यास लगभग एक मिनट तक करें। नौकासन अभ्यास के दौरान लगातार सांस लेते रहे।
भुजंगासन (Bhujangasana)
इस आसन के अभ्यास के दौरान थायराइड ग्रंथि पर हल्का सा दबाव पड़ता है। भुजंगासन, सूर्य नमस्कार में भी शामिल है। यह थायराइड की समस्याओं को दूर करने में काफी मददगार होता है। भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहते हैं। इस आसन में शरीर सांप की आकृति बनाता है। इस आसन में शरीर को जमीन पर लिटा कर और पीठ को मोड़ा जाता है जबकि सिर को सांप के फन की तरह उठाया जाता है।