र्फ मानव ही जीवन का हकदार नहीं है बल्कि मानव के साथ-साथ लगभग 1.4 मिलियन प्रजातियां भी जीवन जीना चाहती हैं। आज मानव सभी प्रजातियों पर इतना हावी हो चुका है कि हर क्षेत्र हर जगह पर अपना अतिक्रमण करता जा रहा है, विकास की अंधी दौड़ में इतना आगे बढ़ चुका है कि समय नहीं है रुकने का लेकिन अब लगभग दो साल होने को कुछ ही महीने बाकी हैं और इंसान अपने घरों में कैद है। दरअसल वैश्विक कोरोना महामारी ने दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं छोड़ा जहां उसने अपना प्रकोप न दिखाया हो। संपूर्ण विश्व के साथ-साथ भारत भी कोरोनासवायरस लड़ रहा है लेकिन अब कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट ने फिर से दुनिया को शक्ते में डाल दिया। जहां दुनिया के साथ-साथ भारत भी अनलॉक की दिशा में कदम बढ़ा रहा था तो वहीं अब कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट ने एक बार फिर से दुनिया के कई देशों को दोबारा लॉकडाउन की ओर धकेल दिया है।
अब कोरोना से जंग जीतने का सबसे कारगर उपाय एक ही है और वह है वैक्सीनेशन। जितनी अधिक संख्या में लोगों का वैक्सीनेशन किया जाए, इससे उतना ही सुरक्षित रहा जा सकता है। देश में कोविड-19 वैक्सीनेशन का कार्य युद्ध स्तर पर है जिससे कई सामाजिक संगठनों और सरकार द्वारा लोगों को टीकाकरण के लिए जागरूक किया जा रहा है। जहां देश में करोड़ों लोगों को वैक्सीन लग चुकी है तो वहीं कई ज्यादा संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो वैक्सीनेशन के लिए घबरा रहे हैं, उनके मन में वैक्सीन के कई शंकाएं, भय और भ्रमकता उत्पन्न हो रही है। लोगों के भय और भरामकता को दूर करने के लिए NTAGI के अध्यक्ष डॉक्टर एन.के. अरोड़ा ने साइंसेस और टेक्नोलॉजी विभाग के ओटीटी इंडिया साइंस चैनल को इंटरव्यू दिया। इंटरव्यू के माध्यम से उन्होंने भारत में वैक्सीन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बात की और वैक्सीनेशन से जुड़े भ्रामक और अफवाहों के तमाम सवालों के जवाब के दिए।
जल्द आएगी नई वैक्सीन
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ़ इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र अरोड़ा ने कहा कि हम जल्द ही Zydus Cadilia द्वारा दुनिया की पहली DNA प्लाज्मिड वैक्सीन बनाने जा रहे हैं जिसे हमारे देश में ही तैयार किया जा रहा है। ऐसी ही एक अन्य वैक्सीन बायोलॉजिकली ई एक प्रोटीन सब यूनिट है जिसकी भी जल्द आने की उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने आगे बताया कि वैक्सीन से जुड़े परीक्षण काफी उत्साहजनक रहे और उम्मीद है कि यह वैक्सीन सितंबर तक देश में उपलब्ध हो जाएगी।
सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा नोवेवेक्स नामक दो अन्य वैक्सीन के आने की भी जल्द उम्मीद की जा रही है। देश में कई वैक्सिनो के आने और पहले से तैयार वैक्सिनों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने से हम एक दिन में एक करोड़ लोगों का वैक्सीनेशन करने में सक्षम होंगे।
कितनी प्रभावी होगी नई वैक्सीन
किसी भी वैक्सीन को एक निश्चित मात्रा में प्रभावी माना जाता है। जब किसी वैक्सीन को कहा जाता है कि यह वैक्सीन 70% प्रभावी है तो इसका अर्थ हुआ कि यह वैक्सीन कोविड-19 से संक्रमित होने की संभावना को 70% तक कम कर देती है। टीकाकरण के बाद गंभीर बीमारी की संभावना कम होती है और मृत्यु की संभावना ना के बराबर होती है।
भारत में निर्मित वैक्सीन कोविड-19 से संक्रमित होने की संभावना को रोकती है। यदि देश में 60 से 70% तक के लोगों का वैक्सिनेशन किया जाता है तो इससे वायरस को स्प्रेड होने से रोका जा सकता है। इसलिए सरकार अधिक से अधिक संख्या में लोगों का वैक्सीनेशन करवाना चाहती है जिससे देश को कोरोना मुक्त किया जा सके।
वैक्सीन को लेकर क्या कहा डॉक्टर एन.के. अरोड़ा ने
डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि मैं देश के सभी लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि भारत में निर्मित सभी वैक्सीन और आने वाली जितनी भी वैक्सीन है उन सभी का कठोर परीक्षण किया गया है जिसमें क्लिनिकल ट्रायल भी शामिल है, इन वैक्सीन को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। यह बेहद खुशी की बात है कि हम टीकाकरण से सुरक्षित रह सकते हैं और हम सभी को यह विश्वास होना चाहिए कि देश में उपलब्ध कोरोना वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है।
साइड इफेक्ट्स को लेकर क्या कहा
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ़ इम्यूनाइजेशन के कोविड-19 ग्रुप के अध्यक्ष डॉ एनके अरोड़ा ने साइड इफेक्ट्स को लेकर कहा कि जहां तक साइड इफेक्ट्स की बात है तो यह सभी वैक्सीन के हल्के हल्के होते हैं। इसमें व्यक्ति को एक या दो दिन तक हल्का बुखार, थकान और इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द आदि शामिल है, परंतु वैक्सीन से कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होता है। जब बच्चों को भी उनकी नियमित वैक्सीन दी जाती है तो उन्हें भी बुखार, सूजन आदि जैसे साइड इफेक्ट सामने आते हैं लेकिन इसके बावजूद भी माता-पिता या घर के बड़े अभिभावक बच्चों को वैक्सीन लगाते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि यह वैक्सीन बच्चों के लिए लाभकारी है। ठीक इसी प्रकार हमारे समाज में रह रहे सीनियर सिटीजंस को यह सोचना है कि कोविड-19 वैक्सीन महत्वपूर्ण है और इसके साइड इफेक्ट से हमें डरने की आवश्यकता नहीं है।
शरीर में एंटीबॉडी कब तक रहती है ?
शरीर में एंटीबॉडी को लेकर और इसके बाद बूस्टर खुराक लेने की आवश्यकता जैसे सवालों का जवाब देते हुए डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि वैक्सीनेशन के बाद विकसित की गई इम्यूनिटी को स्पष्ट रूप से एंटीबॉडी के विकास से पता लगाया जा सकता है जिसे देखा और मापा जा सकता है। इसके साथ ही हमारे शरीर में टी-सेल्स नामक इम्यूनिटीहोती रहती है जिसमें मेमोरी पावर रहती है। वैक्सीनेशन के बाद जब भी यह वायरस हमारे शरीर में एंटर करेगा तो हमारा शरीर अलर्ट होकर इसके खिलाफ युद्ध करना शुरू कर देगा। इसलिए टीकाकरण के बाद एंटीबॉडी परीक्षण कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
अफवाहों के विषय में क्या कहा डॉक्टर अरोड़ा ने
समाज में ऐसी अफवाह बनी है कि यदि वैक्सीनेशन के बाद बुखार नहीं आता तो इसका मतलब है कि वैक्सीनेशन काम नहीं कर रहा है। इस अफवाह पर डॉक्टर अरोड़ा कहते हैं कि अधिकतर लोगों को कोविड-19 वैक्सीनेशन के बाद किसी भी साइड इफेक्ट से नहीं गुजरना पड़ता लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वैक्सीन प्रभाव नहीं है। वैक्सिनेशन के बाद सिर्फ 20 से 30% लोगों को बुखार का अनुभव होता है, कुछ लोगों को वैक्सीन के पहले डोज लेने के बाद बुखार का अनुभव हो सकता है तो वहीं दूसरी डोज के बाद उन्हें इससे नहीं गुजरना पड़ता, ऐसे ही इसके विपरीत भी हो सकता है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स अलग-अलग लोगों में अलग-अलग हो सकते हैं और इसके ज्यादातर साइड इफेक्ट्स अप्रत्याशित है।
बांझपन को लेकर अफवाह
कोरोना वैक्सीन को लेकर एक यह अफवाह ज्यादा फैली है कि कोरोना वैक्सीन महिलाओं और पुरूषों में बांझपन का कारण बनती है। ऐसी अफवाहों पर डॉक्टर अरोड़ा कहते हैं कि पोलियो बीमारी के दौरान जब पूरी दुनिया के साथ ही भारत में भी पोलियो वैक्सीन आई थी तो उस समय भी ऐसी अफवाहें फैलाई गई कि पोलियो वैक्सीन बच्चों को भविष्य में बांझपन का सामना करवा सकती है। इस प्रकार की भ्रामक जानकारी और अफवाहों को फैलाने का काम एंटी-वैक्सीन लॉबी का रहता है। हमें ज्ञात होना चाहिए कि कोई भी वैक्सीन गहन शोधों के बाद तैयार की जाती है और किसी भी वैक्सीन का इस तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
डॉ एनके अरोड़ा आगे कहते हैं कि मैं देश के सभी लोगों को विश्वास दिलाता हूं और आश्वस्त करता हूं कि इस तरह का प्रचार और अफवाह सिर्फ लोगों को गुमराह करते हैं वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है और इसका उद्देश्य समाज के लोगों को एवं उनके परिवारों को इस कोरोनाबीवायरस से सुरक्षित रखना है। इसलिए सभी लोग आगे आकर टीकाकरण जरूर करवाएं और अपने परिवार, समाज के साथ-साथ अपने देश को भी कोरोना मुक्त करवाने में कदम बढ़ाए।