बीते लगभग एक साल से महामारी के चलते सभी स्कूल-कॉलेज बंद पड़े हुए थे। धीरे-धीरे लगते अनलॉक से उच्च शिक्षण संस्थान खुल चुके हैं और आजकल प्रवेश की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। कुछ विश्वविद्यालयों ने कटऑफ जारी करके प्रवेश प्रक्रिया भी संपन्न कर ली है। देश के जाने-माने विश्वविद्यालय में से एक 'दिल्ली विश्वविद्यालय' में शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रवेश के लिए प्रवेश प्रक्रिया पूरी कर ली है। कुछ कोर्सेज के लिए सौ फ़ीसदी कटऑफ ने सबको हैरान कर लिया है। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है जब कटऑफ सौ फीसद रही हो। जानकारों द्वारा बताया गया कि बीते कुछ सालों में आए आश्चर्यजनक बदलाव ने सबको हैरान कर दिया है। मुख्य रूप से बात करें डीयू की तो कभी 85 फ़ीसदी की आस पास रहने वाले कट ऑफ आज 95 से 100 फ़ीसदी के आसपास पर समाप्त हो जाती है। डीयू की कट ऑफ की लिस्ट पूरी तरीके से बदल गई है। इस बार आश्चर्यजनक बदलाव भी देखने को मिला। पहले जहां साइंस कोर्सेज की कटऑफ ज्यादा हाई देखने को मिलती थी तो वहीं अब आर्ट्स और कॉमर्स स्ट्रीम के कोर्स की कटऑफ में आए बढ़ोतरी ने साइंस को पीछे कर लिया है। बीते चार से पांच सालों में तो बीए प्रोग्राम इतिहास, साइकोलॉजी व राजनीतिक विज्ञान विषय में कट ऑफ 99 फ़ीसदी तक जा रही है। कटऑफ में आए बढ़ोतरी का कारण इन कोर्सेज में सामने आए करियर के नए-नए विकल्प हैं।
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दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े जानकार बताते हैं कि वर्ष 1990 से 2000 के समय में डीयू के लगभग सभी कॉलेजों में साइंस की कट ऑफ लिस्ट में सर्वाधिक बढ़ोतरी देखने को मिलती थी लेकिन 2000 के बाद स्थिति में बदलाव देखने को मिला तथा 2010 से तो स्थिति काफी बदल चुकी है। ऊंची कट ऑफ में साइंस का स्थान कॉमर्स कोर्सेज ने ले लिया है। उसके दो-तीन सालों बाद आर्ट्स कोर्सेज की कटऑफ में भी उछाल देखने को मिला। इसी कारण से 2010 से डीयू के टॉप कॉलेज में ही नहीं अपितु आम कॉलेजों में भी बीकॉम ऑनर्स और बीए प्रोग्राम कोर्सेज में कट ऑफ लिस्ट का स्तर 95 फ़ीसदी से अधिक जा रहा है। वर्तमान समय में यह स्तर 99 फ़ीसदी के पार पहुंचने लगा है जबकि कुछ करियर विकल्पों के चलते साइंस कोर्सेज इस दौड़ में काफी पीछे छूट रहे हैं।
प्रिंसिपल क्या कहते हैं
श्री अरविंदो कॉलेज के प्राचार्य डॉ विपिन अग्रवाल कहते हैं कि वर्ष 1990 तक साइंस कोर्सेज का प्रभाव था लेकिन तत्पश्चात कॉमर्स व आर्ट्स विषयों में जॉब के विकल्प बढ़ने लगे जिससे छात्रों में बीए कोर्सेज के प्रति रुचि बढ़ने लगी और इस स्ट्रीम में ज्यादा प्रवेश लेने लगे, जिससे कटऑफ भी बढ़ने लगी। उन्होंने इस साल बीए (इको-कॉमर्स) कंबीनेशन में हुए प्रवेश के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बीते वर्ष की तुलना में इस कोर्स में तीन से चार फ़ीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली जिस कारण पहली कटऑफ में ही सीटों के मुकाबले में तीन गुना दाखिला देखने को मिला। राजधानी कॉलेज प्रिंसिपल डॉ राजेश गिरी कहते हैं कि बीते पांच से छः वर्षों के ट्रेंड को देखें तो 90 से 95 फ़ीसदी अंक प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है जिससे कटऑफ में भी उछाल आता जा रहा है। इस कट ऑफ को वे सीबीएसई के मूल्यांकन से भी जोड़ कर देखते हैं।