जुलाई से सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी दर -7.5 फीसदी है। भले ही आंकड़े पहली तिमाही को देखते हुए काफी अच्छे हैं लेकिन फिर भी लगातार दो तिमाही में जीडीपी की नेगेटिव ग्रोथ को तकनीकी तौर पर आर्थिक मंदी कहा जा रहा है।
कोरोना के कारण भारत की अर्थव्यवस्था अब तकनीकी तथा अधिकारिक तौर पर आर्थिक मंदी की चपेट में पूरी तरह से आ गई है क्योंकि भारत में लगातार दो तिमाही से संकुचन दर्ज किया जा रहा है। हाल ही में शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा जुलाई से सितंबर की तिमाही के आंकड़े जारी किए गए हैं। जिसमें देश की जीडीपी -7.5 प्रतिशत रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले 40 सालों में पहली बार पहली तिमाही में जीडीपी 3% की ऐतिहासिक गिरावट के साथ दर्ज की थी इसीलिए इस बार सबकी निगाहें जीडीपी के आंकड़ों पर टिकी हुई थी।
गौरतलब है कि दूसरी तिमाही में जीडीपी की गिरावट 10% रहने की उम्मीद जताई जा रही थी परंतु इस बार जीडीपी के आंकड़े उम्मीद से बढ़कर आए हैं तथा गिरावट की रफ्तार कम हुई है, माना जा रहा है कि चौथी तिमाही यानि कि जनवरी से मार्च 2021 में भी यह गिरावट कम होती रहेगी और वृद्धि दर सकारात्मक हो सकती है।
दरअसल जीडीपी देश की आर्थिक गतिविधियों के स्तर को बयां करता है और इससे यह पता लगता है कि किन सेक्टर की वजह से देश में जीडीपी में तेजी आई है या फिर गिरावट दर्ज की गई है। इससे यह भी पता चलता है कि वर्ष भर में देश की अर्थव्यवस्था में कितना अच्छा यह कितना बुरा प्रदर्शन किया है। यदि जीडीपी दर सुस्ती को दिखाता है तो इसका अर्थ होता है कि देश की अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही है और बीते हुए साल के मुकाबले 1 साल सामान का उत्पादन उतना नहीं किया गया है और सेवा के क्षेत्र में भी गिरावट दर्ज हुई है।
देश की दो प्रमुख एजेंसियों की एसबीआई और कृष्ण क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी तिमाही में जीडीपी में गिरावट की दर 10.7% के करीब रहने की संभावना जताई गई थी।
विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार जीडीपी ग्रोथ आंकड़े
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में सकल संपत्ति मूल्य - 7 फ़ीसदी रहा है जबकि इसका अनुमान 8.6% रहने का था और दूसरी तिमाही में क्षेत्र के अनुसार विभिन्न जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े हैं:-
कृषि क्षेत्र 3.4%
मैन्युफैक्चरिंग 0.6%
विद्युत 4.4%
वित्त बीमा और रियलिटी 8.8%
निर्माण 8.6%
खनन 9.1%
लोक प्रशासन व रक्षा 12.2%
ट्रेड एवं होटल्स 15.6%
गौरतलब है कि दूसरी तिमाही में उद्योग के क्षेत्र में 2.1 फ़ीसदी, विनिर्माण क्षेत्र में 8.6%, खनन के क्षेत्र में 9.1 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।
आर्थिक वृद्धि दर की संभावना बढ़ाई गई
भारत की आर्थिक वृद्धि दर की उम्मीद वर्ष 2020 के लिए बढ़ा दी गई है। यह अनुमान -8.9 फ़ीसदी कर दिया गया है। रेटिंग एजेंसी ने कैलेंडर वर्ष 2021 के लिए भी आर्थिक वृद्धि दर 8.1% से बढ़ाकर 8.6% किया गया है।
ग्लोबल रिसर्च और ब्रेकिंग हाउस गोल्डमैन सैक्स के कैलेंडर के अनुसार 2021 में भारत की जीडीपी 10% की दर से बढ़ सकती है तथा यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। 2022 में यह ग्रोथ 7.3% के करीब रह सकती है। भारत में जीडीपी की स्थिति कोरोनावायरस के भयंकर प्रकोप को दर्शा रही है।
राजकोष में हुआ है इतना घाटा
केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 7 महीनों में भारत का संघीय राजकोष में घाटा 9.53 लाख करोड़ रुपए रहा है। जिसे हम पूरे वित्त वर्ष के लिए बजट लक्ष्य का 126.7% मान सकते हैं। आंकड़ों के मुताबिक शुद्ध टैक्स 5.76 लाख करोड़ रुपए है तथा 1 साल पहले की तुलना में 15.7 फ़ीसदी कम दर्ज हुआ है जबकि कुल खर्च 16.6 लाख करोड़ रुपए तक रहा है।