भारत सरकार के केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से साइबर क्राइम और धोखाधड़ी से होने वाले नुकसानों को रोकने के लिए एक नया राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर शुरू किया गया है। यह हेल्पलाइन नंबर तथा रिपोर्टिंग प्लेटफार्म सरकार की तरफ से साइबर धोखाधड़ी के मामलों की सूचना देने के लिए जारी किया गया है। सरकार के अनुसार यह प्लेटफार्म लोगों के लिए एक विशेष प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराता है। जिससे वे साइबर ठगी से बच सकें और उनकी मेहनत से कमाई हुई पूंजी को भी बचाकर रखा जा सके। दरअसल सरकार ने इस हेल्पलाइन नंबर को पहले 1 अप्रैल 2021 को सॉफ्ट लॉन्च किया था। यानी कि यह हेल्पलाइन पहले एक सीमित तौर पर आरंभ की गई थी।
भारत सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक यह हेल्पलाइन तथा रिपोर्टिंग प्लेटफार्म इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन (I4C) के द्वारा भी संचालित किया जा रहा है और इसमें भारत के सभी बड़े बैंकों का काफी अधिक सहयोग मिल रहा है। इन बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यूनियन बैंक, यस बैंक तथा कोटक महिंद्रा बैंक जैसे कई बैंक शामिल हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस पूरे कार्य को ऑनलाइन मर्चेंट की सहायता तथा गृह मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस प्रणाली की सहायता से आज के समय में लगभग 7 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में इसे लागू किया गया है। इनमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना राज्य शामिल हैं।
अब सरकार द्वारा ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों पर लगाम लगाने के लिए पूरे भारत में इस व्यवस्था को लागू करने का कार्य संपन्न किया जा रहा है। इस तरह से फ्लिपकार्ट, ऐमेज़ॉन, फोन पे, पेटीएम तथा मोबिक्विक जैसे भुगतान और वॉलेट मंच भी इस कार्य में अपना सक्रिय योगदान दे रहे हैं और भारत सरकार की सहायता कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा जारी एक बयान में इस बात की पुष्टि की गई है कि बहुत ही सीमित स्तर पर इस हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत की गई थी। मात्र 2 महीने में ही हेल्पलाइन नंबर 155260 से धोखाधड़ी की कम से कम 1.85 करोड़ रुपए की रकम को अपराधियों से बचाने में सहायता मिली है। दरअसल इनमें दिल्ली से 58 लाख रुपए और राजस्थान से 53 लाख रुपये बचाये गए हैं।
आप भी इस तरह से दर्ज करा सकते हैं शिकायत
किसी भी तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले में आप हेल्पलाइन नंबर के साथ-साथ ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए https://cybercrime.gov.in पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करनी होती है। बता दें कि सरकार द्वारा यह पोर्टल पिछले वर्ष आरंभ किया गया था और इस प्रोजेक्ट में सबसे पहले दिल्ली और उसके बाद राजस्थान को जोड़ा गया था परंतु अब कई राज्य इससे जुड़ चुके हैं।
इस तरह से कार्य करता है हेल्पलाइन प्लेटफार्म
- सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर कोई भी शिकायत दर्ज होने पर उस राज्य की पुलिस इस मामले का संचालन देखती है।
- दरअसल जो भी व्यक्ति इस नंबर पर कॉल करता है उसकी कॉल रिसीव करने वाला एक पुलिस ऑपरेटर होता है। वह ऑनलाइन होने वाली धोखाधड़ी तथा लेनदेन का पूरा ब्यौरा लेने के बाद इस जानकारी को बुनियादी तौर पर लिखता है।
- इसके बाद इसे वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर एक टिकट के रूप में दर्ज कर देता है।
- अब यह टिकट बैंक वॉलेट या संबंधित मर्चेंट आदि तक भेजा जाता है।
- इसके बाद जो भी व्यक्ति इस ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हुआ है उसे एक एसएमएस भेजा जाता है। इसमें उसके शिकायत की पावती संख्या दर्ज होती है।
- उसे इस पावती संख्या का प्रयोग करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा ब्यौरा राष्ट्रीय साइबर क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल पर जमा करना होता होता है।
- अब इस धोखाधड़ी से संबंधित बैंक अपने सिस्टम पर इस पूरे ब्योरे की जांच पड़ताल करता है।
- यदि धोखे से प्राप्त किया हुआ पैसा अभी भी बैंक में ही मौजूद है तो साइबर क्राइम अपराधी इस पैसे को किसी भी तरह से नहीं निकलवा सकता। परंतु यदि यह पैसा किसी दूसरे बैंक में डाल दिया गया है तो यह टिकट उस अगले बैंक को भेजा जाता है जिसमें पैसा डलवाया गया है।
- यह पूरी प्रोसेस तब तक चलती रहती है जब तक पैसे को बचा नहीं लिया जाता। इस तरह से चाहे कितने भी बैंक बदल कर यह पैसा हड़पने की कोशिश अपराधियों द्वारा की जाए। परंतु पैसा किसी भी तरह से जालसाजों के हाथों में पहुंचने नहीं दिया जाता।