काफी रहस्यमय घटनाओं और लगभग एक लंबी प्रक्रिया के बाद पृथ्वी ग्रह पर जीवन की उत्पत्ति हुई। पृथ्वी सौरमंडल का एक मात्र ऐसा ग्रह है, जिसमें जीवन पाया जाता है। पृथ्वी पर लगभग 7 मिलियन से भी अधिक प्रजातियों की संभावना है जिसमें सिर्फ 1.4 मिलियन प्रजातियां ही ज्ञात हैं। एक पारिस्थितिक तंत्र में हर एक जीव-जंतु का अपना अलग सा महत्व है जो इस पृथ्वी के वातावरण को संतुलित रखता है लेकिन बढ़ते इंसानी प्रभाव से अन्य जातियों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। कई जातियां जहां विलुप्त हो चुकी हैं तो वहीं कई जातियां विलुप्ति की कगार पर खड़ी हैं। जीव-जंतुओं के प्राकृतिक आवास को नुकसान, अवैध रूप से शिकार और आपसी संघर्ष भी कई जातियां खत्म हो चुकी हैं, इसके साथ ही पक्षियों का हमारे इकोसिस्टम में बेहद महत्व है जो हमारे वातावरण को शुद्ध रखते हैं।
आपने ज्यादातर गांव-देहात में एक चिड़िया को चुगते हुए जरूर देखा होगा, गौरैया जिसे कहा जाता है। अभी यह परिंदा हमारी आंखों से लगभग ओझल हो चुका है, ऐसे ही कई अन्य पक्षियां भी विलुप्त के कगार पर मौजूद हैं। पक्षी, जीवन और जैव विविधता का एक जरूरी हिस्सा हैं, इनकी गणना करने का प्रयास लगभग हर कोई करता है लेकिन आसमान में स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले इन पक्षियों की गणना करना संभव नहीं है। परंतु पिछले दिनों ही प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज पत्रिका में प्रकाशित किया गया कि ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथवेल्स यूनिवर्सिटी में कोरे कैलागन की अगवाई में पक्षियों की गणना पर एक अध्ययन किया गया। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि धरती पर 50 अरब से ज्यादा परिंदे मौजूद हैं। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि हमारी धरती पर 50 से 428 अरब के बीच पक्षियों की आबादी है।
अध्ययन के आधार
पक्षियों के अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने गणना के लिए विभिन्न आधार लिए, जिसमें शोधकर्ताओं ने ई-बर्ड के आंकड़ों और एल्गोरिदम की सहायता से यह अनुमान लगाया। ई-बर्ड पर दुनिया के 6 लाख सिटीजन वैज्ञानिकों का डाटा सुरक्षित है।
कितने पक्षी हैं किस प्रजाति के
शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाकर विभिन्न प्रजातियों की संख्या के बारे में डेटा दिया, जिसमें उन्होंने सबसे ज्यादा आबादी गौरैया (घरेलू चिड़िया) की बताई।
- 1.6 अरब आबादी गौरेया
- 1.3 अरब यूरोपीय मैना
- 1.2 अरब रिंग-बिल्ड गर्ल (मैरिन बर्ड)
- 1.1 अरब वार्न स्वालो
यह पक्षी हैं विलुप्ति की कगार पर
बढ़ता आधुनिकीकरण और इंसानी प्रभाव से कई प्रजातियों पर खतरा मंडरा रहा है इनमें कई जातियां समाप्त हो चुकी हैं तो कई दुर्लभ श्रेणी में पहुंच चुकी हैं। पक्षियों पर भी बढ़ते खतरे से कई जातियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं जिनमें न्यूजीलैंड का राष्ट्रीय पक्षी कीवी भी है इसकी संख्या महज तीन हजार रह चुकी है। मेडागास्कर में पाई जाने वाली मैसाइट चिड़िया सिर्फ 1,54,000 ही जीवित हैं। गिद्ध, डोडो जैसे परिंदे, जो कि हमारे इको सिस्टम के महत्वपूर्ण अंग थे, यह भी समाप्ति की ओर बढ़ चुके हैं। ऐसे ही कई प्रजातियां दुर्लभ श्रेणी में आकर समाप्त हो चुकी हैं। पिछले चार दशक में दुनिया भर से 40 फ़ीसदी पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है।
हमारे पारिस्थितिक तंत्र से किसी भी जाति का विलुप्त होना एक बहुत बड़ा संकट है जिसके परिणाम हमें आने वाले कुछ ही सालों में दिख जाएंगे। वैसे तो इंसानी विकास के लिए प्रकृति का बहुत ही ज्यादा विनाश किया जा रहा है जिस कारण कई प्रकार के प्रदूषण आज हमारे वातावरण पर फैल चुका है और इसी का नतीजा है; जीव जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त, जलवायु परिवर्तन और ग्रीन हाउस गैसों में बेतहाशा बढ़ोतरी।