प्रत्येक साल लाखों करोड़ों अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होते हैं और उनमें से सिर्फ 1% से भी कम अभ्यर्थियों का चयन होता है भारतीय प्रशासनिक सेवा में। भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए देश की सबसे कठिन परीक्षा में से गुजरना पड़ता है, वह परीक्षा है भारतीय सिविल सेवा परीक्षा। यह परीक्षा कठिन हो भी क्यों नहीं, क्योंकि देश की बागडोर इन्हीं अधिकारियों के मजबूत कंधों पर होती है जिन्हें कई प्रकार की जिम्मेदारियां, दायित्व एवं कर्तव्यों का पालन बखूबी करना पड़ता है। भारतीय सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) कराता है इसी परीक्षा को पास करके आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस जैसे उच्च पदों पर कैडेट्स को नियुक्त किया जाता है। भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी कि इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस को देश का सबसे अहम सरकारी सेवा विभाग माना जाता है। इस विभाग में सेवा करने का सपना हर वह युवा देखता है समाज में रहकर सामाजिक कार्यों को पूरे मन से करता है। परंतु इस सेवा में जाने के लिए कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिसे कि केवल कुछ ही लोग गुजार पाते हैं।
भारत सरकार के लगभग 24 विभागों में योग्य और कुशल व्यक्तियों की नियुक्ति संघ लोक सेवा आयोग सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से करवाता है जिनमें आईएफएस और आईपीएस का पद भी शामिल है लेकिन इन सभी पदों में आईएएस पद को काफी अहम माना जाता है क्योंकि वह भारत सरकार के प्रशासनिक कार्यो की देखरेख करता है। यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में चयनित अभ्यर्थी सरकार के विभिन्न मंत्रालय में सचिव, संयुक्त सचिव, विभागों एवं जिलों के प्रशासनिक अधिकारी/जिला अधिकारी बनते हैं। भारत सरकार के ब्यूरोक्रेसी के सबसे बड़े पद कैबिनेट सचिव तक एक आईएएस अधिकारी ही पहुंचता है। इतने बड़े पद तक पहुंचना एक कठिन प्रक्रिया होगी जिसे जानने की इच्छा आप लोगों के मन में रहती है। तो चलिए जानते हैं आईएएस बनने की प्रक्रिया और उसके अधिकारों, शक्तियों एवं वेतन, भत्तों व सुविधाओं से जुड़े आदि तथ्यों को....
कैसे बनते हैं आईएएस और क्या है इसकी योग्यता
- आईएएस बनने के लिए कोई अधिक योग्यता और ना ही ज्यादा नंबर प्रतिशतो की आवश्यकता होती है, बल्कि सिर्फ उम्मीदवार का भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होना अनिवार्य है।
- स्नातक अभ्यर्थी यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेता है और परीक्षा पास करनी पड़ती है। आपको बता दें कि यह परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक है।
- इस परीक्षा के जरिए भारत सरकार के करीब 24 सेवा विभागों में अभ्यर्थियों को नियुक्ति उनके रैंक के अनुसार मिलती है।
- परीक्षा में लगभग शीर्ष 100 रैंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी ही आईएएस अधिकारी बन पाते हैं।
- चयनित अधिकारियों की 3 महीने की शुरुआती ट्रेनिंग लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) में होती है।
- ट्रेनिंग पूरी करने के बाद आईएएस अधिकारी को एक मेडल दिया जाता है।
क्या है आईएस प्रशिक्षण व्यवस्था
- शुरुआती प्रशिक्षण यानि फाउंडेशन कोर्स 16 सप्ताह की लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मसूरी में होती है।
- व्यवसायिक प्रशिक्षण (प्रथम चरण) जो कि 26 हफ्ते की होती है यह भी मसूरी में की जाती है।
- राज्य स्तर पर प्रशिक्षण (जिला प्रशिक्षण) - 52 सप्ताह
- संस्थागत प्रशिक्षण (प्रथम चरण) - 3 सप्ताह
- विभिन्न विभागों में व्यावहारिक प्रशिक्षण (जिला प्रशिक्षण) - 45 सप्ताह
- संस्थागत प्रशिक्षण (दूसरा चरण) - 4 सप्ताह
- व्यवसायिक प्रशिक्षण (दूसरा चरण) - 9 सप्ताह
क्या है आईएस प्रशिक्षण की व्यवस्था
- प्रशिक्षु अधिकारियों की आधारभूत प्रशिक्षण के बाद 26 सप्ताह का आईएस व्यावसायिक प्रशिक्षण (प्रथम चरण) शुरू होता है। इसमें आवश्यक अकादमिक ज्ञान के साथ ही प्रशिक्षुओं को व्यवहारिक ज्ञान कराया जाता है।
- प्रशिक्षु अधिकारियों को अलग-अलग समूह में 2 सप्ताह के लिए देश की विभिन्न सांस्कृतिक विविधता से परिचित कराने के लिए पूरे देश का भ्रमण कराया जाता है।
- देश के संसदीय व्यवस्था का व्यावहारिक ज्ञान से रूबरू किया जाता है और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री से संवाद करने का अवसर भी मिलता है।
- इन चरणों के पूरा होने के बाद आवंटन के आधार पर राज्य में भेजा जाता है जहां 52 सप्ताह यानी कि एक साल का जिला स्तरीय प्रशिक्षण शुरू होता है।
- इस दौरान अधिकारियों को राज्य प्रशासनिक अकादमी में राज्य प्रशासन तंत्र का 3 सप्ताह का संस्थागत प्रशिक्षण मिलता है।
- इस प्रशिक्षण के बाद इनकी प्रशिक्षु अधिकारी के तौर पर जिला विभागों और नगर निकायों में नियुक्ति होती है जहां से इन्हें कार्मिक प्रशासन, वित्तीय प्रशासन, राजस्व प्रशासन, सामान्य कानून एवं नियम, भू-सुधार, नियोजन एवं विकास आदि का सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त होता है।
- इस दौरान उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या आने पर इसके समाधान के लिए जिलाधिकारी का निर्देशन मिलता है।
- राज्य स्तर के इस प्रशिक्षण के आख़िरी चरण में पुनः राज्य प्रशासन अकादमी में दूसरे चरण का 4 सप्ताह का संस्थागत प्रशिक्षण मिलता है।
- यह सभी प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वह वापस लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी लौटते हैं और वहां 6 सप्ताह का व्यवसायिक प्रशिक्षण का दूसरा चरण शुरू होता है।
- इस प्रशिक्षण का उद्देश्य आईएएस अधिकारी के रूप में उन्हें शारीरिक-मानसिक तौर पर तैयार करना, राइटिंग तथा संवाद क्षमता बढ़ाना, विश्लेषण शक्ति को बढ़ाना, कंप्यूटर और राजभाषा में कार्य दक्षता और आत्मविश्वास से संपन्न श्रेष्ठ अधिकारी बनाना है।
- इसके बाद यूपीएससी और अकादमी द्वारा आयोजित एक और लिखित परीक्षा से प्रशिक्षुओं को गुजरना पड़ता है। इसमें सफल होने तथा राज्य का कैडर सेवा पूर्ण कर लेने के बाद ही स्थाई नियुक्ति मिलती है।
- आईएएस अधिकारी बनने और अपने प्रशासनिक सेवा काल के दौरान भी आवश्यकतानुसार उन्हें कई बार संक्षिप्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होना पड़ता है।
कहां और कैसे होती नियुक्ति
- एक आईएएस अधिकारी की नियुक्ति के पहले वर्ष में लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते रहते हैं। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें एक उपखंड (sub-division) दे दिया जाता है।
- शुरुआत में आईएएस अधिकारी को सब डिविजनल ऑफीसर, सब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और सीडीओ जैसे पदों पर नियुक्ति दी जाती है।
- प्रत्येक 2 वर्ष कार्य कर लेने के बाद उनका एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर किया जाता है, जबकि अंडर सेक्रेटरी के तौर पर प्रशिक्षण के लिए 18 महीने के लिए उन्हें सचिवालय भेजा जाता है।
- इसके बाद डिस्टिक मजिस्ट्रेट, जिला कलेक्टर, डीसी या डिविजनल कमिश्नर के पद पर उन्हें नियुक्ति मिलती है।
- एक आईएएस की नियुक्ति किसी स्वायत्त संगठन, सार्वजनिक उपक्रम, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी की जा सकती है। केंद्रीय मंत्री के सचिव के रूप में भी आईएएस अधिकारी कार्य करता है।
आईएएस के ड्रेस कोड और अंगरक्षक
आईएएस का कोई मेन ड्रेस को नहीं होता। वह अपनी इच्छा अनुसार ड्रेस पहनते हैं लेकिन ज्यादातर अधिकारी फॉर्मल ड्रेस और कोट में रहते हैं। सुरक्षा और वरीयता पद के अनुसार एक आईएएस के साथ दो या तीन अंगरक्षक और सहायक रहते हैं।
आईएएस के मुख्य कार्य एवं जिम्मेदारियां
- किसी जिले का पहला नागरिक जिलाधिकारी होता है और एक आईएएस जिलाधिकारी के तौर पर काफी शक्तिशाली होता है।
- जिला अधिकारी के तौर पर वह जिले के पुलिस विभाग के साथ ही प्रशासनिक मुखिया भी होता है।
- आईएएस अधिकारी पद एवं दायित्व स्तर पर विभिन्न देशों और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- यह सरकार के प्रतिनिधि के रूप में विभिन्न प्रस्तावों, संधि एवं समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत हैं।
- सरकार की नीतियों और कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने का कार्य एक आईएएस अधिकारी का होता है।
आईएएस की पदोन्नति
वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की पदोन्नति होती है। सेवा समय के साथ ही इनका प्रदर्शन भी प्रोन्नति का आधार बनता है। पदोन्नति के बाद यह केंद्र और राज्य सरकार के अंतर्गत कई पदों पर कार्य करते हैं जैसे :
- भारत सरकार के अधीन निदेशक
- भारत सरकार के सचिव/प्रधान सचिव
- कैबिनेट सेक्रेटरी
- भारत के राज्य सरकार में अवर सचिव
- भारत सरकार में संयुक्त एवं राज्य सरकार में सचिव
- भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव/राज्य सरकार के मुख्य सचिव
आईएस के वेतन भत्ते और सुविधाएं
- स्केल के आधार पर अधिकारियों के वेतन होते हैं जूनियर स्केल, सीनियर स्केल, सुपर टाइम स्केल के अलावा वेतनमान में अलग-अलग वेतन बैंड होते हैं।
- एक आईएएस अफसर को कई बेहतरीन सुविधाएं, भत्ते और उच्च वेतन प्राप्त होता है। सातवां वेतनमान के अनुसार एक आईएएस अधिकारी का बेसिक वेतन 56,100 से शुरू होता है।
- टीए डीए भत्तों को गिने तो शुरुआती में ही एक लाख वेतन होता है। जबकि मुख्य सचिव का 2,50,000 वेतन होता है।
- अफसरों को बंगला, कुक, चपरासी और स्टाफ जैसी तमाम सुविधाएं दी जाती हैं। इन सुविधाओं के साथ ही फ्री यात्रा और दूरभाष सेवा भी मिलती है।