Made In China
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त्योहारी सीजन में Made in China प्रोडक्ट्स खरीदने वालों की संख्या घटी

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म Local Circles के एक सर्वे के मुताबिक पिछले साल फेस्टिव सीजन में चाइनीज प्रोडक्ट्स को जहां 48 फ़ीसदी लोगों ने खरीदा, तो वहीं इस सीजन में यह आंकड़ा गिरकर 29 फ़ीसदी पर आ गया। केवल 29% लोगों ने ही चाइनीज सामानों की खरीदारी की।

'आत्मनिर्भर-भारत' व 'लोकल 4 वोकल' जैसे कैंपेन से भारतीय उपभोक्ताओं ने इस बार स्वदेश निर्मित चीजों का अधिक से अधिक प्रयोग किया। मौजूदा त्योहारी सीजन में भारतीय उपभोक्ताओं ने 'मेड इन चाइना' प्रोडक्ट को खरीदने में भी कम रुचि दिखाई। लोकल सर्किल के सर्वे से इस बात का खुलासा हुआ कि इस साल केवल 29 फ़ीसदी लोगों ने ही चीनी सामानों की खरीदारी की, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 48 फीसद था। 

Local circles के फाउंडर और चेयरमैन सचिन तापड़िया ने अपने एक बयान में कहा कि "14 हजार से ज्यादा लोगों पर किए गए सर्वे में इस साल 29 फ़ीसदी लोगों ने चाइनीज प्रोडक्ट्स की खरीदारी की, जबकि पिछले वर्ष 48 फ़ीसदी लोगों ने ऐसा करने की बात कही। यानी इस साल चाइना सामान के उपभोक्ताओं में गिरावट दर्ज की गई। यह सर्वे 10 से 15 नवंबर के बीच देश के 204 जिलों में किया गया था।


सीमा-विवाद व सैनिकों की शहादत के कारण बहिष्कार 


गलवान वैली में हुई झड़प से 20 भारतीय वीरों की शहादत पर पूरा देश गुस्से में है, जिससे बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट ने जोर पकड़ लिया। सरकार ने भी डिजिटल स्ट्राइक व आयत बंद करके चीन को बैकफुट पर धकेल दिया। इसी के चलते त्योहारी सीजन में लोगों ने चाइना के सामानों का पूर्ण बहिष्कार किया।‌ यहां तक कि चीन में बना सामान खरीदने वाले 29% लोगों में से 71% लोगों ने कहा कि उन्होंने अनजाने में ये सामान खरीदे। भारत में चीन विरोधी भावना को बढ़ते हुए देखकर लोकल सर्कल द्वारा यह सर्वे किया गया। सर्वेक्षण में 87% भारतीयों ने कहा कि वे अगले एक साल के लिए चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने के लिए तैयार है।


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चीनी सामानों की तुलना में भारतीय प्रोडक्ट महंगे होते हैं इसलिए चीनी सामान की बाजार में डिमांड बढ़ जाती है। सर्वे में कई उपभोक्ताओं ने कहा कि कीमतें ज्यादा होने के कारण इनकी क्वालिटी भी बेहतर हो सकती हैं। त्योहारों से जुड़े कई चीजें जैसे एलईडी लाइटिंग, टीलाइट कैंडल्स, प्लास्टिक एक बार उपयोग होने वाले प्रोडक्ट्स हैं और इसलिए उपभोक्ता को उनकी क्वालिटी से कोई खास फर्क नहीं पड़ता। 

सर्वे ने कहा कि "इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि भारत सरकार और MSMEs मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाएं, ताकि कीमतों को लेकर प्रतिस्पर्धी प्रोडक्ट मार्केट में उतार सकें। यदि अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट्स कम कीमत पर मिलेंगे तो भारतीय उपभोक्ता की प्राथमिकता भारतीय प्रोडक्ट्स ही होंगी।"

जिससे इस बार की तरह ही हर बार भारतीय उपभोक्ता चीनी प्रोडक्ट्स पर कम खर्च कर सकें।


डिस्क्लेमर: यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार इन्वेस्टमेंट करने से पहले आप अपने एडवाइजर से अवश्य परामर्श लें या उस से सम्बंधित दश्तावेज़ों का अध्यन अवश्य करें। हम आपके किसी भी फायदा या नुक्सान के लिए जिम्मेदार नहीं माने जायेंगे।

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