Veer Abdul Hamid
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जानिए परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के बारे मे | Veer Abdul Hamid

6 दिसंबर 1965 की रात पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना के जवान उनका मुकाबला करने के लिए तैयार हो गए। जिनमें अग्रिम पंक्ति पर तैनात होने वाले एक सिपाही थे वीर अब्दुल हमीद। जिनके अभूतपूर्व साहस और संघर्ष ने 1965 को भारत माता की रक्षा की थी। Veer Abdul Hamid


आइए जानते हैं वीर अब्दुल हमीद के बारे में


जीवन परिचय- शहीद परम वीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में एक साधारण परिवार में 1 जुलाई 1933 में हुआ था। इनकी माता का नाम सकीना बेगम और पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था। 27 दिसंबर 1954 को अब्दुल हमीद भारतीय सेना के 4 ग्रेनेडियर रेजीमेंट में भर्ती हुये। बाद में उनकी तैनाती रेजिमेंट के 4 ग्रेनेडियर बटालियन में हुई जहां उन्होंने अपनी सैन्य सेवा काल तक अपनी सेवायें दी। अपनी इस बटालियन के साथ उन्होंने आगरा अमृतसर ,जम्मू कश्मीर ,दिल्ली ,नेफा ,रामगढ़ में भारतीय सेना को अपनी सेवा दी।


1965 के युद्ध में भूमिका


भारत में असंतोष /अराजकता पैदा करने के लिए तथा शासन व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह भड़काने के लिए पाकिस्तानी सेना ने 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' के तहत घुसपैठ की गतिविधि शुरू की थी | 5 - 10 अगस्त के बीच पाकिस्तानी सैनिकों की घुसपैठ की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही थी भारतीय सैनिकों द्वारा अवैध घुसपैठियों को रोका गया और पाकिस्तानी घुसपैठियों को पकड़ लिया गया पकड़े गए घुसपैठियों से कुछ दस्तावेज सामने आए इन दस्तावेजों में इस बात का सबूत मिला कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए गोरिल्ला हमले की योजना बनाई थी । पाकिस्तान ने इस हमले को अंजाम देने के लिए अपने 30,000 सैनिकों को प्रशिक्षित किया था।


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हुआ यह था कि 8 सितंबर 1965 की रात में पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला किया गया उस समय वीर अब्दुल हमीद पंजाब के 'तरनतारन' जिले के खेमकरण सेक्टर में तैनात थे। पाकिस्तान ने 'अमेरिकन पैटन टैंको' के साथ 'खेमकरण सेक्टर' के 'असल उताद' गाँव पर हमला कर दिया। उस समय भारत की स्थिति ऐसी थी कि ना तो उनके पास टैंक थे और नहीं बड़े शक्तिशाली हथियार भारतीय सैनिक अपनी साधारण 3 नॉट 3 राइफल और एलएमजी के साथ पैटन टैंकों का सामना करने चले गए ।


पराक्रम का परिचय 


संसाधनों की कमी के बावजूद भी भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस और भारत माता की रक्षा के लिए सैनिकों के हौसले बुलंद थे." पैटन टैंकों" का सामना अब्दुल हमीद सिंह ने अपनी "गन माउंटेड जिप्सी"  से किया जो 'पैटन टैंकों' के सामने खिलौने के समान थी। वीर अब्दुल हमीद ने जिप्सी पर बैठकर अपनी गन से पैटन टैंकों को निशाना बनाया और उन्हें ध्वस्त करना प्रारंभ किया। उनके हौसलों को देखकर पाकिस्तानी सेना में भगदड़ मच गई और देखते ही देखते अब्दुल हमीद ने अपनी 'गन आउटेड जीप' से पाकिस्तानी टैंक को नष्ट कर दिया। उन्होंने कुल 7 पाकिस्तानी टैंकों को तबाह कर दिया और पाकिस्तानी टैंक कबराग्रहः बन गए ।


पाकिस्तानी टैंकों का पीछा करते-करते उनकी जीप पर एक गोला गिर पड़ा जिसमें वे बुरी तरह से घायल हो गए । अगले 9 सितंबर को भारत माता ने अपना एक पुत्र खो दिया उनके शहीद होने की घोषणा 10 सितंबर को की गई ।उनके युद्ध पराक्रम और असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पहले महावीर चक्र प्रदान किया गया।और बाद में सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र प्रदान किया गया। संपूर्ण भारत वर्ष उनके बलिदान का ऋणी रहेगा और उनकी बहादुरी को शत-शत नमन करता है।

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