Dr. Vikram Sarabhai
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जिनकी कोशिशों की वजह से देश को मिला इसरो | Dr. Vikram Sarabhai

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जो भारत के लिए अंतरिक्ष संबंधित तकनीकी उपलब्ध कराता है अंतरिक्ष कार्यों  के मुख्य उद्देश्य में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी रॉकेटों और भू प्रणालियों का विकास शामिल है।

जब भी भारतीय इतिहास में अंतरिक्ष कार्यक्रमों की बात आती है तो एक नाम हर व्यक्ति की जुवां पर रहता है जो है -विक्रम अंबालाल साराभाई।अब प्रश्न उठता है कि Dr. Vikram Sarabhai कौन थे?

aryavi.com के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि विक्रम अंबालाल साराभाई कौन थे? और वैज्ञानिक शोध और अभियांत्रिकी के क्षेत्र में इसका क्या योगदान रहा।

विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक थे जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है इनके द्वारा 40 संस्थान खोले गए और 86 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे गए । अपने अभूतपूर्व कार्यों के लिए उन्हें समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से भी नवाजा गया।


जीवन परिचय


12 अगस्त 1919 में अहमदाबाद में जन्मे साराभाई ने गुजरात कॉलेज ,सेठ सी एन विद्यालय सेंट कॉलेज कैंब्रिज से अपनी शिक्षा प्राप्त की थी। वे एक महान संस्था बिल्डर थे उनके द्वारा जिन संस्थानों की नींव रखी गई वे इस प्रकार हैं-

  • जब वे मात्र 28 साल के थे तब उन्होंने 11 नवंबर 1947 को अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला पीआरएल की स्थापना की यह उनके निर्माता संस्थान की दिशा में पहला कदम था।
  • भारतीय प्रबंध संस्थान , अहमदाबाद 
  • कम्युनिटी साइंस सेंटर, अहमदाबाद 
  • कला प्रदर्शन के लिए दर्पण अकादमी ,अहमदावाद 5.विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवंतपुरम 6.अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ,अहमदावाद
  • फास्ट ब्रीडर रिएक्टर, कलपक्कम
  • परिवर्ती ऊर्जा साइक्लोट्रॉन परियोजना, कोलकाता 9.भारतीय इलेक्ट्रॉनिक की निगम लिमिटेड, हैदराबाद 10.भारतीय यूरेनियम निगम लिमिटेड, बिहार


ISRO साराभाई की सबसे बड़ी देन


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना 15 अगस्त 1970 में की गई थी उस समय इसका नाम अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति INCOSPAR था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की स्थापना साराभाई की सबसे बड़ी उपलब्धि और देन मानी जाती है जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए गौरव की बात है। अंतरिक्ष कार्यक्रम और इसरो के इस कार्यक्रम पर उन्होंने अपना एक वक्तव्य दिया था -

"कुछ लोग प्रगतिशील देशों में अंतरिक्ष क्रियाकलाप की प्रासंगिकता के बारे में प्रश्नचिन्ह लगाते हैं हमें अपने लक्ष्य पर कोई संशय नहीं है हम चंद्र और उपग्रहों के अन्वेषण के क्षेत्र में विकसित देशों की होड़ का सपना नहीं देखते किंतु राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्थ पूर्ण भूमिका निभाने के लिए मानव व समाज की कठिनाइयां के हल में अति उन्नत तकनीक के प्रयोग में पीछे नहीं रहना चाहते"।

उस दौर में परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के अगुआ थे सिर्फ भारत में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय जगत में भी बाबा की खांसी प्रतिष्ठा थी। परमाणु में इलेक्ट्रॉन की गति स्थिति से संबंधित बोर मॉडल देने वाले नील्स बोर के साथ उस जमाने के और जाने-माने बहुत ही वैज्ञानिकों के साथ बाबा काम कर चुके थे । वे परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के हिमायती थे जैसे कलाम को साराभाई ने पहचाना वैसे ही भाभा ने साराभाई की प्रतिभा को पहचाना था।


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दुनिया को पहला उपग्रह आर्यभट्ट देने में इसरो का योगदान


इसरो द्वारा निर्मित और अंतरिक्ष उपग्रह संचालन के अनुभव प्राप्त करने हेतु भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट का निर्माण किया गया जो 19 अप्रैल 1974 को कॉसमॉस 3m प्रक्षेपण वाहन द्वारा कासपुतिन यान से  प्रक्षेपित किया गया । इस प्रकार भारत ने दुनिया को पहला स्वदेश निर्मित उपग्रह आर्यभट्ट प्रदान किया था।


Dr. Vikram Sarabhai को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक के रूप में जाना जाता है वे एक महान संस्था बिल्डर थे ।भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो की स्थापना की जो उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है ।उनके योगदान और इसरो की वर्तमान उपलब्धियों को छूने के लिए भारत का हर नागरिक उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है।

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