वर्तमान समय में ब्रेड हर व्यक्ति, हर घर का एक ऐसा खाद्य पदार्थ बन चुका है जिसे आमतौर पर नाश्ते का सस्ता ,सरल और अच्छा विकल्प माना जाता है।ब्रेड को नाश्ते में उपयोग करने के लिये कभी उसको बटर के साथ तो कभी गार्लिक ब्रेड के विभिन्न प्रकार से सैंडविच बनाकर इसे नाश्ते में शामिल किया जाता है। हालांकि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इसे काफी उत्तम विकल्प नहीं माना जाता है लेकिन इसके बढ़ते उपयोग और डिमांड को मध्य नजर रखते हुए किस प्रकार के ब्रेड अपेक्षाकृत स्वास्थ्य के लिए उपयोगी साबित होगी इस बात का ज्ञान होना बेहद आवश्यक है।
ब्रेड को आज 'डाइटरी विलेन' के रूप में देखा जा रहा है पर यह सच है कि इसमें कुछ पोषकता भी होती है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि वाइट ब्रेड और ब्राउन ब्रेड में किसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए अधिक बेहतर होगा। White Bread vs Brown Bread
ब्रेड कैसे बनता है?
ब्रेड का निर्माण मुख्यतः यीस्ट से खमीर उठाकर तैयार किया जाता है। जिसमें आटा, नमक, शुगर, दूध आयल, प्रिजर्वेटिव्स आदि डाले जाते हैं । इसकी कई तरह की वैरायटी बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती है जिसमें व्हाइट ब्रेड, ब्राउन ब्रेड ,होलव्हीट ब्रेड, पाव, आदि मुख्य हैं ।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के हाल के एक अध्ययन के अनुसार सभी प्रकार के बेड मैं कार्सिनोजेंस केमिकल्स होते हैं जो कैंसर और थायराइड का कारण बनते हैं । आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सुंदर दिखने वाली वाइट ब्रेड को हेल्थ के लिए काफी अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि सुंदर बनाने के लिए इसमें ब्लीचिंग एजेंट जैसे पोटेशियम ब्रोमेट ,और पोटेशियम आयोडाइड मिलाया जाता है और प्रोसेसिंग के दौरान इसके अधिकतर पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं फाइबर कम हो जाता है जिससे पाचन धीमा हो जाता है । व्हाइट ब्रेड का ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होने से खून में शर्करा का लेवल बढ़ जाता है।
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ब्राउन ब्रेड की अगर बात करें तो ब्राउन ब्रेड बनाते समय गेहूं में से चोकर को नहीं हटाया जाता है। जिसकी वजह से ब्राउन ब्रेड में पोषक तत्व रहते हैं ।ब्राउन ब्रेड को वाइट ब्रेड के अपेक्षा अधिक अच्छा माना जाता है जिसको निम्न तथ्यों के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है।
न्यूट्रिशन: व्हाइट ब्रेड की तुलना में ब्राउन ब्रेड को ज्यादा न्यूट्रीसियस और हेल्दी माना जाता है माना जाता है कि ब्राउन ब्रेड में लगभग 1.6 गुना चीनी होती है इसका कारण यह है कि ब्रेड को ब्राउन बनाने के लिए कारमेल का उपयोग किया जाता है वाइट और ब्राउन ब्रेड के निर्माण में एक ही तरह का आटा उपयोग किया जाता है बस ब्राउन ब्रेड में कारमेल मिलाने से इसका रंग बदल दिया जाता है वाइट ब्रेड में मैदे की मात्रा का अधिक उपयोग किया जाता है।
कैलोरीज: वाइट ब्रेड में कैलोरी अधिक होती है। व्हाइट ब्रेड की एक स्लाइड्स में 75 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसलिए 1 दिन में दो स्लाइड से ज्यादा वाइट ब्रेड का सेवन ना करें । वहीं दूसरी और ब्राउन ब्रेड की में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स पाया जाता है जिसकी एक स्लाइड में 73 कैलोरी ऊर्जा होती है जिसे हेल्थ के लिए अच्छा माना जाता है। इससे शुगर मोटापा व कई अन्य चीजें नियंत्रित रहती है इसलिए व्हाइट ब्रेड की अपेक्षा ब्राउन ब्रेड को बेहतर माना जाता है। 'यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी' में प्रस्तुत किए गए एक शोध पत्र के अनुसार रोज 2 स्लाइड से अधिक व्हाइट ब्रेड खाने से मोटापा बढ़ने की आशंका 40% बढ़ जाती है।
फाइबर: फाइबर की बात की जाए तो वाइट ब्रेड की अपेक्षा ब्राउन ब्रेड में फाइबर ज्यादा होता है हालांकि व्हाइट ब्रेड में कैल्शियम की मात्रा ब्राउन ब्रेड की अपेक्षा अधिक होती है।
यह बात सत्य है कि ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है लेकिन इस बात को भी अवॉइड नहीं किया जा सकता है कि रिफाइंड व्हाइट ब्रेड खाने से अचानक ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और फिर अचानक घट जाता है जिससे शरीर में उपयुक्त ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है। ब्लड शुगर सही रखने के लिए जरूरी है कि इसे प्रोटीन वसा युक्त पदार्थों के साथ खाएं क्योंकि रिफायनिंग प्रोसेस के दौरान इसके विटामिंस, मिनरल्स और फाइबर नष्ट हो जाते हैं।
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक अन्य शोध के अनुसार वाइट ब्रेड अधिक खाने से टाइप -2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है जहां तक संभव हो व्हाइट ब्रेड को नाश्ते में उपयोग करने से बचें।