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खगोलविदों ने खोजा एक नया सौर मंडल | Discovery of a New Solar System

खगोलविदों ने कुछ सप्ताह पहले पहली बार सूर्य जैसे तारे का अवलोकन किया था, खगोलविद ऐसे ग्रहों को खोज रहे हैं जो कि हमारे ग्रहों के  चारों ओर हों व जिनकी उम्र अभी बहुत कम हो व युवा ग्रह हों। 


Musca के दक्षिणी तारामंडल में 300 प्रकाश वर्ष दूर स्थित, सूर्य के समान तारा को TYC 8998-960-1 (Discovery of a New Solar System) का नाम दिया गया है। यह तारा अभी 17 मिलियन वर्ष पुराना है और शोधकर्ताओं द्वारा इसे "हमारे अपने सूर्य के बहुत छोटे संस्करण" के रूप में वर्णित किया गया है। खगोलविदों ने छवि/फोटो लेने के लिए यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के बहुत बड़े टेलीस्कोप (ESO के वीएलटी) पर SPHERE उपकरण का प्रयोग किया है और यह शोध The Astrophysical Journal लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। 


यह शोध Leiden University के अलेक्जेंडर बोहैन के नेतृत्व में किया गया और इस में कहा गया है कि  बहु-ग्रह प्रणाली की तस्वीर "पर्यावरण का एक स्नैपशॉट है जो हमारे सौर मंडल के समान है, लेकिन इसके विकास के बहुत पहले चरण में है।" इसका तत्प्रय यह है कि अभी इस दिशा में कई और शोध होने बाकी हैं। 




इस शोध में खगोलविदों ने पाया कि दो गैस विशालकाय Exoplanet पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से 160 और 320 गुना दूरी पर अपने तारे की परिक्रमा करते हैं। एक्सोप्लेनेट ऑर्बिट हमारे सौर मंडल, बृहस्पति और शनि ग्रहों की तुलना में अपने मेजबान तारे से अधिक दूर है।
इससे पहले, खगोलविदों ने अप्रत्यक्ष रूप से हमारी आकाशगंगा में हजारों Exoplanet देखे हैं लेकिन उनमें से कुछ को ही सीधे देखा गया है।

उसके शीर्ष पर सूर्य जैसे होस्ट स्टार के साथ बहु-ग्रह प्रणालियों के अवलोकन बहुत दुर्लभ है।  लेकिन नए अध्ययन में पहली बार दो Exoplanet को सूर्य जैसे तारे की परिक्रमा करते हुए सीधे देखा गया है। अध्ययन के सह-लेखक, लीडेन विश्वविद्यालय के मैथ्यू केनवर्थी ने बताया कि "प्रत्यक्ष अवलोकन पर्यावरण की खोज में महत्वपूर्ण हैं जो हमें जीवन प्रदान कर सकते हैं।" इन अवलोकनों की मदद से, खगोलविदों को लगता है कि यह समझना संभव होगा कि हमारा अपना सौर मंडल कैसे बना।

एक्सोप्लेनेट (Exoplanet  या extrasolar planet) वह ग्रह होते हैं जो हमारे सौर मंडल के बाहर हैं। सबसे पहले ऐसा ग्रह 1917 में खोजा गया था परन्तु वह पहचान में नहीं आ सका, उसके बाद पहली बार 1992 में पहली बार प्रमाणिकता के साथ ऐसे ग्रह का पता चला।  

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