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जानिये कौन हैं जगदीश कुनियाल, जिनके कार्यों की पीएम द्वारा की गई सराहना

रविवार 28 फरवरी को मन की बात कार्यक्रम के दौरान पीएम द्वारा छात्रों को पर्यावरण और जल संरक्षण से जुड़ी कई सारी प्रेरक कहानियां सुनाई गई। इसमें उन्होंने उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के निवासी जगदीश कुनियाल का उदाहरण देकर उनके कार्यों की विशेष सराहना की। पीएम द्वारा कुनियाल के बारे में कहा गया कि उनका काम हमें बहुत कुछ सीख दे जाता है।


रविवार 28 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में देशवासियों को एक बार फिर संबोधित किया। यह कार्यक्रम सुबह 11:00 बजे प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का यह 74वां संस्करण बताया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा कई सारी प्रेरक कहानियों के साथ-साथ पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए अपना अमूल्य योगदान देने वाले जगदीश कुनियाल का जिक्र करते हुए उनके कार्य की सराहना की। जगदीश कुनियाल उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले के सिरकोट के परकोटी गांव के निवासी हैं। 


प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम से उत्तराखंड और बागेश्वर जिला एक बार फिर से चर्चित हो गए हैं। दरअसल प्रधानमंत्री के सराहनीय शब्दों के बाद मुख्यमंत्री द्वारा भी पीएम के मन की बात कार्यक्रम को री ट्वीट किया गया तथा जगदीश कुनियाल को बधाई देने के साथ-साथ उनके कार्यों को भी सराहा गया है।


पीएम द्वारा यह भी बताया गया जगदीश कुनियाल के गांव में और आसपास के क्षेत्र में पानी के बहुत कम प्राकृतिक स्रोत थे। धीरे-धीरे यह सारे स्रोत सूखते चले गए। जिसके बाद पूरे क्षेत्र में पानी के लिए कई मीलों दूर तक जाना पड़ता था और पानी का संकट झेलना बड़ा ही कठिन होता जा रहा था। तभी जगदीश जी ने अपने इस संकट का हल ढूंढने की कोशिश की और उन्होंने यह तय किया कि वह पौधे रोपने से इस समस्या को दूर करेंगे। 18 साल की छोटी सी उम्र  में ही उन्होंने गांव की बंजर पड़ी जमीन पर पौधे उगाने शुरू कर दिए। पौधरोपण का कार्य उन्होंने अपनी 250 नाली की पैतृक जमीन पर किया है। इसमें उन्होंने कई प्रजातियों के पौधे शामिल किए। 


अब 57 वर्ष की उम्र तक जगदीश जी द्वारा करीब 25000 से भी ज्यादा पौधे रोपे जा चुके हैं। उनके द्वारा 20 साल पहले चाय बागान भी बनाया गया था। इन सभी पौधों को रोपने के कारण प्राकृतिक जल स्रोत में फिर से पानी आ गया और अब वे सदा पानी से भरे हुए रहते हैं। यह सब जगदीश की मेहनत का ही फल है कि आज प्राकृतिक स्रोत से उनके क्षेत्र के लगभग 400 से अधिक ग्रामीणों को पेयजल प्राप्त हो रहा है तथा गांव के लोगों को खेती करने और सिंचाई के लिए भरपूर पानी उपलब्ध है।


जगदीश जी के परिवार में उनकी पत्नी तथा उनके चार बच्चे शामिल हैं। प्रधानमंत्री द्वारा उनका जिक्र किए जाने के बाद से पूरे परिवार में अत्यंत हर्ष है और सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। जगदीश जी के अनुसार उनके द्वारा बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि बनाया गया जो बिल्कुल भी आसान कार्य नहीं था। इसके लिए उन्होंने दिन-रात एक करके कड़ी मेहनत की है। उनके द्वारा लगाए गए पौधों को कई बार कुछ अराजक तत्वों द्वारा खत्म करने की भी तमाम कोशिशें की गई। इसके साथ-साथ जंगली जानवरों का भी इसमें बहुत खतरा था। परंतु  जगदीश जी द्वारा 20 साल पहले 2 युवाओं को ही अपनी इन पौधों की रखवाली पर रख दिया गया। जिनका खर्चा वह अपने निजी खर्चे से देते थे। इसके बाद उन्होंने चाय की खेती शुरू की और चाय का अच्छा उत्पादन होने के बाद वे आज इस क्षेत्र को जल संसाधन से परिपूर्ण कर पाए हैं।


इतना ही नहीं लोगों द्वारा जगदीश जी के बारे में बात करने से पता चला है कि जगदीश कुनियाल जी पहले से ही पर्यावरण प्रेमी रहे हैं।  वह जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। उनमें पर्यावरण के प्रति अगाध प्रेम तथा जुनून और जज्बा है। उनके इसी जुनून, जज्बे तथा पर्यावरण के प्रति रुचि ने आज एक बड़े क्षेत्र को नया जीवनदान दिया है। उनकी मेहनत और परिश्रम का ही नतीजा है कि आज इस क्षेत्र में चीड के भरे जंगलों के साथ-साथ बुरांश, बाँज तथा देवदार जैसे पौधों की भरमार है। उनके द्वारा रोपे गए पौधों में अंगू का पौधा विशेष है जो कि उच्च हिमालई क्षेत्र में उगता है। आज इन पौधों ने क्षेत्र के प्राकृतिक स्रोतों को सदा के लिए पानी से भर दिया है जिसका पूरा श्रेय जगदीश कुनियाल जी को जाता है।

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