किन्नर अखाड़े की स्थापना वर्ष 2015 में की गई। अखाड़ों के आकर्षक ढंग से सजे सदस्य कुंभ में आकर्षण का मुख्य केंद्र होते हैं। जूना और अग्नि अखाड़े की पेशवाई में किन्नर अखाड़ा भी आकर्षण का मुख्य केंद्र रहते हैं। परंपरागत रूप से कुंभ में 13 अखाड़ों की पेशवाई निकाली जाती है लेकिन साल 2021 के हरिद्वार कुंभ में एक नया अखाड़ा किन्नर अखाड़ा भी शामिल किया गया है। यह अखाड़े अपने अपने देवी-देवताओं का पूजन कर कुंभ में इनकी पेशवाई करते हैं।
आमतौर पर 13 अखाड़ों को ही पेशवाई का अधिकार प्राप्त था लेकिन इस बार 2500 साधु और सन्यासियों के मध्य किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी भी इस पेशवाई का हिस्सा बनी। हर-हर महादेव के जयघोष के साथ पुष्प पुष्प वर्षा करते अलग-अलग अखाड़े कुंभ नगरी में प्रवेश कर रहे हैं सभी अखाड़ों की अगुवाई मेला अधिकारी, जिला अधिकारी, एसएसपी को एसएसपी चंडी घाट चौक पर कर रहे हैं।
कौन है किन्नर अखाड़े की आचार्य
ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी एक जाना पहचाना नाम है। मानवाधिकार और ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए वह हर वक्त सरगर्म रहती हैं। अगर बात 2021 हरिद्वार कुंभ की, की जाए तो यहां भी वे एक अलग भूमिका में नजर आ रही हैं। किन्नर अखाड़े की प्रमुख होने के कारण लोगों का तांता उसने मिलने के लिए लगा हुआ है।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी किन्नर अखाड़े की आचार्य हैं। किन्नर अखाड़ा 2015 में अस्तित्व में आया। इससे पहले अखिल भारतीय परिषद द्वारा तेरह अखाड़ों को मान्यता प्रदान की गई थी हालांकि अभी तक किन्नर अखाड़ा को परिषद द्वारा मान्यता प्रदान नहीं की गई।
किन्नर अखाड़े का शाही स्नान
किन्नर समुदाय की एक्टिविस्ट महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि कुंभ में शाही स्नान में शामिल होना ट्रांसजेंडर समुदाय के अस्तित्व के संघर्ष की एक महान उपलब्धि है। 11 मार्च को होने वाले शाही स्नान में किन्नर अखाड़ा पूरे लाव -लश्कर के साथ शाही स्नान करेगा। सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए किन्नर अखाड़ा आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण के अगुवाई में शाही स्नान में शामिल होगा। धर्म ध्वजा स्थापित कर जूना अखाड़े के साथ मिलकर किन्नर महामंडलेश्वर अखाड़ा, दंडी स्वामी जूना अखाड़ा के साथ पहली बार 11 मार्च को शाही स्नान में भाग लेगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 2019 के प्रयागराज में हुए कुंभ महोत्सव में किन्नर अखाड़े ने जूना अखाड़े के साथ रजिस्ट्री कर शाही स्नान करने का एग्रीमेंट किया। जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़े में धर्म ध्वजा फहराने के पश्चात इस वर्ष भी शोभायात्रा निकाली है।
क्यों बना किन्नर अखाड़ा
सनातन धर्म में किन्नरों के हो रहे पतन को पुनः वापस लाने के लिए किन्नर अखाड़ा निर्मित किया गया। चूंकि अखाड़ों को मान्यता देने वाली संस्था अखाड़ा परिषद इसे सनातन परंपरा के खिलाफ मानती है इसलिए भी किन्नर अखाड़े का निर्माण किया गया। कहा जाता है कि सन्यास परंपरा में किन्नर को संन्यास लेने का अधिकार नहीं है।
वर्तमान समय में भारत किन्नर समुदाय के अधिकारों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हो रहा है। किन्नर समुदाय भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग है उनके अधिकारों के संरक्षण और समाज में उन्हें हेय दृष्टि से ना देखा जाए, उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए समय-समय पर प्रशासन द्वारा अनेक नियम और अधिनियम पारित किए जाते हैं।