बिहार की राजनीति का पारा उस वक्त बढ़ गया जब मधेपुरा क्षेत्र से पूर्व सांसद पप्पू यादव को गिरफ्तार किया गया। पप्पू यादव की पहचान भले ही किसी जमाने में एक "बाहुबली" के रूप में रही हो लेकिन पिछले वर्ष कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान उन्होंने लोगों की हर संभव मदद करके अपनी छवि को बदलने की भरपूर कोशिश की। इसी क्रम में उन्होंने अपने ट्वीट में यह कहा कि "कोरोना काल में जिंदगियां बचाने के लिए अपनी जान हथेली पर रख जूझना अपराध है, तो हां मैं अपराधी हूं। पीएम साहब, सीएम साहब दे दो फांसी या भेज दो जेल, झुकूंगा नहीं रुकूंगा नहीं। लोगों को बचाउगा, बेईमानों को बेनक़ाब करता रहूंगा।" उन्होंने अपनी गिरफ्तारी के बारे में ट्वीट कर लोगों को बताया कि "मुझे गिरफ्तार कर गांधी मैदान थाने लाया गया है।" उनकी गिरफ्तारी से सभी अचंभित हो गए।
पप्पू यादव की जीवनी
रमेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का जन्म बिहार के पूर्णिया नामक स्थान पर 24 दिसंबर 1967 को हुआ। इनके पिता का नाम श्री चंद्र नारायण प्रसाद यादव तथा माता का नाम श्रीमती शांति प्रिया है। भले ही पप्पू यादव एक कृषक परिवार से आते हों लेकिन अपने बलबूते व अपनी योग्यता पर उन्होंने राजनीति में कदम रखा और बाद में खुद की अपनी नई राजनीति पार्टी की स्थापना की। किसी जमाने में बाहुबली की पहचान रखने वाले पप्पू यादव आज समाजसेवी और राजनेता के रूप में जाने जाते हैं जिससे बिहार में इनकी लोकप्रियता काफी बढ़ चुकी हैं।
पप्पू यादव की शिक्षा-दीक्षा
पप्पू यादव की प्रारंभिक शिक्षा सुपौल के आनंद मार्ग स्कूल से हुई। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मधेपुर बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। इसके अलावा उन्होंने इग्नू से डिजास्टर मैनेजमेंट और ह्यूमन राइट्स में डिप्लोमा किया।
पप्पू यादव का राजनीतिक सफर
पप्पू यादव का राजनीतिक सफर सन 1990 में पहली बार मधेपुरा विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीत कर शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने 10 वीं लोकसभा चुनाव के लिए सन 1991 में पूरीना निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन किया और जीत हासिल करके लोकसभा में प्रवेश किया। लोकसभा व विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करके पप्पू यादव राजनीतिक गलियारों में एक प्रसिद्ध नाम और चेहरा बन गए और फिर यहां से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
1996 में पुरीना से सपा उम्मीदवार के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुनाव जीता, जहां उन्होंने 3,16,155 मतों के अंतर से भाजपा के राजेंद्र प्रसाद गुप्ता को हराया। हालांकि बाद में 1998 के चुनाव में बीजेपी के जय कृष्ण मंडल से वे चुनाव हार गए।
1999 में पुरीना लोकसभा के लिए वे फिर से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव के लिए खड़े हुए और अपने पूर्व प्रतिद्वंदी जय कृष्ण मंडल को 2,52,566 मतों के एक बड़े अंतर से मात दे दी।
2004 में उन्होंने पार्टी बदलकर राजद उम्मीदवार के रूप में उपचुनाव में जीत हासिल की।
काफी लंबे समय के बाद 2014 के आम चुनाव में पप्पू यादव ने शरद को मात देकर फिर से संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
एक लंबी पारी तक लालू यादव के पार्टी राजद के साथ रहने के बाद उन्होंने वर्ष 2015 में खुद को अलग कर लिया और खुद की नई राजनीतिक पार्टी "जन अधिकार पार्टी" की नींव रख ली। 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी से उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे लेकिन वोट शेयर में कोई महत्वपूर्ण प्रभाव डालने में असफल रहे, जिससे नतीजा यह रहा कि उन्हें एक भी सीट हासिल नहीं हुई।
पत्नी रही पूर्णिया से सांसद
पप्पू यादव की तरह ही उनकी पत्नी रंजीता रंजन भी अपने बेबाक बयान और अंदाज के लिए जानी जाती हैं। एक बार वे 11 लाख की हार्ल डेविडसन बाइक पर सवार होकर संसद भवन पहुंच गए, जिससे वहां खड़े लोगों ने देख कर चौंक गए। उन्होंने पूर्णिया से कांग्रेस पार्टी के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
क्या है वह 32 साल पुराना मामला जिसमें पप्पू यादव को गिरफ्तार किया गया
शैक्षिक और राजनीतिक सफर के बाद अब बात करते हैं उस संदर्भ की, जिस वजह से पप्पू यादव एक बार फिर से सुर्खियों में आ गए। आखिर किस वजह से पप्पू यादव को जेल भेजा गया? किस जुर्म के एवज में पटना पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया, आखिर क्या है वह 32 साल पुराना मामला?
घटना है 29 जनवरी 1989 की, जब पप्पू यादव पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने तीन-चार साथियों के साथ मिलकर मधेपुरा जिला के मुरलीगंज थाने के अंतर्गत मिडिल चौक से रामकुमार यादव और उमा यादव का अपहरण किया, जिसकी शिकायत शैलेंद्र यादव ने की थी। कुछ दिनों के बाद अपहरण किए गए दोनों लोग सुरक्षित वापस आ गए थे, हालांकि तीन महीने बाद पप्पू यादव को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया परंतु कुछ महीने जेल में रहने के बाद वे बेल पर बाहर आ गए और फिर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच गए।
चुनाव जीतने के बाद यह केस पीछे छूटता चला गया, बताया जाता है कि काफी लंबे समय से बेल पर रिहा होने के बाद पप्पू यादव इस केस में फिर कभी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। वर्ष 1996 में राजनीति के अपराधीकरण पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों और सांसदों पर दर्ज मुकदमे पर त्वरित गति से सुनवाई करने का आदेश दिया। जिसके बाद से प्रत्येक जिले में स्पेशल कोर्ट बनाकर ऐसे मुकदमों का त्वरित निष्पादन किया जा सके। मधेपुरा में एसीजेएम प्रथम के स्पेशल कोर्ट में इसकी सुनवाई चलती रही। 10 फरवरी 2020 को पप्पू यादव के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया परंतु यह वारंट पप्पू यादव को मिला नहीं।
पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव के प्रचार को देखते हुए कोर्ट ने एक बार फिर पुलिस को शोकॉज नोटिस जारी किया। कोर्ट ने पूछा जब पप्पू यादव पर गिरफ्तारी वारंट है तो वे चुनाव प्रचार कैसे करें हैं। 17 सितंबर 2020 को पुलिस ने अपने जवाब दाखिल किया और कहा कि वारंट की कॉपी चौकीदार द्वारा खो दी गई जिसके कारण उन्हें वारंट मिल नहीं पाया। ऐसे में उन्होंने न्यायालय से वारंट की दूसरी प्रति का अनुरोध किया। कोर्ट द्वारा वारंट की दूसरी प्रति जारी की गई लेकिन पप्पू यादव को मधेपुरा पुलिस ने फिर से गिरफ्तार नहीं किया।
मधेपुरा पुलिस ने उन्हें फरार घोषित करके धारा 83 के तहत उनके घर की संपत्ति को कुर्क जब्ती का वारंट मांगा परंतु पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। लगातार केस का पीछे छूटते रहना और पप्पू यादव की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस को यह 32 साल पुराना मामला एक टूल के रूप में मिला और अंततः इस बार पप्पू यादव को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया।
गिरफ्तारी के साथ ही बड़ा सियासी पारा
पप्पू यादव की गिरफ्तारी को लेकर सियासी गलियारे का पारा हाई हो गया, जिससे पटना से लेकर दिल्ली तक की राजनीति गरमा गई। पप्पू यादव की गिरफ्तारी को लेकर नीतीश सरकार के दो सहयोगी दलों ने विरोध किया। हिंदुस्तान आवाम मोर्चा(HAM) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पप्पू यादव की गिरफ्तारी को लेकर ट्वीट करके कहा कि "कोई जनप्रतिनिधि अगर जनता की सेवा करें और उसके एवज में उसे गिरफ्तार किया जाए तो ऐसी घटना मानवता के लिए खतरनाक हैं। ऐसे मामलों की पहली न्यायिक जांच हो तभी कोई कार्रवाई होनी चाहिए, नहीं तो जनाक्रोश होना लाजमी है।" विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश साहनी ने भी ट्वीट करके पप्पू यादव की गिरफ्तारी का विरोध किया।