संविधान की भाषा इतनी सरल और बोधगम्य होनी चाहिए कि यह सभी को समझ आ सके। देश का हर नागरिक चाहे वह कुछ ही पढ़ा लिखा हो परंतु उस भाषा को समझने के काबिल हो तथा उस भाषा में लिखे गए शब्दों का अर्थ बखूबी जानता हो।
यही बात संविधान दिवस के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी कही गई थी कि हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसे समझ सके। जब तक कोई व्यक्ति इन भाषा के शब्दों का अर्थ नहीं समझ लेता तब तक वह इस संविधान को समझने में असक्षम है इसीलिए किसी भी देश के विकास में नागरिकों के योगदान के लिए इन शब्दों से सभी को परिचित करवाना अत्यंत आवश्यक है।
आज इस लेख के माध्यम से हम आपको कानून की भाषा के कुछ शब्दों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन का अर्थ सभी को जानना चाहिए।
धारा तथा अनुच्छेद
जब भी कोई व्यक्ति संविधान के बारे में बात करता है तो सबसे पहले शब्द आते हैं धारा और अनुच्छेद।
धारा को अंग्रेजी में सेक्शन कहते हैं। धारा किसी भी अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। किसी भी अधिनियम में मुख्य तौर पर धारा ही प्रयोग की जाती है परंतु कुछ अधिनियम ऐसे होते हैं जिनमें आदेश और नियम मुख्यतः प्रयोग में लाए जाते हैं। धारा के अंतर्गत ही किसी व्यक्ति को सजा दी जा सकती है।
अनुच्छेद
अनुच्छेद संविधान के हर हिस्से में है। भारत के संविधान को अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया गया है तथा यह अलग अलग हिस्से अनुच्छेद में बंटे हुए हैं परंतु यह आवश्यक नहीं है कि विभिन्न हिस्से के लिए विभिन्न अनुच्छेद मौजूद हों। अनुच्छेद 1 पर संविधान शुरू होता है तथा अनुच्छेद 400 पर संविधान खत्म होता है परंतु अनुच्छेदों के अलग-अलग भागों में विभिन्न कानूनों की परिभाषा बताई गई है।
मुवक्किल का अर्थ
जब भी कोई व्यक्ति अपना मुकदमा लड़ने या फिर कोर्ट के किसी भी केस में अपनी तरफ से एक वकील को नियुक्त करता है तो उसे मुवक्किल कहते हैं। मुस्लिम धर्म शास्त्र की माने तो इनके अनुसार मुवक्किल का अर्थ किसी भी काम के लिए नियुक्त किया गया कोई फरिश्ता होता है अर्थात मुवक्किल वह व्यक्ति है जिसे हमने अपने स्वयं के काम के लिए नियुक्त किया है।
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फौजदारी
फौजदारी न्यायालय में मारपीट हत्या संबंधी मुकदमों की सुनवाई की जाती है। भारत के संविधान में कई कानूनों के द्वारा विभिन्न प्रकार के बुरे कर्म तथा कुछ आकृतियों के लिए दंडनीय अपराध दिया गया है इस तरह के आपराधिक कृत्यों और आकृतियों के लिए दंड संविधान में पहले से ही निश्चित किया गया है। जितने भी मामले जिनमें किसी भी व्यक्ति द्वारा कोई भी अपराध किया गया हो और उसके लिए दंड की कार्यवाही की जानी हो तो वे मामले अपराधिक और फौजदारी मामले कहे जाते हैं तथा उनकी सुनवाई फौजदारी न्यायालय में होती है।
मुल्तवी
अपने अक्सर फिल्मों में यह सुना होगा कि जज द्वारा यह कहा जाता है आज की सुनवाई मुल्तवी की जाती है। मुल्तवी को अंग्रेजी भाषा में Adjourned कहा जाता है। जिसका हिंदी अर्थ होता है रुका हुआ या स्थगित किया हुआ। इसीलिए जब भी किसी मुकदमे की सुनवाई को अगली सुनवाई तक स्थगित किया जाता है तो उसके लिए मुल्तवी शब्द का प्रयोग किया जाता है।
दीवानी
दीवानी अदालत को सिविल न्यायालय भी कहते हैं। इस न्यायालय में संपत्ति या धन संबंधी मुकदमे के केस लड़े जाते हैं तथा इनका निर्णय लिया जाता है। संपत्ति या पद से संबंधित अधिकार या फिर धार्मिक कर्मों से संबंधित प्रश्नों से संबंधित कोई भी मामला हो तो इस तरह के विवादित मामले दीवानी मामले कहलाते हैं तथा इन मामलों को दीवानी अदालत में लड़ा जाता है।
इंतखाब
इंतखाब एक तरह की नकल फोटोकॉपी या प्रतिलिपि है। यह पटवारी के खाते के मुताबिक प्रस्तुत की जाती है। इंतखाब में किसी व्यक्ति का जो विवरण लिखा रहता है कि किस सन में किस खेत का मालिक कौन था और उसने उसमें कितना जोता या बोया था। इस तरह के सारे कागजातों को इंतखाब कहते हैं।