नई शिक्षा नीति मे पूर्व इसरो के प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने शैक्षणिक सुधार सुधार का सुझाव दिया था।
पृष्ठभूमि: नई शिक्षा नीति का प्रारूप 1986 में तैयार हुआ था ,और 1992 में इसे अपडेट किया गया था, मई 2016 में पूर्व कैबिनेट सचिव स्वर्गीय टी.एस.आर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली नई शिक्षा नीति के विकास क्रम से जुड़ी समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
इसके आधार पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति 2016 के प्रारूप से जुड़े कुछ इनपुट तैयार किए थे। जून 2017 में के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली नई शिक्षा नीति प्रारूप समिति का गठन हुआ समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री को 31 मई 2019 को सौंपी।
नई Education Policy 2020, 29 जुलाई को केन्द्रीय मंत्री मंडल द्वारा स्वीकृत की गई।
विद्यालयी शिक्षा के लिए उठाए गये महत्वपूर्ण कदम
नई शिक्षा नीति 34 साल पुरानी शिक्षा नीति 1986 का स्थान लेगी ,जो पूर्व में 10+2 की प्रणाली को हटाकर 5 +3 +3+ 4 पद्धति को लागू करेगी।
इस नीति में 5 का अर्थ प्री प्राइमरी नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी, फर्स्ट और सेकंड क्लास से है इसमें विद्यार्थियों को उनकी क्षेत्रीय भाषा मे सिखाना तथा खेल खेल में ही उन्हें व्यवहारिक ज्ञान देने की बात की गई है।
इस नीति में 3 का अर्थ प्राइमरी है नीति अनुसार तीसरी, चौथी, पांचवी कक्षा में मातृभाषा में ही बच्चों को उनके विषय पढ़ाए जाएंगे।
इस नीति में 3 का अर्थ माध्यमिक स्कूल से है जिसमें कक्षा 6 से 8 तक की कक्षाएं शामिल हैं जिसमे कहा गया है कि किसी भी भाषा में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर सकता है, व 6 से लेकर 8 वीं तक विद्यार्थियों को कोडिंग सिखाई जाएगी साथ ही साथ उनको कंपनियों के छोटे-छोटे प्रोजेक्ट बनाने के लिए दिए जाएंगे।
यहां पर 4 सेकेण्डरी शिक्षा के लिए प्रयुक्त हुआ है जिसमें कक्षा 9 से लेकर 12 तक विद्यार्थी अपने मनपसंद का विषय चुन सकते हैं साथ ही साथ 10वीं व 12वीं के बोर्ड को यथावत रखा है।
इसे भी पढ़े : शिक्षक दिवस से जुड़ी कुछ जानकारियां | Why Teachers Day is Celebrated
कहा गया है कि दसवीं बोर्ड की परीक्षा 1 वर्ष में दो बार होगी इसमें छात्र की याददाश्त का नहीं बल्कि उसकी असल क्षमता का आकलन किया जाएगा। 12वीं में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
विद्यार्थी जब अपने उच्च शिक्षा प्राप्त करने जाएगा यदि उसने 1 साल बीटेक कर दिया अगले साल उसका रुझान यदि शिक्षा के क्षेत्र में टीचर बनने का है तो संस्थान उसकी डिग्री को खारिज नहीं कर सकती,बल्कि संस्थान उस विद्यार्थी को डिप्लोमा सर्टिफिकेट देगा ।
नई शिक्षा नीति में प्रत्येक विद्यार्थी का स्कूल के एडमिशन से लेकर ग्रेजुएशन तक बैंक क्रेडिट लॉकर बनाया जाएगा, इस लाॅकर में विद्यार्थी द्वारा प्राप्त क्रेडिट (नम्बर) का संकलन होगा, यह सब ऑनलाइन होगा , यह विद्यार्थी के साक्षात्कार में उसकी क्षमता का बखूबी आकलन करेगा।
- नई शिक्षा नीति ने उच्च शिक्षा संस्थाओं में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ने का फैसला किया है।
- नीति अनुसार आईआईटी और आई एम एस की तरह मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी स्थापना करेगी ।
- उच्च शिक्षा के स्तर पर शोध संस्कृति और शोध क्षमता निर्मित करने के लिए राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन का गठन किया जाएगा ।
- संपूर्ण उच्च शिक्षा के लिए भारत का उच्चतर शिक्षा आयोग सर्वोच्च निकाय होगा, इसमें मेडिकल और लीगल एजुकेशन शामिल नहीं होगी।