अब्राहम लिंकन के बारे में आप सभी जानते ही होंगे। वह अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे। उनके जीवन से जुड़ी बहुत सी घटनाएं लोगों में लोकप्रिय हैं तथा उनके लिए प्रेरणा के स्रोत रही हैं, परंतु हम एक घटना नहीं बल्कि एक पत्र के विषय में बात कर रहे हैं, जिसे उन्होंने अपने बेटे के स्कूल के हेडमास्टर को लिखा था।
अब्राहम लिंकन का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में 12 फरवरी 1809 को हुआ था। वे रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य थे। लिंकन रिपब्लिकन पार्टी के पहले ऐसे व्यक्ति थे जो अमेरिका के राष्ट्रपति तक बने थे। इससे पहले उन्होंने कई बार चुनाव में हार का सामना किया था। लिंकन को अमेरिका के बहुत बड़े संकट (गृह युद्ध) से बचाने वाला माना जाता है तथा अमेरिका में दास प्रथा का अंत भी लिंकन के ही द्वारा किया गया था। उनका कार्यकाल 1861-1865 तक का था।
लिंकन के करियर की बात की जाए तो जब 32 साल के थे तो उन्होंने एक बिजनेस प्रारंभ किया था परंतु वह इसमें फेल हो गए। Letter Written By Abraham Lincoln
उसके बाद 32 साल में उन्होंने स्टेट लेजिसलेटर का चुनाव भी लड़ा इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। तब उन्होंने अगले साल एक नया बिजनेस शुरू किया, परंतु यह बिजनेस भी फेल हो गया।
35 साल में उन्होंने विवाह करने का निर्णय लिया परंतु इस बार उनकी मंगेतर का निधन हो गया। तत्पश्चात 36 साल में उनका नर्वस ब्रेकडाउन हो गया और 43 में साल में कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ने के बावजूद भी वे हार गए।
48 साल में उन्होंने एक बार फिर चुनाव लड़ने की कोशिश की परंतु इस बार भी उनका सामना हार से हुआ। तब 55 वर्ष की उम्र में सीनेट के लिए चुनाव लड़ा इस बार भी हार का सामना करना पड़ा।
अंत में कई हारों का सामना करने के बाद 1860 में वह अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने।
अब्राहम लिंकन दुनिया भर के कई सारे व्यक्तियों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं। उनके विचारों और उनके जीवन के संघर्षों ने कई लोगों को प्रभावित किया है तथा कई लोग उन्हें आदर्श के तौर पर देखते हैं। लिंकन के विचारों की छवि तो उनके जीवन के प्रत्येक संघर्ष और प्रत्येक घटना में दिखाई देती है। ऐसी ही एक छवि उनके एक पत्र में दिखाई देती है, जो उन्होंने अपने बेटे के स्कूल के हेडमास्टर के लिए लिखा था।
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लिंकन हमेशा से ही चाहते थे कि उनके बेटे को एक अच्छी शिक्षा मिले। इसके साथ-साथ वे उसे एक बहुत अच्छा इंसान बनाना चाहते थे, इसलिए जब उनका बेटा पहली बार स्कूल जा रहा था तो उन्होंने एक पत्र उस स्कूल के हेडमास्टर या प्रधानाचार्य के लिए लिखा था। इस पत्र में उनके द्वारा शिक्षक को सलाह दी गई और उन से बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाने की बात कही गई है।
यह पत्र आज एक ऐतिहासिक पत्र बन चुका है। जो कई लोगों को प्रेरणा देता रहा है। यह केवल स्कूल के शिक्षकों के लिए ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत है जो अपने बच्चों को एक बहुत अच्छी परवरिश देना चाहता है और उन्हें अच्छा इंसान बनते हुए देखना चाहता है। जो व्यक्ति अपना स्वयं का विकास करना चाहता है, उसके लिए भी बहुत अधिक मायने रखता है। आइए इस लेख के माध्यम से इस पत्र में लिखी हुई बातों को जानते हैं।
अब्राहम लिंकन द्वारा स्कूल के हेडमास्टर को लिखा गया पत्र
सम्मानीय सर.....
मेरा बेटा आज पहली बार विद्यालय जा रहा है। उसके लिए वहां का माहौल नया-नया होगा। शुरु-शुरु में उसे थोड़ा अजीब लगेगा परंतु मैं उम्मीद करता हूं कि आप उसके साथ नम्रता पूर्वक व्यवहार करेंगे और उससे सहानुभूति पूर्ण व्यवहार रखेंगे। यह एक ऐसा काम है जो उसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में ले जाएगा। जहां शायद युद्ध भी हों, त्रासदी हो और पीड़ा भी संभव हो। परंतु ऐसा जीवन जीने के लिए उसे विश्वास, प्यार और साहस की आवश्यकता होगी, इसलिए माय डिअर टीचर! क्या आप उसका हाथ थाम कर उसे वह सारी चीजें सिखा सकते हैं, जो उसके लिए जाननी अनिवार्य हैं। कृपया उसे नम्रता पूर्वक आहिस्ता-आहिस्ता सिखाइए।
उसे यह सिखाइए कि दुनिया में सभी लोग अच्छे नहीं होते और सभी लोग सच्चे भी नहीं होते। लेकिन जहां बुरे लोग होते हैं वहां अच्छे लोग भी अवश्य होते हैं, जहां विलन होता है वहां एक हीरो भी अवश्य होता है और हर एक भ्रष्टाचारी पॉलिटिशियन के साथ-साथ एक ऐसा समर्पित लीडर होता है जो लोगों के लिए कार्य करता है। उसे सिखाइए की दुश्मन के बदले एक दोस्त भी अवश्य होता है।
यदि उसे सिखा सके तो उसे यह सिखाइए कि 1 डाॅलर पाने के बजाय यदि 10 सेंट कमाना पड़े तो वह ज्यादा मायने रखता है क्योंकि वह ईमानदारी से कमाया गया है। कृपया उसे यह बताइए कि स्कूल में फेल हो जाना चीटिंग करने से कहीं ज्यादा अधिक सम्मानजनक बात है। यह सब वह केवल स्कूल में ही सीख सकता है।
उसे सिखाइए की शान से कैसे हार आ जाता है और जब जीत होती है तो उसकी खुशी कैसे मनाई जाती है। कृपया उसे यह भी सिखाइए की खुद में खुश रहना कितना आवश्यक है और खुश रहने का रहस्य क्या है।
उसे सिखाइए की अच्छे लोगों के साथ कैसे विनम्र रहा जाता है और बुरे लोगों के साथ सख्त रहना कितना आवश्यक है। हो सके तो उसे जलन से कहीं दूर ले जाइए और ऐसी भावनाओं को अपने मन में ना लाने की बात बताइए।
अगर संभव हो सके तो उसे किताबों की मनमोहक और रंग बिरंगी दुनिया में जरूर ले जाएं। उसे किताबों के चमत्कार के बारे में बताएं। परंतु इसके साथ-साथ उसे प्रकृति का आनंद उठाने के लिए कहें उसे आकाश में उड़ते पक्षियों, फूलों पर मंडराती मधुमक्खियों और हरी पहाड़ी पर गिरती सूरज की किरणों के अलौकिक रहस्य के बारे में सोचने का अवसर अवश्य दें। उसे अपने विचारों में यकीन करना सिखाएं।
उसे यह भी सिखाएं कि जब हर कोई उसे गलत कह रहा हो तो कैसे उसे स्वयं पर विश्वास करना है और कैसे अपने विचारों पर दृढ़ रहना है। जब हर कोई एक भेड़ चाल में चल रहा हो तब कैसे भीड़ से अलग हटकर चलना है यह मेरे बेटे को जरूर सिखाएगा। उसे ऐसी ताकत देने का प्रयास कीजिए जिससे वह भीड़ से अलग रहे।
लोगों की बात सुने लेकिन जो भी सुने इसमें से जो केवल सही है उसे ही ग्रहण करे। यदि वह सही है तो भड़कती हुई भीड़ का कान बंद करके कैसे सामना किया जाता है उसे यह सिखाइए। उसे सिखाइए कि भले ही वह अपना टैलेंट और अपना दिमाग सबसे अच्छी बोली लगाने वाले को बेचे परंतु अपनी आत्मा और अपने दिल की कभी भी कोई बोली ना लगाए उसे बेचने का साहस भी न करे।
उसे यह सिखाइए कि बहादुर बनने के लिए सहनशील होना कितना आवश्यक है। परंतु उसमें सहनशील ना होने का साहस भी जगाइए। उसे स्वयं पर विश्वास करना सिखाइए कि उसे मानवता और ईश्वर पर हमेशा विश्वास रहे और जीवन भर उसका यह विश्वास बना रहे।
यह बातें बड़ी-बड़ी और लंबी-लंबी हैं परंतु आप इनमें से जितना भी उसे सीखा पाएं उसके लिए बहुत अच्छा होगा। फिर, अभी मेरा बेटा बहुत छोटा है और बहुत प्यारा भी।
अब्राहम लिंकन