मैं नारा-ए-मस्ताना , मैं शोख़ी-ए-रिंदाना
मैं तश्ना कहाँ जाऊं , पी कर भी कहाँ जाना
मैं सोज़ -ए -मोहब्बत हूँ , मैं एक क़यामत हूँ
मैं अश्क -ए -नदामत हूँ , मैं गौहर -ए -यकदाना
मैं ताईर -ए -लाहूती, मैं जौहर -ए -मलकूती
नासूत ने कब मुझ को इस हाल में पहचाना
मैं शाम -ए - फ़रोज़ां हूँ , मैं आतिश -ए -लरज़ा हूँ
मैं सोजिश -ए -हिज्राँ हूँ , मैं मंजिल -ए -परवाना
किस याद का सेहेरा हूँ , किस चश्म का दरया हूँ
खुद तूर का जलवा हूँ , है शक्ल कलीमाना
मैं हुस्न -ए -मुजस्सिम हूँ , मैं गेसू -ए -बरहम हूँ
मैं फूल हूँ शबनम हूँ , मैं जल्वा -ए -जानना
मैं वासिफ -ए -बिस्मिल हूँ , मैं रोनक -ए -महफ़िल हूँ
इक़ टूटा हुवा दिल हूँ , मैं शहर में वीराना
नारा-ए-मस्ताना = मस्तानो की ललकार ; शोख़ी-ए-रिंदाना=मतवालों जैसी शरारत , चुलबुलाहट; सोज़ -ए -मोहब्बत =मुहब्बत में जलानेवाला ; अश्क -ए -नदामत =पश्चात्ताप के आंसू ; गौहर -ए -यकदाना=अद्वितीय मोती ; ;ताईर -ए -लाहूती,= स्वर्ग तक उडनेवाला पक्षी /जिब्रील नामक देवदूत ;जौहर -ए -मलकूती =स्वर्ग/गगन के साम्राज्य के रत्न ;नासूत =इहलोक ,संसार ;फ़रोज़ां =प्रकाशमान ,तेजस्वी;आतिश -ए -लरज़ा =थरथराती हुई आग;सोजिश -ए -हिज्राँ=विरह की जलन ; तूर का जलवा =सीरिया का पवित्र पहाड़ जहां मुसा को दैवी प्रकाश दिखाई पडा था ; कलीम = मुसा ; मुजस्सिम = साक्षात ,साकार ;गेसू -ए -बरहम = बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें;-बिस्मिल = १.जख्मी,आहत २, प्रेमी,प्रियकर