नेल्सन मंडेला एक महान हस्ती, जिन्हें दुनिया का हर वह व्यक्ति जानता है जिसके साथ सामाजिक अन्याय व भेदभाव जैसी विकट स्थिति उत्पन्न हुई हो। नेल्सन मंडेला वह महान व्यक्तित्व है जो दुनिया के किसी न किसी पृष्ठ पर अंकित जरूर होंगे। अश्वेत के साथ किए जाने वाले भेदभाव को लेकर वे इतने चिंतित और परेशान थे कि उन्होंने इस भेदभाव को जड़ से उखाड़ फेंकने की शपथ ले ली। अंततः 1990 में श्वेत सरकार के साथ हुए समझौते के बाद उन्होंने एक नए दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। 1994 में दक्षिण अफ्रीका में हुए रंगभेद रहित चुनाव में नेल्सन मंडेला देश के प्रथम "अश्वेत राष्ट्रपति" बने। मई 1996 में दक्षिण अफ्रीका के नए संविधान को संसद की ओर से सहमति मिली। इसलिए दक्षिण अफ्रीका के लोग उन्हें राष्ट्रपिता व लोकतंत्र के प्रथम संस्थापक भी कहते हैं। नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके महत्वपूर्ण योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को 'मंडेला दिवस' घोषित किया।
आरंभिक जीवन
नेल्सन रोलीहाला मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेजो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के घर हुआ था। वे अपनी मां नोसकेनी की प्रथम व पिता के सभी 13 संतानों में तीसरी संतान थे। नेल्सन मंडेला के पिता हेनरी, म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। सरदार के बेटे को स्थानीय भाषा में "मंडेला" कहते थे, जहां से उन्हें अपना यह उपनाम मिला। पिता हेनरी ने उन्हें "रोलिहाला" प्रथम नाम दिया था जिसका शाब्दिक अर्थ 'उपद्रवी' होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी। क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करके मंडेला मेथाडिस्ट मिशनरी गए, जहां से उन्होंने उसके बाद की शिक्षा पूरी की। 12 वर्ष की आयु में इनके पिता हेनरी म्फाकेनिस्वा की मृत्यु हो गई।
निजी जीवन
मंडेला ने तीन शादियां की, जिनसे उन्हें छ: संताने प्राप्त हुई। उनके परिवार में 17 पोते-पोतिया थी। अक्टूबर 1944 को उन्होंने अपने मित्र व सहयोगी वाल्टर मिसुलू की बहन इवलिन मेस से शादी की। 1961 में मंडेला पर देशद्रोह के मुकदमे के दौरान उनकी मुलाकात दूसरी पत्नी नोमजामो विनी मेडीकिस्ला से हुई। हालांकि बाद में वे अदालत द्वारा निर्दोष पाए गए। 1998 में अपने 80 वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकली से तीसरा विवाह किया।
राजनीतिक दृश्य
वर्ष 1941 में जोहांसबर्ग आने पर मंडेला की मुलाकात वॉल्टर मिसुलू और वॉल्टन एल्बर टाइन से हुई। जहां उन दोनों ने राजनीतिक रूप से मंडेला को प्रभावित किया। आजीविका के लिए वे एक कानूनी फर्म में क्लर्क बन गए परंतु धीरे-धीरे उनकी सक्रियता राजनीति में बढ़ती चली गई। रंगभेद को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1944 में वे अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए, जिसने रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन चला रखा था। इसी वर्ष उन्होंने अपने सहयोगी के साथ मिलकर 'अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग' की स्थापना की। 1947 में वे इस लीग के सचिव चुने गए।
सन 1952 में कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए नेल्सन ने एक कानूनी फर्म की स्थापना की। नेल्सन की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वर्गभेदो के आरोपों के कारण उन्हें जोहांसबर्ग से बाहर भेज दिया गया, उन पर किसी भी बैठक में शामिल ना होने का प्रतिबंध लगा दिया गया। प्रतिबंध के बावजूद मंडेला क्लिपटाउन चले गए और वहां कांग्रेस के जलसे में भाग लेने लग गए। वहां उन्होंने उन सभी संगठनों के साथ काम किया जो अश्वेतों की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे। सरकार के दमन के कारण नेल्सन का जनाधार बढ़ रहा था इस बीच सरकार ने ऐसे कानून पास किए जो अश्वेतों के हित में नहीं थे। नेल्सन ने इन कानूनों का विरोध किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान ही 'शार्पविल' शहर में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियों की बौछार की जिसमें लगभग 180 लोग मारे गए। सरकार के इस क्रूर कदम से नेल्सन का अहिंसा से विश्वास उठ गया और हथियारबंद लड़ाई लड़ने का फैसला लिया।
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एएनसी के लड़ाके दल का नाम 'स्पीयर ऑफ द नेशन' रखा गया तथा मंडेला को इसका अध्यक्ष बनाया गया। सरकार इस संगठन को खत्म करके नेल्सन को गिरफ्तार करना चाहती थी जिससे बचने के लिए नेल्सन देश से बाहर चले गए। वर्ष 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परंतु उसमें मंडेला निर्दोष पाए गए। 5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई। सजा के लिए उन्हें रॉबेन द्वीप काराग्रह भेजा गया, जहां से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। जेल में भी उन्होंने अश्वेत कैदियों को एकजुट करना शुरू किया। जीवन के 27 वर्ष उन्होंने जेल में व्यतीत किए। अंततः 11 फरवरी 1990 को उन्हें रिहा किया गया। रिहाई के बाद समझौते और शांति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतांत्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की बुनियाद रखी।
1994 में पहली बार अफ्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62% मतों के साथ बहुमत से सरकार बनाई। 10 मई 1994 को मंडेला देश के प्रथम 'अश्वेत राष्ट्रपति' बने। दक्षिण अफ्रीका के संविधान को मई 1996 को संसद से सहमति मिली जिसके अंतर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जांच के लिए कई संस्थाओं की स्थापना की गई। वर्ष 1997 में मंडेला सक्रिय राजनीति से अलग हो गए तथा इसके दो वर्ष बाद उन्होंने 1999 में कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया।
विचारधारा
नेल्सन मंडेला काफी हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। उन्होंने महात्मा गांधी को अपना प्रेरणास्रोत माना था व उनसे अहिंसा का पाठ सीखा था।
मंडेला कहते थे कि "शिक्षा सबसे शक्तिशाली है, जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं।" साथ ही वे यह भी कहते थे कि "मैं जातिवाद से बहुत नफरत करता हूं मुझे यह बर्बरता लगती है फिर चाहे वह अश्वेत व्यक्ति से आ रही हो या श्वेत व्यक्ति से।"
पुरस्कार एवं सम्मान
दक्षिण अफ्रीका के लोग व्यापक रूप से मंडेला को 'राष्ट्रपिता' मानते थे। उन्हें 'लोकतंत्र के प्रथम संस्थापक' 'राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता' के रूप में देखा जाता था।
वर्ष 2004 में जोहांसबर्ग स्थित सेंडटन स्क्वेयर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गई। सेंटर का नाम बदलकर 'नेल्सन मंडेला स्क्वायर' रख दिया गया।
नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नेल्सन के रंग विरोधी संघर्ष के योगदान के कारण उनके जन्मदिवस (18 जुलाई) को 'मंडेला दिवस' घोषित किया।
मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।
- वर्ष 1993 में अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रुप से नोबेल शांति पुरस्कार।
- प्रेसिडेंट मेडल ऑफ फ्रीडम
- ऑर्डर ऑफ लेनिन
- वर्ष 1990 में भारत रत्न
- निशान-ए-पाकिस्तान
- 23 जुलाई 2008 को गांधी शांति पुरस्कार
निधन
फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण 95 वर्ष की आयु में पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का 5 दिसंबर 2013 को हॉटन, जोहांसबर्ग में देहांत हो गया। उनकी मृत्यु की घोषणा स्वयं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने की थी।