सौरमंडल का एकमात्र जीवन ग्रह पृथ्वी, जिसमें रहने वाले मानव की प्रजाति ने कई गुना विकास कर लिया है। आज मानव पृथ्वी के हर कोने तक तो पहुंच गया है लेकिन उसने अंतरिक्ष या सौरमंडल का भी काफी अध्ययन कर लिया है। आज इंसानों ने अंतरिक्ष, चांद और यहां तक कि अब मंगल ग्रह का भी अध्ययन कर लिया है इससे हमें अपने से अलग दुनिया की जानकारी मिलती है। अब एक रिपोर्ट के मुताबिक यह कहा जा रहा है कि सौरमंडल में एक ऐसा घुसपैठिया आ पहुंचा है जो आज से पहले कभी नहीं देखा गया। यह घुसपैठ कोई और नहीं बल्कि एक घूमकेतु है जो आज से पहले सौरमंडल में नहीं देखा गया, इसके दिखने के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिक इसकी जांच के अध्ययन में लग गए हैं और जानने का प्रयास कर रहे हैं कि कहीं यह घूमकेतु हमारे पृथ्वी के लिए कोई खतरा तो नहीं है ? एक अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है कि यह घूमकेतु तीव्र गति से आगे की ओर बढ़ रहा है जोकि सौरमंडल से सूरज की ओर गति कर रहा है। इससे पहले इसे सौरमंडल के इतने करीब नहीं देखा गया और ना ही यह सौरमंडल में आया था लेकिन पिछले एक हफ्ते से यह हमारे सौरमंडल में रह रहा है।
किया गया कैमरे में कैद
चिली स्थित सेरो-टोलोलो ऑब्जर्वेटरी के डार्क एनर्जी कैमरे में कैद किए जाने वाले घूमकेतु को बर्नाडिनेली- बर्नस्ट्रीन नाम दिया गया है इसका नाम पहले था लेकिन पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के स्नातक छात्रों पेट्रो बर्नाडिनेली और एस्ट्रोनॉमी गैरी बंस्ट्रीन ने इस घूमकेतु की की खोज की तो फिर इस वजह से इस घूमकेतु को बरनेडिनेली-बनस्ट्रीन नाम दिया गया। यह घूमकेतु ऊर्ट क्लाउड से निकलकर हमारे सौरमंडल की ओर आगे बढ़ रहा है जिससे अब दुनिया भर के वैज्ञानिक इस बात के अध्ययन में जुट गए हैं कि कहीं इससे हमारे पृथ्वी को कोई नुकसान तो नहीं।
100 किलोमीटर चौड़ा है घूमकेतु
ब्रनेडिनेलो-बनस्ट्रीन घूमकेतु का टेलीस्कोपिक का टेलीस्कोपिक अध्ययन के बाद ज्ञात हुआ कि यह लगभग 100 किलोमीटर चौड़ा है जो पृथ्वी से सूरज की दूरी से 20 गुना ज्यादा की दूरी से गुजरेगा। अध्ययन में पाया गया कि यहां 23 जनवरी 2031 को हमारे सूर्य के सबसे पास पहुंचेगा और उस समय धरती से सूरज की दूरी से 11 गुना ज्यादा दूर होगा। टेलिस्कोप के अध्ययन के बाद यह एक नीले रंग के बिंदु सा प्रतीत होता है।
क्या कहते हैं एस्ट्रोनामर और कब की गई घूमकेतु की खोज
सौरमंडल में इतने करीब दिखने वाले घूमकेतु पर हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन के सेंटर ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के स्ट्रोनौमोर पीटर वर्स कहते हैं कि इसके अध्ययन के लिए हमारे पास लगभग 20 साल का समय है यह काफी रोमांचक मौका है क्योंकि यह घूमकेतु उर्ट क्लाउड से निकला है जहां पर बर्फ के मैदान है और वहां बर्फीले पत्थरों का कचरा भरा पड़ा हुआ है जिसने हमारे सौरमंडल को चारों ओर से घेरा हुआ है।
साल 2014 में खोजा जाने वाला बेनेडियल-बनस्टरीन घूमकेतु सिर्फ एक नीले बिंदु सर प्रतीत होता था जिसे दोनों वैज्ञानिकों ने फिर साल 2015, 2016, 2017 और 2018 में भी लगातार देखा। इस घूमकेतु के लगातार नजदीक आने से दोनों वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट माइनर प्लेनेट सेंटर भेजा जिससे की डिटेल स्टडी से इस बात का पता लगाया जा सके कि यह कोई एस्टेरॉइड या छोटा ग्रह तो नहीं जो हमारी पृथ्वी की ओर आ रहा हो।
क्या कहा माइनर प्लेनेट सेंटर ने
घूमकेतु के गहरे अध्ययन के लिए रिपोर्ट के लिए भेजें माइनर प्लेनेट सेंटर से यह बात सामने आई कि यह घूमकेतु रासायनिक पर पर निष्क्रिय है जिसके पीछे एक धुंधली पूछ पड़ी हुई है, जो या तो धूल की हो सकती हैं या फिर किसी तरह की भाप या गैस की। इसी बात से वैज्ञानिक चिंतित है की जब यह केमिकली निष्क्रिय है तो इसके पीछे पूछ कैसे बन रही है ? अध्ययन के बाद यह बात सामने आई कि रासायनिक रूप से निष्क्रिय घूमकेतु जब अंतरिक्ष में घूमता है तो सूर्य के ताप और सौर हवाओं के घर्षण से इसकी पूंछ बनती है।
माइनर प्लेनेट सेंटर से जुड़े एस्ट्रोनोम पीटर्स बताते हैं कि जैसे जैसे ही यह सूर्य के नजदीक आता जा रहा है वैसे ही यह और प्रचंड और सक्रिय होता जा रहा है इसे सूर्य के एक चक्कर पूरा करने में 55 लाख वर्ष लगेंगे और यह सूर्य के सबसे दूर करीब 1 प्रकाश वर्ष पर जाएगा।
पहला ऐसा घूमकेतु जो सौरमंडल में आया
धूमकेतु की अधिक जानकारी के संदर्भ में पीटर ने कहा कि अभी हमारे पास इसके बारे में कोई ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन हो सकता है कि सूरज के पीछे जाने से पहले हम अगले 20 सालों में इसकी स्टडी पूरी कर लें। क्या पता सूरज के ज्यादा पास आने से यह खत्म हो जाए और भविष्य में इसका कोई चक्कर ना लगे। यह ऐसा क्योंकि यह पहला घूमकेतु है जो हमारे सौरमंडल में आया है नहीं तो घूमकेतु अक्सर सौरमंडल के बाहर ही चक्कर लगाते हैं।