भारत की जलवायु निरंतर बदलती रहती है यहां साल के बारह महीनों में अलग-अलग मौसम देखने को मिलता है। जहां सर्दियों में भारी सर्दी देखने को मिलती है तो वहीं गर्मियों में भीषण गर्मी की चपेट में लोग आ जाते हैं। परंतु गर्मी व सर्दी से ज्यादा संक्रमण की दर मानसून के सीजन में देखने को मिलती है जब तुरंत मौसम में बदलाव आता रहता है। मानसून में सबसे ज्यादा खतरा वायरल डिजीज का रहता है जिस वजह से लोग संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। भारत में मानसून ज्यादातर जून अंतिम व जुलाई के शुरूआत तक आ जाता है। एक ओर तो बारिश होने से गर्मी से राहत व पानी की समस्या कम हो जाती है तो वहीं दूसरी ओर मौसम बदलाव से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं आने लगती हैं। मानसून में संक्रमण का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है जिस कारण हमें मानसून में सुरक्षित रहना बेहद जरूरी है।
बरसात के दौरान वायरल व बैक्टीरियल डिजीज की समस्या अधिक हो जाती है, ज्यादातर दूषित पानी व मौसम में होने वाले अचानक बदलाव से व्यक्ति बीमार होने लगता है। ऐसी कई बीमारियां भी होती है जिससे व्यक्ति में तेज फीवर, फ्लू और इम्यूनिटी कमजोर पड़ने के लक्षण दिखने लग जाते हैं। इम्यूनिटी कम होने के कारण बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है जिससे व्यक्ति तुरंत बीमार पड़ जाता है। तो इसलिए मानसून में हमें ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता और ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित रहना जरूरी है। चलिए जानते हैं मानसून में होने वाले कुछ बीमारियों के बारे में और उन तरीकों से को भी जानते हैं जिनसे इम्यूनिटी को बूस्ट किया जा सकता है।
वायरल फीवर व कॉमन फ्लू (Viral Fever and Common Flu)
मानसून की सबसे ज्यादा शिकायत आने वाले मामलों में कॉमन फ्लू और वायरल फीवर ही हैं यह डिजीज हवा के माध्यम से ज्यादा स्प्रेड करते हैं और मानसून में इन बीमारियों में तेजी आने लग जाती है। मानसून के दौरान हवा में नमी की मात्रा अधिक हो जाती है और नमी अधिक होने से सूक्ष्मजीवों को वृद्धि करने के लिए उपयुक्त वातावरण मिल जाता है जिस वजह से संक्रमण फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इन बीमारियों के सिम्टम्स में गले में खराश, नाक बहना, बुखार और आंखों से पानी आना आदि शामिल हैं।
मानसून काल में इन बीमारियों का ज्यादा खतरा होने से इनका बचाव भी बेहद जरूरी है। इन बीमारियों से बचाव के लिए बरसात के दौरान बाहर निकलते समय रेन प्रोटक्शन गियर जैसे छाता, रेनकोट आदि का प्रयोग अवश्य करें। गंदे पानी से दूर रहें और बाहर से वापस घर आने पर कपड़े, जूते और मोजे को तुरंत बदल दें। इसके साथ ही गर्म पानी से स्नान करें।
फूड एंड वॉटर बोर्न डिजीज (Food and Water Borne Disease)
मानसून सीजन में सबसे आवश्यक है कि आप घर में बने ताजे भोजन का ही सेवन करें। पानी और भोजन को ढक कर रखें और उबला हुआ या प्यूरीफाइड पानी का सेवन करें। गंदगी से दूर है क्योंकि ज्यादातर वायरस और बैक्टीरिया गंदगी में ही पनपते हैं जिस वजह से हैजा, टाइफाइड और डायरिया जैसी घातक बीमारियां होती हैं। जंक फूड को अवॉइड करें क्योंकि इसका शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिस कारण पेट संबंधी समस्याएं, बुखार आदि के मामले बढ़ जाते हैं।
डेंगू और मलेरिया (Dengue and Malaria)
वर्षा ऋतु के काल में काफी मात्रा में बारिश होती है और इस वजह से कई इलाकों में पानी भर जाता है तो कई जगह पानी जमा हो जाता है, जो समय के साथ-साथ ठहर जाता है। यह रुका हुआ पानी, मच्छरों के प्रजनन जगहों के रूप में बन जाती है जिससे आसपास के क्षेत्रों में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां बढ़ने लग जाती हैं।
इन बीमारियों से सुरक्षित रहने के लिए सबसे पहले आप अपने आस-पास पानी जमा न होने दें। मच्छर मारने वाली दवाओं का छिड़काव करें और मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें। मच्छरों को घर के अंदर घुसने से रोकने के लिए शाम होने से पहले-पहले खिड़कियों और दरवाजों को बंद कर लें।
करें फलों का सेवन (Eat Fruits)
फल हमारे जीवन के महत्वपूर्ण आहार में से एक हैं, ताजे फल हमारे शरीर के लिए बेहद लाभदायक होते हैं। शरीर को संक्रमण से बचाने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सेब, जामुन, पपीता, आड़ू, अनार, लीची जैसे मौसमी फलों का सेवन करें। इसके अलावा आप फलों का जूस व सूप आदि का सेवन भी कर सकते हैं।
मानसून काल में इन तरीकों से वायरल फीवर हो या वायरल फ्लू और साथ ही बैक्टीरियल आदि बीमारियों से भी सुरक्षित रह सकते हैं। इसके अलावा आप अपने आस-पास के क्षेत्र को भी सुरक्षित रखने में अहम योगदान दे सकते हैं।