देश की अर्थव्यवस्था तभी मजबूत होगी जब करदाता अधिक से अधिक संख्या में और समय पर इनकम टैक्स को भरेंगे। यदि सरकार ने आपकी आमदनी में से टैक्स काटकर जमा कर दिया गया हो तो आप उसे बिना आइटीआर फाइल किए वापस नहीं पा सकते। नौकरी या कारोबार से आमदनी वाले हर व्यक्ति को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए। जिनके पेमेंट से स्रोत पर कर कटौती (TDS) हुई हो तो आइटीआर फाइल करना जरूरी हो जाता है। दरअसल आयकर विभाग ने अप्रैल में बयान जारी कर कहा था कि इस बार ₹5 लाख तक की इनकम टैक्स रिफंड को प्रोसेसिंग के बाद तुरंत दे दिया जाएगा लेकिन हकीकत यह है कि इस साल रिफंड मिलने में महीनों तक का समय लग गया है। अब आलम यह है कि कई करदाता रिफंड देरी की शिकायत आयकर विभाग के ट्विटर हैंडल पर करने लग गए हैं।
रिफंड क्या है ? :
किसी फाइनेंसियल ईयर में आयकर दाता की अनुमानित निवेश दस्तावेज के आधार पर उसके इनकम टैक्स को एडवांस में काट लिया जाता है लेकिन वित्त वर्ष के अंत तक जब वह फाइनल दस्तावेज जमा करता है और अनुमानित आय से ज्यादा टैक्स कट जाता है तो उसे इनकम टैक्स विभाग से रिफंड के लिए आईटीआर दाखिल कर आवेदन करना पड़ता है।
रिफंड कैसे आता है ? :
ITR File करते वक्त यदि आपने अपने बैंक का RTGS/NECS कोड दिया है तो डायरेक्ट आपके बैंक अकाउंट में रिफंड डाल दिया जाता है। ध्यान रहे आइटीआर में बैंक अकाउंट नंबर के साथ MICR कोड देना भी आवश्यक है।
इसके अलावा यदि आपका बैंक अकाउंट पैन नंबर से लिंक नहीं है तो आपके पास इनकम टैक्स का रिफंड, चेक के माध्यम से आ जाएगा। आईटीआर पर दिए पते पर ही आयकर विभाग चेक को भेजेगा।
प्रोसेसिंग में 45 दिन का समय :
आयकर अधिनियम 1961 के तहत आइटीआर के सत्यापन के बाद आयकर विभाग टैक्स की प्रोसेसिंग करता है। प्रोसेसिंग पूरे होने के बाद उसकी अधिसूचना आपके मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस पर भेजा जाता है। सीपीसी यानि सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर के जरिए हर आइटीआर को प्रोसेस किया जाता है जिसमें सीपीसी के पास मौजूद आंकड़े और करदाता की ओर से दिए आंकड़ों की तुलना की जाती है। इस प्रक्रिया को पूरी करने में आयकर विभाग को 45 दिन का समय दिया जाता है। वर्तमान समय डिजिटलीकरण का है समय है जिसमें यह पूरी प्रक्रिया जल्दी समाप्त हो जाती है और रिफंड जल्दी मिल जाता है।
क्या है रिफंड देरी की वजह :
रिफंड देरी की वजह कई गलतियां हो सकती हैं जो कभी हम से तो कभी विभाग से भी हो सकती है। यदि आइटीआर फाइल करते वक्त आप बैंक डीटेल्स गलत भर देंगे या कुछ अन्य गलती होती है तो रिफंड मिलने में देरी हो सकती है। इसके साथ ही बैंक अकाउंट प्रीवैलिडेट नहीं होने पर भी रिफंड में देरी हो सकती है।
इसके अलावा आयकर विभाग ने इस साल आइटीआर सिस्टम में एक टेक्निकल अपग्रेड करने की घोषणा की थी जो कि आयकर रिफंड में देरी की वजह हो सकती है। यह अपग्रेड इनकम टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग में तेजी लाने के लिए किया जा रहा है। एक टेक्सपियर के सवाल के जवाब में ट्वीट करके आयकर विभाग ने बताया कि "टैक्सपेयर्स की सेवा में सुधार की अपनी प्रतिबद्धता के तहत ही हम एक नया कदम उठा रहे हैं। हम एक नए टेक्नोलॉजी अपडेट प्लेटफार्म(CPC 2.0) अपनाने जा रहे हैं ताकि आईटीआर की प्रोसेसिंग तेज हो सके। आंकलन वर्ष 2020-21 की आइटीआर को (CPC 2.0) पर ही प्रोसेस किया जाएगा।"
ऐसे चेक करें अपने रिफंड स्टेटस :
एनएसडीएल या आयकर विभाग की ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाकर आप अपने रिफंड के डिटेल्स चेक कर सकते हैं। ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें। अपना यूजर नेम, पासवर्ड, डेट ऑफ बर्थ आदि भरे। इसके बाद 'माय अकाउंट' टैब पर क्लिक करके रिफंड/डिमांड स्टेटस विकल्प पर जाए। इस पर क्लिक करने से सभी रिफंड स्टेटस की जानकारी आपको मिल जाएगी।