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शिक्षकों के मामले में भारत छठे पायदान पर | Most Positive Teachers

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काको लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।

यह पंक्तियां गुरु को समर्पित हैं। गुरु, जिसे हम शिक्षक कहते हैं जो देश के बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करता है। गुरु वह जो इस भविष्य की नींव को भी मजबूत बनाता है। गुरु वो जो सगे संबंधियों से इतर बच्चों में मानवता, प्रेम, नैतिकता, सौहार्दता आदि गुणों का संचार करता है। गुरु वो जो बच्चे को पढ़ने के साथ-साथ उसके व्यवहार को भी कुशल बनाने का कार्य करता है। इन शिक्षकों की विश्वसनीयता को लेकर हाल ही में विश्व भर के 35 देशों में एक सर्वे किया गया जिसमें भारत का स्थान छठवां है। आइए इस लेख के माध्यम से सर्वे के सभी बिंदुओं को जानते हैं।

दरअसल बात यह है कि ब्रिटेन में स्थित वार्के फाउंडेशन ने हाल ही में एक सर्वे के करने के बाद अपनी रिपोर्ट साझा की है। इस रिपोर्ट को 'रीडिंग बिटवीन द लाइंस:- व्हाट द वर्ड रियली थिंक ऑफ टीचर्स' नाम दिया गया है। इसके अनुसार जब भी शिक्षकों या अध्यापकों की के लिए लोगों के अंतर्निहित, अचेतन व स्वचालित विचारों की बात की जाती है तो इस मामले में भारत को छठवां स्थान प्राप्त है। Most Positive Teachers


क्या था यह सर्वे


गौरतलब है कि अध्यापकों के लिए लोगों के इम्प्लिसिट,  काॅनशियस तथा ऑटोमेटिक व्यूज को लेकर एक विशेष तरह का सर्वे किया गया। इसमें प्रतिभागियों के खुद की धारणा पर देशों का क्रम तय किया जाना था। इस मामले में उनसे कहा गया कि वे बिना सोचे समझे और बहुत जल्दी-जल्दी सारे प्रश्नों के उत्तर बताएंगे। प्रश्न इस प्रकार से थे कि उनके देश में शिक्षक विश्वास करने लायक है या नहीं अर्थात् विश्वसनीय हैं या अविश्वसनीय, प्रेरणा देने वाला है या नहीं, बच्चों का ध्यान रखने वाला है या नहीं, मेधावी है या नहीं। इस तरह के प्रश्नों के उत्तर जल्दी-जल्दी और बिना सोचे समझे देने थे इसी सर्वे में सबसे आगे चीन, घाना, सिंगापुर, कनाडा और मलेशिया के शिक्षक रहे हैं। उसके बाद छठे स्थान पर भारत का नाम आता है।


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कोरोना के कारण प्रभावित हुए हैं 1.5 अरब विद्यार्थी


वैश्विक सर्वे करने वाला फाउंडेशन वार्के तथा ग्लोबल टीचर प्राइस के संस्थापक सन्नी वार्के कहते हैं कि "इस रिपोर्ट से यह साबित होता है कि शिक्षकों का सम्मान कितना महत्वपूर्ण है।यह सिर्फ कुछ लोगों का ही नहीं बल्कि नैतिक दायित्व है क्योंकि देश के शैक्षणिक नतीजों के लिए यह अनिवार्य है। इस समय कोरोनावायरस महामारी के दौरान सभी स्कूल, यूनिवर्सिटी बंद हैं जिससे करीब 1.5 अरब विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं। ऐसे समय में अब यह कई ज्यादा जरूरी है कि हम अच्छे शिक्षकों की पहुँच छात्रों तक सुनिश्चित करने के लिए जो भी जरूरी हो वह सारे उपाय करें।"


भारत के पीछे हैं शिक्षा पर अधिक खर्च करने वाले देश


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2018 से ग्लोबल टीचर स्टेटस इंडेक्स के आंकड़ों के आधार पर एक रिपोर्ट बनाई गई जिसमें शिक्षकों की स्थिति और छात्रों के फायदे के बीच के संबंध को दर्शाया गया है। इसी ग्लोबल टीचर स्टेटस इंडेक्स के आधार पर 35 देशों का सर्वेक्षण किया गया था और इनमें से हर एक देश में से 1000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके बाद एक नई रिपोर्ट तैयार की गई। सर्वप्रथम इसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि क्यों अंतर्निहित टीचर स्टेटस अलग-अलग देशों में अलग-अलग है? इसके अनुसार यह पता चला है कि वह देश जहां सार्वजनिक धन शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा खर्च होता है वह अमीर देश शिक्षकों को कई अधिक बेहतर दर्जा देते हैं और उनका सम्मान करते हैं। जैसे भारत में शिक्षा पर 14% तक का खर्च किया जाता है और 24वें नंबर पर आने वाले इटली में यह खर्च 8.1% है। वहीं दूसरे स्थान पर जो देश आया है वह है घाना तथा घाना शिक्षा पर 22.1% सरकार की तरफ से खर्चे करता है।


शिक्षकों का सम्मान है अति आवश्यक


इस तरह से इस सर्वे में यह साबित हो जाता है कि शिक्षकों का सम्मान करना सबकी जिम्मेदारी है। यह सबसे महत्वपूर्ण है कि शिक्षकों का सभी लोग सम्मान करें और इसे अपनी जिम्मेदारी समझें। किसी देश के एकेडमिक रिजल्ट के लिए भी यह अत्यंत आवश्यक है। कोरोनावायरस के कारण जब सारे स्कूल और कॉलेज बंद थे तब भी शिक्षकों ने अपना अहम किरदार निभाते हुए दूर से दूर रहने वाले छात्रों तक भी शिक्षा को पहुंचाना सुनिश्चित किया है और इसके लिए हर संभव कोशिश की है। इसलिए शिक्षकों की देश में आवश्यकता है और उन्हें सर्वोच्च पद पर हमेशा रखना चाहिए।


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