Supersonic-Cruise-Missile
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भारत ने BrahMos Supersonic Cruise Missile का किया सफलतापूर्वक परीक्षण

भारत ने सफलतापूर्वक BrahMos Supersonic Cruise Missile का परीक्षण किया। यह परीक्षण भारत ने उड़ीसा के एक प्रक्षेपण स्थल से किया। इस मिसाइल की खासियत यह है कि इसने इंडियन नेवी के स्वदेशी आईएनएस चेन्नई से अपने टारगेट को पिन पॉइंट पर हिट किया जोकि अरब सागर में मौजूद था और इसने सटीकता के साथ अपने टारगेट को हिट किया जिससे यह परीक्षण सफल रहा।

चीन जैसे बड़े देश और भारत के बीच चल रही तनातनी के बावजूद भी भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। सूत्रों की माने तो यह मिसाइल कई विदेशी विशेषताओं से परिपूर्ण है जोकि आत्मनिर्भर भारत की और एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत द्वारा किया गया यह परीक्षण ओडिशा में स्थित एक प्रक्षेपण स्थल से किया गया तथा नौसेना के स्वदेशी स्टील्थ डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई से इस मिसाइल को दागा गया तथा अरब सागर में स्थित एक टारगेट पर निशाना लगाया गया।

इस परीक्षण के चलते सभी मानक प्राप्त कर लिए गए थे। यह परीक्षण सुबह 10:45 पर किया गया। डीआरडीओ के अधिकारी के मुताबिक समुद्र, जमीन और लड़ाकू विमानों से भी इस मिसाइल को दागा जा सकता है।

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने अत्यंत जटिलता से परिपूर्ण युद्ध अभ्यास करने के बाद अपने लक्ष्य को बड़ी ही सटीकता के साथ और सफलता पूर्वक हासिल किया। यह मिसाइल एक हथियार के रूप में नेवल सरफेस लक्ष्यों को लंबी दूरी तक निशाना बनाकर युद्ध पोतों, पनडुब्बियों आदि की अजेयता को निश्चित करेगी।


भारत और रूस ने साथ मिलकर बनाई है यह मिसाइल


ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। इसमें भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया ने मिलकर काम किया तथा इस मिसाइल को विकसित किया है। रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर बेस्ड है यह मिसाइल। यूं तो इसके कई नाम रखे जा सकते थे परंतु इस मिसाइल का नाम रूस की मस्कवा नदी और भारत की ब्रह्मपुत्र नदी के नाम पर संयुक्त रूप से रखा गया है।


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पहले विस्तारित संस्करण का किया जा चुका है सफल परीक्षण


मिसाइल के पहले संस्करण का परीक्षण 11 मार्च 2017 को सफलतापूर्वक किया गया था। इसकी मारक क्षमता 450 किलोमीटर थी। इसके बाद चांदीपुर स्थित आईटीबी से कम दूरी की मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल के जमीनी संस्करण का परीक्षण 30 सितंबर 2019 को किया गया था। यह मिसाइल स्वदेशी उपकरण क्षमता को मजबूत करने में भारत की ओर से एक बड़ा कदम बताया जा रहा है।


मारक क्षमता है 400 किलोमीटर


इस ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता 400 किलोमीटर से ज्यादा है तथा इसकी गति ध्वनि की गति से लगभग 3 गुना अधिक है।


सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल


सूत्रों के अनुसार यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह मिसाइल पहले से ही भारतीय थल सेना, नौसेना तथा वायु सेना के पास उपलब्ध है। भारत तथा रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित यह मिसाइल 'मध्यम रेंज की रेजमेंट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है'। जिसे विभिन्न जगहों जैसे पनडुब्बियों, युद्ध पोतों, जमीन तथा लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सकता है।


गृह मंत्री तथा रक्षा मंत्री द्वारा सफल परीक्षण पर दी गई बधाई


भारत के इस शानदार प्रदर्शन पर गृह मंत्री तथा रक्षा मंत्री द्वारा शुभकामनाएं दी। गृह मंत्री अमित शाह जी ने ट्वीट करते हुए कहा कि -"स्वदेशी रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण करने के लिए डीआरडीओ पर भारत को बहुत गर्व है।"

इसी तरह रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ के अध्यक्ष ने डीआरडीओ के कर्मियों, ब्रह्मोस टीम और संबंधित उद्योग को इस विशेष प्रदर्शन पर बधाई दी।


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