जौहर नाम से तो आप सभी परिचित होंगे। माना जाता है कि चित्तौड़़ का प्रथम जौहर रानी पद्मिनी द्वारा किया गया था जो 1303 में दूसरा 1535 और तीसरा 1568 में हुआ था तथा पुरुषों के द्वारा किए गए इस आत्मदाह को शाका कहा जाता था। यह बात उस शोध लेख में स्पष्ट हुई है जिसके आधार पर इस पुस्तक की रचना हुई। और पढ़ें