यह ग़ज़ल दिल में उठ रहे तूफानों और अजीब बेचैनी का वर्णन करती है। शायर को लगता है जैसे कोई ताज़ा हवा चली है और उनके नाज़ुक दिल को चोट लगी है। दिल में शोर है, मानो कोई दीवार गिर गई हो। दुनिया में उनका मन नहीं लगता और उन्हें नहीं पता कि क्या कमी है। और पढ़ें