इक बगल में चाँद होगा, इक बगल में रोटियाँ एक तरह से एक आलोचनात्मक कविता है, जिसमे कवि पियूष मिश्रा बोलते हैं की भौतिकवादी युग में हम चाँद पर तो पहुंच लेंगे लेकिन दुनिया में अंतरिक्ष के अलावा कई और समस्यांए भी हैं और उनमे से मुख्य भुखमरी है जिसे मिटाना ज्यादा जरूरी है और पढ़ें