Top 10 Tourist Places to Visit in Chattisgarh
पर्यटन

छत्तीसगढ़ के 10 प्रमुख स्थल जो है पर्यटको के लिए आकर्षण केंद्र

छत्तीसगढ भारत देश का खूबसूरती से समृद्ध राज्य है। बडे-बड़े वन, सुसज्जित पारंपरिक लोक इतिहास, दुर्लभ प्राकृतिक संपदा, भव्य मंदिर तथा विलक्षण संस्कृति को संजोए हुए छत्तीसगढ अपने लोकप्रिय पर्यटक स्थलों के लिए भी काफी मशहूर है। यह राज्य देश में अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में 16वें स्थान पर आता है। इसके साथ  ही इसे भारत के सबसे बड़े राज्यों की सूची में दसवां स्थान प्राप्त है। इतिहास की दृष्टि से देखा जाए तो छत्तीसगढ़ का वर्णन पवित्र रामायण तथा महाभारत दोनों ही ग्रंथों में मिलता है। कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ वर्षों पूर्व से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास को मार्ग प्रदान करता रहा है। 

पहले छत्तीसगढ़ का नाम दक्षिण कौशल हुआ करता था परंतु बाद में 36 गढों को एक साथ मिलाने पर इस जगह का नाम छत्तीसगढ़ पड़ गया। इसके अलावा छत्तीसगढ़ी देवी के भव्य मंदिर में 36 स्तंभ निर्मित होने के कारण को भी इस राज्य के नामकरण का आधार माना जाता है। रामायण के अनुसार छत्तीसगढ़ के सिंहावल पर्वत के एक आश्रम में रहने वाले ऋषि जिनका नाम ऋषि श्रृंगी था, उन्होंने अयोध्या के राजा दशरथ के यहां पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ करवाया था जिसके फलस्वरूप ही राजा दशरथ को उनके चारों पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। वर्तमान में छत्तीसगढ़ का गठन 1 नवंबर सन 2000 को एक राज्य के रूप में किया गया। इसकी राजधानी रायपुर बनाई गई। इसके उत्तर पूर्व में उड़ीसा तथा झारखंड, पश्चिम में महाराष्ट्र, उत्तर में उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण में तेलंगाना राज्य अवस्थित हैं। यह राज्य क्षेत्र पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था।


छत्तीसगढ़ अपने ऐतिहासिक स्मारकों, विभिन्न झरनों तथा चट्टानों से समृद्ध पर्यटक स्थलों के लिए भी हर रूप में प्रसिद्ध हैं। पर्यटन की दृष्टि से देखा जाए तो छत्तीसगढ़ एक अद्वितीय स्थान है। जहां पर घने वन हैं, खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य है, विभिन्न वन्य जीव संसाधन हैं, पारंपरिक संस्कृति तथा वर्तमान समय का मिलाजुला रूप दिखाई देता है। इसके अलावा यहां रहने वाले आदिवासी पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र माने जाते हैं। इन सभी प्रमुख आकर्षणों की वजह से ही आज छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्र सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश के भी कई पर्यटकों को लुभाते हैं। आइए जानते हैं इस समृद्ध सांस्कृतिक परिवेश से परिपूर्ण राज्य छत्तीसगढ़ के विभिन्न पर्यटक स्थलों के बारे में जहां आपको जीवन में एक बार अवश्य जाना चाहिए।


चित्रकूट फाॅल्स (Chitrakoot Falls)


मध्य प्रदेश से अलग होकर बने छत्तीसगढ़ राज्य में वैसे तो कई पर्यटक स्थल मौजूद हैं परंतु उनमें चित्रकूट जलप्रपात का महत्व अधिक है। दरअसल यह एक प्राकृतिक रूप से निर्मित झरना है जो कि छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले में पाया जाता है। यह जलप्रपात इस जिले में स्थित जगदलपुर क्षेत्र से 38 किलोमीटर दूर विद्यांचल पर्वत में बना हुआ है जो छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश दोनों राज्यों के बीच में पड़ने वाले क्षेत्र में पश्चिम की ओर बहने वाली इंद्रावती नदी पर फैला हुआ है। दरअसल इस झरने को भारत के सबसे चौड़े झरने के रूप में जाना जाता है। इस वजह से ही इसे भारत का 'नियाग्रा फॉल्स' भी कहा जाता है। आपको बता दें कि यह झरना मानसून के समय काफी अधिक तेजी से बहता है जोकि लगभग 100 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है और 150 मीटर तक चौड़ा दिखाई देता है। 

मानसून के अलावा अन्य मौसम में झरने की धाराएं अलग-अलग हो जाती हैं और घोड़े की नाल की आकार में बहती हैं। चित्रकूट फॉल्स के बाएं छोर पर एक मंदिर स्थित है जो भगवान शिव का माना जाता है। इसके अलावा यहां पर कई गुफाएं बनी हुई हैं। इनके साथ में कुंड भी निर्मित किए गए हैं। ये सभी गुफाएं पार्वती गुफाओं के नाम से विख्यात हैं। कहा जाता है कि चित्रकूट झरने के नीचे बनने वाले तालाब के छोर पर भी कई छोटे-छोटे शिव लिंग तथा त्रिशूल उपस्थित हैं। चित्रकूट झरने की खूबसूरती का अंदाजा इसके तेज बहाव में बनने वाली धुंध से लगाया जा सकता है। इस तरह के सुंदर प्राकृतिक दृश्य देखते ही पर्यटकों का मन आनंद से भर उठता है।



रायपुर (Raipur)


रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है तथा राज्य के सबसे बड़े शहरों में अग्रणी है। इस शहर में राज्य के कई इस्पात संयंत्र तथा औद्योगिक केंद्र स्थापित हैं जिस वजह से यह देश के बड़े औद्योगिक केंद्रों में गिना जाता है। यहां पर स्टील, एलुमिनियम और कोयला जैसे कई उद्योग लगाए गए हैं जिससे यहां पर औद्योगिक व्यापार काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा रायपुर एक पर्यटन स्थल के रूप में भी तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है क्योंकि इस शहर में सिर्फ औद्योगिक गतिविधियां ही नहीं बल्कि ऐसे कई जगहें शामिल हैं जहां पर पर्यटक अपने मनोरंजन हेतु आ सकते हैं।

इस शहर में बसे मंदिर, झीलों के साथ-साथ यहां के शैक्षिक केंद्र भी क्षेत्र को विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। देखा जाए तो रायपुर का भी अपने आप में एक विस्तृत इतिहास है जिस कारण यहां पर कई दर्शनीय स्थल भी मौजूद हैं। जहां आकर पर्यटक मन की शांति को प्राप्त कर सकते हैं। इनके अलावा रायपुर क्षेत्र में बिलासपुर, अमरकंटक, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, दंडक गुफाएं, बार्नावापारा वन्यजीव अभ्यारण्य, सीता नदी वन्यजीव अभ्यारण्य तथा भिलाई जैसे क्षेत्र स्थित हैं जहां पर प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ वन्यजीवों को भी आसानी से देखा जा सकता है। 



डोंगरगढ़ (Dongargarh)


डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शामिल है। यह एक तीर्थ स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। दरअसल यहां पर एक प्रसिद्ध मंदिर है जो माता बम्लेश्वरी देवी को समर्पित है। यह मंदिर करीब 600 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है। इस जगह को बम्लेश्वरी बाड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा डोंगरगढ़ क्षेत्र में एक अन्य मंदिर भी उपस्थित है जो बम्लेश्वरी मंदिर से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर निर्मित है। इस मंदिर को छोटा बम्लेश्वरी मंदिर के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां पर आने वाले पर्यटक दशहरे और चैत्र नवरात्रों के समय भक्तों की भारी भीड़ में सम्मिलित होते हैं और इस अवसर पर मंदिर में आकर उन्हें माता की दिव्य पूजा में शामिल होने का अवसर मिलता है। दरअसल इस दौरान यहां पर मेलों का भव्य आयोजन किया जाता है जो काफी लंबे अंतराल तक होता है। अतः यदि आप इस तरह के तीर्थ स्थल में जाने का मन बनाते हैं तो यहां आकर आपको सुखद अनुभूति की प्राप्ति होती है जो बाहरी तौर पर नहीं बल्कि भीतर से आत्मिक सुख प्रदान करती है।



चंद्रहासिनी मंदिर (Chandrahasini Temple)


चंद्रहासिनी मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर जिले में स्थित है। यह मंदिर चंद्रपुर नामक स्थान पर महानदी के किनारे बनाया गया है। मां चंद्रहासिनी देवी को समर्पित यह भव्य मंदिर मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में शामिल है। इस विशाल मंदिर में माता के दर्शन पाकर  भक्त धन्य हो जाते हैं और इस तरह के दिव्य अनुभूति काफी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसके अलावा चंद्रहासिनी मंदिर के बड़े परिसर में कई विभिन्न मूर्तियों को निर्मित किया गया है जिनमें अर्धनारीश्वर महादेव तथा हनुमान जी की बड़ी प्रतिमाएं स्थापित हैं। इस जगह पर द्रोपदी चीर हरण, मां दुर्गा के नव रूप तथा कृष्ण की बाल लीलाओं को दिखाते हुए भी कई सारी मूर्तियां बनाई गई हैं। दिलचस्प बात यह है कि मंदिर परिसर में ही एक सर्व धर्म मंदिर भी निर्मित किया गया है जिसमें भारत के सभी धर्मों के पूजनीय देवी देवताओं को स्थान दिया गया है। यहां पर हर वर्ष नवरात्रि के समय भव्य मेले का आयोजन होता है जिसमें लाखों भक्त भाग लेते हैं। इनमें कई सारे पर्यटक भी शामिल होते हैं जो दूर-दूर से इस मंदिर के विहंगम दृश्यों के दर्शन के लिए आते हैं। आपको भी एक बार यहां अवश्य आना चाहिए।



अचानकमार टाइगर रिजर्व (Achanakmar Wildlife Sanctuary)


अचानकमार टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों में से एक है। यह क्षेत्र बिलासपुर जिले के मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर है। इस अभ्यारण्य को 1975 में निर्मित किया गया था। हालांकि यह 2009 में ही टाइगर रिजर्व घोषित हुआ है। यह अभ्यारण्य एक विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है जो 557 स्क्वायर किलोमीटर बताया जाता है। यहां पर आकर पर्यटक रोमांच से भरे हुए बेहतरीन अनुभवों का आनंद लेते हैं। इस क्षेत्र में जलप्रपातों के साथ-साथ वन्यजीवों की भी भरमार है। बाघ, भारतीय गिलहरी, लकड़बग्घा, भालू, तेंदुआ, बाइसन, जंगली कुत्ते होने के साथ-साथ यहां पर लगभग 150 पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती हैं। जंगल का आनंद लेने के लिए यहां पर एक वॉच टावर भी निर्मित किया गया है। इस पार्क की सैर करना पर्यटकों के अद्भुत अनुभवों में से एक है। अतः यदि आप इस प्रकार के वन्य जीवन को देखने के शौकीन हैं तो यहां पर आकर अपने शौक को बड़े ही रोमांचक तरीके से पूरा कर सकते हैं।



भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple)


भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के मुख्य आकर्षणों में से एक है। यह मंदिर कवर्धा से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी वाले मैकाले पर्वत श्रेणी पर स्थित है। मंदिर उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर के समान है जिस वजह से इसे सातवीं से बारहवीं शताब्दी के दौर में निर्मित माना जाता है। दरअसल भोरमदेव मंदिर अपनी दीवारों पर की गई बारीक नक्काशी और वास्तुकला के कारण प्रसिद्ध है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर से मिलता जुलता है जिस वजह से इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो नाम से भी संबोधित किया जाता है। हालांकि यह मंदिर भगवान शिव का है परंतु फिर भी इसकी बाहरी दीवारों पर 54 कामुक मुद्राओं की मूर्तियां विराजित हैं। इतनी खूबसूरती से निर्मित की गई कामुक प्रतिमाएं, पत्थरों पर बारीक नक्काशी और पुरानी वास्तु कला से निर्मित शिवलिंग इस मंदिर को एक अलग ही छवि प्रदान करते हैं। दूसरी ओर यह मंदिर चारों तरफ से प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है। सुंदर पहाड़ों और घने जंगलों के बीच में होने से इसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। मानसून के समय तो और भी हरियाली रहती है जिस कारण मंदिर की अद्भुत छटा दिखाई देती है। इस मंदिर को देखने के लिए हर वर्ष कई सारे पर्यटक इस क्षेत्र का भ्रमण करने आते हैं और मंदिर पर बनी यह खूबसूरत कलाकारी देखकर सचमुच दंग रह जाते हैं। आपको भी इसी स्थान पर एक बार अवश्य आना चाहिए।



सेतगंगा (Setganga)


सेतगंगा छत्तीसगढ़ राज्य के धार्मिक नगर के रूप में विख्यात है। सते गंगा जिले में अवस्थित मुंगेली मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर यह स्थान प्राचीन समय से ही काफी प्रसिद्ध माना जाता है। इसका एक बड़ा कारण है कि समूचे भारत में यह पहला ऐसा स्थान है जहां पर भगवान राम के द्वारपाल के रूप में रावण की पूजा की जाती है। दरअसल इस स्थान पर भगवान श्री राम तथा माता सीता का एक भव्य मंदिर निर्मित है जो कि स्वयं में ही अपनी दिव्यता को प्रदर्शित करता है। परंतु इसकी खूबी तब और बढ़ जाती है जब यहां पर काले पत्थर में बड़ी ही खूबसूरती से निर्मित रावण की प्रतिमा की पूजा की जाती है। इस वजह से ही यह मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है। यदि आप भी इस प्रकार के रोचक ऐतिहासिक मंदिरों और उनके दिलचस्प तथ्यों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं तो आपको इस स्थान की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।



लक्ष्मण मंदिर सिरपुर (Laxman Temple Sirpur)


सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का हमेशा से ही केंद्र रहा है। सिरपुर क्षेत्र छत्तीसगढ़ के रायपुर से लगभग 59 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्राचीन समय की मान्यता के अनुसार जिस वक्त इस क्षेत्र में पांडव वंश का शासन था, उस समय उनकी माता वासता द्वारा अपने पति हर्ष गुप्त की मृत्यु के पश्चात उनकी स्मृति में इस लक्ष्मण मंदिर को निर्मित करवाया गया था। इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि पूरा मंदिर ईटों से बना है। यह मंदिर सुंदर नक्काशी और बारीक बनावट के साथ विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां पर स्थित प्राचीन मूर्तियां एक संग्रहालय में रखी गई हैं। 

इसके अलावा इस लक्ष्मण मंदिर के साथ यहां पर कई अन्य मंदिर भी निर्मित करवाए गए हैं। इनमें चंडी मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, गंधेश्वर महादेव मंदिर आदि प्रमुख रूप से प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि 1977 में पुरातत्व विभाग की ओर से इस जगह पर खुदाई करवाई गई थी जिससे यहां पर कई तरह के पुरातत्व अवशेष मिले थे। इन अवशेषों में ताम्रपत्र, शिलालेख तथा बौद्ध विहार और प्राचीन समय में निर्मित अनेक मूर्तियां भी शामिल हैं। तब से लेकर अब तक इस क्षेत्र में खुदाई करने के बाद कई सारे पुराने अवशेष मिलते रहते हैं जो कि क्षेत्र के इतिहास को जानने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह बात पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है। यदि आप भी इस तरह की ऐतिहासिक निर्माण और उनके पीछे छिपे कारणों को जानने में रुचि रखते हैं तो इस स्थान पर जरूर आइए।



मैनपाट (Mainpat)


मैनपाट छत्तीसगढ़ के विभिन्न पर्यटक स्थलों में से एक है। यह क्षेत्र अपने सुहावने मौसम के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। मैनपाट छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी के साथ विंध्य पर्वत माला पर अवस्थित है। यह क्षेत्र समुद्र तट से लगभग 3781 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मैनपाट को अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुहावनी जलवायु के कारण 'छत्तीसगढ़ का शिमला' नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां पर सुंदर जलप्रपातों के साथ कई आकर्षक नजारे और कुछ ऐसे स्थान पाए जाते हैं जो पर्यटकों को लगातार अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं। इनमें टाइगर प्वाइंट, मछली प्वाइंट, सरभंजा जलप्रपात आदि प्रमुख हैं। यदि आप प्राकृतिक खूबसूरती को देखने और स्वयं के साथ कुछ समय व्यतीत करने के लिए स्थान तलाश कर रहे हैं तो यह स्थान आपके लिए परफेक्ट हो सकता है।



बस्तर (Bastar)


बस्तर क्षेत्र छत्तीसगढ़ के मुख्य जिलों में शामिल है। यहां पर प्रमुख रूप से दो आदिवासी जनजातियां रहती हैं जिनके मारिया व मुरिया नाम हैं। ये जनजातियां अपनी विलक्षण संस्कृति को आज भी संजोए हुए हैं। इस स्थान पर जाकर इन आदिवासी जनजातियों की प्राचीन तथा वर्तमान संस्कृति का मिलाजुला रूप देखने को मिलता है। यहीं से कुछ ही दूरी पर जगदलपुर क्षेत्र है । यह जगदलपुर क्षेत्र अपने यहां होने वाले विख्यात दशहरे के लिए जाना जाता है। क्षेत्र की दिलचस्प बात यह है कि यहां मनाया जाने वाला दशहरा भगवान राम के वनवास से अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में नहीं बल्कि क्षेत्र की स्थानीय देवी दंतेश्वरी के लिए आयोजित किया जाता है। दशहरे के रूप में चलने वाला यह उत्सव लगभग 75 दिनों तक चलता है। त्योहार को मनाने की इस तरह की अनोखी परंपरा यहां पर 15 वीं शताब्दी में काकटिया राजवंश के निवासियों द्वारा आरंभ की गई थी। इस तरह से देखा जाए तो बस्तर क्षेत्र अपनी विभिन्न संस्कृति, लोगों और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां पर पूरे वर्ष भर कई पर्यटक भ्रमण के लिए आते हैं।


इन सभी दर्शनीय स्थलों के अलावा छत्तीसगढ़ राज्य में इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, भिलाई, धमतरी, बरनावा पारा वन्यजीव अभ्यारण्य, तीरथगढ़ फॉल्स, कैलाश और कोटुसमर गुफाएं, मडकु द्वीप, मल्हार, राजिम, चिरमिरी आदि क्षेत्र भी पर्यटक स्थलों में शामिल हैं और पर्यटक यहां आकर काफी आनंदमय तरीके से अपना समय व्यतीत कर सकते हैं।



छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध भोजन


छत्तीसगढ़ विभिन्नताओं से भरे अपने व्यंजनों के लिए देश भर में विख्यात है। यहां के व्यंजनों में जिनी राखिया बदी और पारंपरिक पेठा महत्वपूर्ण हैं। इनके अलावा कुरकुरी जलेबी, मक्का, ज्वार, गेहूं यहां के लोग अपने खाने में अवश्य शामिल करते हैं। अरहर और चना दाल के मिश्रण से तैयार होने वाला एक विशेष तरह का व्यंजन 'बाफ़ौरी' राज्य के मुख्य व्यंजनों में शामिल है।



कैसे पहुंचे छत्तीसगढ़


छत्तीसगढ़ परिवहन के मामले में भारत का एक संपन्न राज्य है। यहां पर परिवहन के किसी भी साधन के माध्यम से बड़ी सरलता से पहुंचा जा सकता है। 

हवाई मार्ग- यदि आप हवाई मार्ग के जरिए छत्तीसगढ़ जाना चाहते हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहां पर प्रमुख रूप से एकमात्र रायपुर ही ऐसा स्थान है जहां पर नियमित उड़ानें संचालित की जाती हैं। इनमें नई दिल्ली, कोलकाता, महाराष्ट्र, मुंबई आदि के लिए उड़ानें संचालित होती हैं।


रेलवे मार्ग- यदि आप रेल द्वारा छत्तीसगढ जाना चाहते हैं तो यह आसानी से संपन्न होने वाली यात्रा हो सकती है। छत्तीसगढ़ में मुख्यतः रायपुर और बिलासपुर दो रेलवे जंक्शन उपलब्ध हैं जो भारत के अन्य हिस्सों से भलीभांति जुड़े हुए हैं।


सड़क मार्ग- सड़क मार्ग की बात करें तो छत्तीसगढ़ पूरी तरह से समृद्ध राज्य हैं क्योंकि यहां पर अंतर्राज्यीय सड़कें पूरी तरह से विकसित हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग भी रायपुर को अनेक शहरों से जोड़ते हैं जिनमें नागपुर, झांसी, कोलकाता, भुवनेश्वर आदि शहर शामिल हैं। यहां पर रोडवेज बसें चलती हैं और इन के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य के किसी भी कोने में पहुंचा जा सकता है।

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