कहते हैं कि जब आप एक पुरुष को शिक्षित करते हो तो आप सिर्फ एक 'व्यक्ति' को शिक्षित करते हो, परंतु यदि आप एक स्त्री को शिक्षित करते हो तो आप एक 'परिवार' को शिक्षित करते हो। इस कथन को पूरा किया स्वाति लाहोटी ने, जिन्होंने अपने बड़े बेटे को आई.आई.टी. की राह दिखाकर "उसके पंखों को उड़ान दी।"
आज अधिकतर पैरंट्स अपने बच्चों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा देना चाहते हैं। अधिकतर मां-बाप का और बच्चों का भी यह सपना होता है कि आई.आई.टी. मिल जाए या मेडिकल सीट में दाखिला मिल जाए। इस सपने को सच करने के लिए देश के विभिन्न संस्थानों में बच्चों को कोचिंग मुहैया करवाने का उद्देश्य लगभग सभी मां-बाप का होता है।
कोचिंग संस्थानों से कोचिंग करवाना हर एक अभिभावक के लिए संभव नहीं हो पाता। एक मध्यमवर्गीय या निम्न वर्गीय परिवार इतना एफर्ट नहीं कर पाते कि वह अपने बच्चों को कोचिंग करवा पाए, जिससे उनका आईआईटी का सपना वहीं पर खत्म हो जाता है। लेकिन ऐसी ही स्थिति में एक ऐसी महिला है जिन्होंने यह साबित किया कि एक मां और परिवार के सहयोग से भी सफलता हासिल की जा सकती है। Uske Pankhon Ki Udaan by Swati Lahoti
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स्वाति लाहोटी की किताब 'उसके पंखों की उड़ान' एक सफरनामा है। इस किताब में उन्होंने अपने बड़े बेटे के आई.आई.टी. पहुंचने के सफर की कहानी को रोचक तरीके से लिखा है। यह कहानी प्रेरणादायक है उन परिवारों के लिए जो अपने बच्चों को महंगे व बड़े कोचिंग संस्थानों में नहीं पढ़ा सकते। यह कहानी बताती है कि एक परिवार परीक्षा की तैयारी कराने में किस तरह से सहायक बन सकता है और सफलता को चूमने में मदद कर सकता हैं।
स्वाति एक पढ़ी-लिखी मां है और उन्हें प्रबंधन के बारे में पता है लेकिन उन्हें यह मालूम नहीं कि आई.आई. टी. की तैयारी किस प्रकार से की जाती है। वे भी आम माताओं की तरह कोचिंग, क्लासेस वगैरा-वगैरा के बारे में न सिर्फ पता करती हैं बल्कि सपने भी देखते हैं कि उनका बेटा आई.आई.टी. से इंजीनियर बने।
बेटे को इंजीनियर बनाने के लिए उन्होंने नौकरी से रिजाइन कर लिया और भरपूर सहयोग बेटे की इंजीनियरिंग तैयारी के लिए दे दिया। यह सच में तारीफ करने योग्य है। इसी कड़ी में उन्होंने अपने पति, जो सिंगापुर में नौकरी कर रहे थे और छोटे बेटे को भी शामिल कर लिया। Uske Pankhon Ki Udaan by Swati Lahoti
किताब में स्वाति ने खुद से ये बात स्वीकार की, कि यह कहानी एक खूबसूरत टीम की तरह है जिसमें हमने अपने-अपने रोल निभाकर टीम वर्क को पूरा किया। वे कहती हैं कि अपने बेटे को आईआईटी की तैयारी कराने में हर मां का पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है वे एक अच्छी प्रबंधक के रूप में भी सहयोग कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी होगी यदि मेरे अनुभवों से आप अपने बच्चों को बेहतर सहयोग दें। उनकी इस किताब में गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का संदेश छपा है।
सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार ने किताब की तारीफ करते हुए कहा कि यह किताब अभिभावकों का नजरिया बदल देगी। इस किताब में कुछ रेखाचित्र भी है ताकि किताब पढ़ने में बोझिल ना लगे।