Side Effects of Too Much Vitamin D
हेल्थ

Vitamin D का अधिक सेवन है हानिकारक- Side Effects of Too Much Vitamin D

Vitamin D शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन एक रिसर्च के मुताबिक इसके ज्यादा सेवन से वयस्कों में कमजोरी और जल्दी बुढ़ापा सकता है।

हमारे शरीर को विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जिससे हमारा शरीर रेगुलर फंक्शन करता है। ‌ इन्हीं तत्वों में से एक तत्व विटामिन है जो शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत रखता है। हालांकि विटामिन कई प्रकार के होते हैं पर उनमें से विटामिन डी पर एक शोध सामने आया है। एक रिसर्च के मुताबिक Vitamin D का अधिक सेवन वयस्कों में कमजोरी और जल्द बुढ़ापा ला सकता है, हालांकि विटामिन को सामान्य सेवन से शरीर को ताकत मिलती है और शरीर स्वस्थ रहता है; लेकिन नए रिसर्च के मुताबिक ज्यादा सेवन भी हानिकारक है। हालांकि अभी यह रिसर्च चूहों पर किया गया है और इसे अभी इंसानों पर किया जाना बाकी है। Side Effects of Too Much Vitamin D


विटामिन डी पर किए गए रिसर्च के कुछ तथ्य :


विटामिन डी के कमी से आती है कमजोरी 


रिसर्च के अनुसार जिन लोगों के खून में विटामिन डी का स्तर कम होता है, उनके कमजोर होने की संभावना अधिक होती है। ‌ यह जरूर एक गंभीर समस्या है क्योंकि दुनिया भर में लगभग 1 बिलियन लोगों में विटामिन डी का स्तर कम है। 


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चूहों में विटामिन डी की कमी से स्ट्रैंथ में आई कमी 


जनरल न्यूट्रेंस में बताया गया कि चूहों पर किए गए नवीनतम शोध में पाया गया कि वृद्धावस्था में विटामिन की कमी कमजोरी को बढ़ाता है। अध्ययन में कहा गया कि ज्यादा उम्र के चूहों में विटामिन डी की कमी के कारण स्ट्रैंथ और फिजिकल एक्टिविटी में कमी आई। 


कमजोरी के लक्षण


स्ट्रैंथ में कमी, फिजिकल एक्टिविटी, अप्रत्याशित वजन घटना, थकावट और धीमी गति से चलना; यह पांच लक्षण कमजोरी के हैं। डॉक्टर मानते हैं कि यदि इनमें से 3 लक्षण किसी में पाए जाते हैं तो वह कमजोर है। 


विटामिन डी की जरूरत कितनी होती 


एक व्यक्ति में विटामिन की मात्रा का आकलन अभी तक अनिश्चित जैसा है। नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक 19 से 17 साल के व्यक्तियों के लिए 600 इंटरनेशनल यूनिट (IU) और 70 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए 800 IU प्रतिदिन सेवन की जरूरत है। 


अलग-अलग मात्रा देकर किया रिसर्च 


वैज्ञानिकों ने जिन चूहों पर सर्च किया वह 24-28 महीने की उम्र तक के थे, जो 65-80 साल के इंसानों के बराबर हैं। अध्ययन की शुरुआत में चूहों को तीन ग्रुप में बांटा गया और अलग-अलग मात्रा में विटामिन डी दिया गया। 4 महीने के शोध के बाद पाया गया कि जिन चूहों को जरूरत से कम या जरूरत के हिसाब से विटामिन डी किया गया, उनमें रिसर्च के शुरुआत से थोड़ी कमजोरी आई थी। वही इसके विपरीत जिन चूहों को अधिक मात्रा में विटामिन डी दिया गया, उनमें कमजोरी कहीं ज्यादा देखने को मिली। 


मनुष्यों पर शोध का अभाव


मनुष्य पर अब तक कम शोध किए गए हैं, शोधकर्ताओं का कहना है कि मनुष्य में परिणाम को मान्य के लिए क्लीनिकल जांच को कम से कम 5 साल तक करने की जरूरत होगी। हालांकि उनका कहना है कि इतनी लंबी अवधि में विटामिन डी के लगातार उच्च या निम्न स्तर का परीक्षण करना सुरक्षित नहीं हो सकता है। 


डिस्क्लेमर: यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं, इन्हे किसी डॉक्टर या फिर स्वस्थ्य स्पेशलिस्ट की सलाह के तौर पर न लें, बिमारी या किसी संक्रमण की स्थिति में डॉक्टर की सलाह से ही अपना इलाज करवाएं।

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