What are akharas in kumbh mela in hindi
कुम्भ 2021

सनातन धर्म में साधु संतो के अखाड़े क्या हैं और कैसे आये यह चलन में

हिंदू प्राचीन मान्यताओं के अनुसार कुंभ में अखाड़ों का इतिहास प्राचीन काल से चला आ रहा है कहा जाता है कि इन अखाड़ों का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा किया गया। प्राचीन समय में इन अखाड़ों को साधुओं का जत्था या बेड़ा कहा जाता था उस समय इन बेड़ों के लिए अखाड़ा शब्द प्रयुक्त नहींं किया जाता था।


आमतौर पर "अखाड़ा" शब्द "साधुओं के समूह" के लिए प्रयुक्त किया जाता था लेकिन कालांतर में धर्म की रक्षा तथा सनातनी संस्कृति के उन्नयन के लिए इन अखाड़ा में दांवपेच की दीक्षा भी दी जाने लगी इसलिए अखाड़ों को व्यायामशाला या वह दल जो अस्त्र शस्त्र विद्या में पारंगत हो और जहां पर नृत्य किया जाता है उपनाम शब्द से भी संबोधित किया जाने लगा।


कुछ प्राचीन मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में बौद्ध धर्म के बढ़ते वर्चस्व और मुगलों के आक्रमण से सनातन धर्म की रक्षा के लिए शंकराचार्य द्वारा शस्त्र विद्या में निपुण साधुओं का कुछ संगठन बनाया गया जिनका नाम अखाड़ा रखा गया। वहीं दूसरी ओर बौद्ध परंपरा के अनुसार जिस स्थान पर बौद्ध भिक्षु एकत्र हुआ करते थे उस स्थान को मठ की संज्ञा दी जाती थी और उसी प्रकार अखाड़ों को साधुओं का मठ कहा जाने लगा। प्राचीन समय में इन अखाड़ों की संख्या केवल 4 बताई गई है लेकिन वर्तमान समय में साधुओं के आपसी मतभेद के कारण साधुओं द्वारा अलग-अलग अखाड़ों का संगठन बनाया गया है। वर्तमान में इनकी संख्या 14 हो चुकी हैं। इन अखाड़ों का नाम इस प्रकार है -जूना अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, अटल अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा ,पंचाग्नि अखाड़ा, नाग पंथी गोरखनाथ अखाड़ा, उदासीन अखाड़ा, निर्मल पंचायती अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा और वैष्णव अखाड़ा।


इन 14 अखाड़ों में केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वेश्य दीक्षा लेते हैं अन्य जातियों को अखाड़ों में शामिल होने की परंपरा नहीं है। हर अखाड़े की अपनी- अपनी विशेषताएं और कर्तव्य होते हैं संक्षेप में इन अखाड़ों से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं-


1- आह्वान अखाड़ा


आवन अखाड़ा साध्वियों की दीक्षा को निषेध करता है। इस अखाड़े की स्थापना 646 ईसवी में मानी जाती हैं जिसे 1603 में पुनः संयोजित किया गया। इस अखाड़े का केंद्र काशी में  है। इसके इष्ट देव श्री दत्तात्रेय और श्री गजानन दोनों हैं। ऋषिकेश में इस अखाड़े का प्रधान आश्रम स्थापित किया गया है। अनूप गिरी और उमरावगिरी इस अखाड़े के मुख्य संत हैं।


2- निरंजनी अखाड़ा


निरंजनी अखाड़े के 50 महामंडलेश्वर है। 14 अखाड़ों में निरंजनी अखाड़ा सबसे शिक्षित अखाड़ा माना जाता है। 826 ईसवी में गुजरात के मांडवी में स्थापित निरंजनी अखाड़े के इष्ट देव भगवान शंकर पुत्र कार्तिकेय को माना जाता है निरंजनी अखाड़े में दिगंबर ,साधु ,महंत व महामंडलेश्वर पद होते हैं। भारत में 5 स्थानों इलाहाबाद, उज्जैन, हरिद्वार, त्रियंबकेश्वर, उदयपुर में इस अखाड़े की शाखाएं हैं।


3- महानिर्वाणी अखाड़ा


671 ईसवी में स्थापित महानिर्वाणी अखाड़े का जन्म बिहार झारखंड के बैजनाथ धाम के पास से माना जाता है इसके इष्ट देव कपिल महामुनी है। महानिर्वाणी अखाड़ा प्राचीन काल से चली आ रही महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करता है।


4- अटल अखाड़ा


श्री अटल अखाड़ा की स्थापना 570 ई में गोंडवाना क्षेत्र में किया गया। इस अखाड़े के इष्ट देव श्री गणेश भगवान जी है। यह अखाड़ा प्राचीन अखाड़ों में से एक है केवल क्षत्रिय ब्राह्मण तथा वेश्य ही अटल अखाड़े में दीक्षा ग्रहण कर सकते हैं।


5- आनंद अखाड़ा 


मध्य प्रदेश के बेरार में 855 में स्थापित आनंद अखाड़े का मुख्य केंद्र वाराणसी में माना जाता है। इस अखाड़े का शाही स्नान आह्वान अखाड़े के साथ होता है। आकर्षक ढंग से सजे और भगवान शंकर का तांडव करने के साथ-साथ इस अखाड़े के साधु धनबल, जनबल और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।


6- नाग पंथी गोरखनाथ अखाड़ा 


नग्न रहने और युद्ध कला में माहिर होने तथा हठयोग की परंपरा में पारंगत होने के लिए प्रसिद्ध नाग परम्परा के  गोरखनाथ अखाड़े में 12 पंथ शामिल हैं। अहिल्या गोदावरी संगम पर स्थापित गोरखनाथ अखाड़े की स्थापना 866 साल में हुई जिसके संस्थापक पीर शिवनाथ जी हैं इस अखाड़े की प्रसिद्धि योगिनी कौल संप्रदाय नाम से है।


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7- अग्नि अखाड़ा


श्री पंचायती अखाड़ा की स्थापना 1136 में मानी जाती है इसका प्रधान केंद्र काशी में है इस अखाड़े में चार पीठ के शंकराचार्य ब्रह्मचारी साधु व महामंडलेश्वर शामिल होते हैं। इसमें केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मण दीक्षा लेते हैं।


8- जूना अखाड़ा


1145 ईस्वी में जूना अखाड़े की स्थापना उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में हुई। इसके इष्ट देव रुद्रावतार दत्तात्रेय माने जाते हैं। जूना अखाड़े को भैरव अखाड़े के नाम से भी जाना जाता है। हरिद्वार माया देवी के पास जूना अखाड़े का आश्रम स्थापित है जिसके पीठाधीश स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज हैं।


9- वैष्णव अखाड़ा


इस अखाड़े की स्थापना 1595 में दारागंज में श्री मध्य मुरारी द्वारा स्थापित की गई। वर्ष 1839 तक इस अखाड़े का शाही स्नान त्रियंबकेश्वर में हुआ करता था लेकिन 1848 के बाद से वह वैष्णव साधुओं की विवाद के चलते इन्होंने त्रियंबकेश्वर के नजदीक चक्रतीर्थ पर स्नान किया ।1932 से ये नासिक में ही स्नान करते हैं।


10- श्री उदासीन नया अखाड़ा


1710 स्थापित श्री उदासीन नया अखाड़े के प्रवर्तक महंत सुधीर दास जी थे उज्जैन हरिद्वार और त्रियंबकेश्वर में इस अखाड़े की शाखाएं मौजूद हैं।


11- निर्मोही अखाड़ा


1720 में श्री रामानंदाचार्य द्वारा स्थापित इस अखाड़े के साधु बड़े रहस्यमयी होते हैं। इस अखाड़े के मठ और मंदिर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और बिहार में है। वैष्णव संप्रदाय के तीनों आणि अखाड़ों में से नौ अखाड़े  इसमें शामिल है।


12- निर्मल पंचायती अखाड़ा


इस अखाड़े में धूम्रपान वर्जित होता है। 1784 में श्री दुर्गा जी महाराज द्वारा स्थापित इस अखाड़े की ईष्ट पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को माना जाता है। इस अखाड़े में सांप्रदायिक साधु, महंत व महामंडलेश्वर की संख्या अधिक मात्रा में होती है हरिद्वार उज्जैन व त्रियंबकेश्वर में इस अखाड़े की शाखाएं हैं।


13- श्री उदासीन पंचायती अखाड़ा


इस अखाड़े की स्थापना 1980 में मानी जाती है जिसके संस्थापक श्री चंद्रआचार्य उदासीन हैं इस अखाड़े की शाखाएं प्रयागराज, हरिद्वार ,उज्जैन ,भदैनी, त्रयंबकेश्वर, कनखल, साहिबगंज, मुल्तान, मद्रास और नेपाल में स्थापित है इस अखाड़े में उदासीन साधू, महंत व महामंडलेश्वरओं की सर्वाधिक संख्या है।


14- किन्नर अखाड़ा

 

यह नवनिर्मित अखाड़ा है जिसे पहले कुंभ के शाही स्नान में पेशवाई का अधिकार नहीं था इस बार पहली बार हरिद्वार के कुंभ में किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर श्री लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की आवाज में इस अखाड़े का जूना अखाड़ा के साथ शाही स्नान किया गया।

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