इस वक्त समूचा देश कोरोनावायरस संकट की दूसरी लहर से जूझ रहा है जो पुराना मरीज इलाज के बाद कुछ हद तक रिकवर होकर घर लौट रहे हैं तो आप उन्हें में एक नए रोग के संक्रमित लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं एक अलग तरह के लक्षणों से पीड़ित मरीजों में फंगल इन्फेक्शन देखने को मिल रहा है जिसे म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने के बाद उनकी आंखों की रोशनी चली जाना या कोई दूसरी गंभीर समस्याएं म्यूकोरमाइकोसिस की वजह से सामने आ रही हैं। गुजरात राज्य में 100 मरीज ऐसे सामने आए हैं जिनमें म्युकोरमाइकोसिस इंफेक्शन देखने को मिला। यह एक रेयर फंगल इंफेक्शन है जिसके लक्षण व इससे होने वाली समस्या काफी गंभीर है।
म्यूकोरमाइकोसिस नाम की यह बीमारी इतनी गंभीर है कि मरीज को इस बीमारी से सीधा आईसीयू में एडमिट करना पड़ रहा है। यह डिजीज शरीर में बहुत तेजी से फैलने वाला एक तरह का फंगल इंफेक्शन है जिसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। इस संबंध में अब केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी है जिसमें कहा गया है कि अनकंट्रोल्ड डायबिटीज और आईसीयू में ज्यादा दिनों तक रहने वाले कोविड-19 मरीजों में ब्लैक फंगस से होने वाली बीमारी का अगर सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो यह काफी खतरनाक हो सकता है। म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस मरीज के मस्तिष्क, फेफड़े या स्किन पर अटैक कर सकता है। इस बीमारी से कई मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। यदि समय रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(ICMR) ने इसके इलाज और प्रबंधन से संबंधित एडवाइजरी जारी कर दी है जिसमें कहा गया है कि म्यूकोरमाइकोसिस हवा से सांस खींचने पर हो सकती है इससे ब्लैक फंगस अंदर आ जाते हैं जो फेफड़ों को संक्रमित कर देते हैं।
क्या है ब्लैक फंगस? - What is Mucormycosis?
यह एक तरह का रेयर परंतु गंभीर फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना के मरीजों में ठीक होने के बाद देखा गया है। महाराष्ट्र के मेडिकल डायरेक्टर डॉ तात्याराव लहाने का कहना है कि म्युकोरमाइकोसिस एक तरह का फंगल इंफेक्शन है जो कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद देखा जा रहा है। इस बीमारी में आंखें या जबड़े में इंफेक्शन होता है जिससे मरीज की जान भी जा सकती है, यहां तक कि मरीजों को बचाने के लिए उनकी आंखें निकाली जाती हैं। ब्लैक फंगस इंफेक्शन आमतौर पर उन लोगों में होता है जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर होता है। वह व्यक्ति सामान्यतः दवाई लेता है और उसमें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं।
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण
ब्लैक फंगस एक ऐसी नई बीमारी है जो भविष्य में घातक साबित हो सकती है। पहले व्यक्ति बड़ी मुश्किल से कोविड-19 से जंग जीत रहा है और उसके बाद ब्लेक फंगस डिजीज से पीड़ित हो जा रहा है। ब्लैक फंगस पीड़ित व्यक्ति में आप इन लक्षणों को देख सकते हैं जिसमें आंख और नाक के नीचे लाल रंग पडना और उन में दर्द होना होता है। बुखार आना, खांसी, सिर दर्द होना, सांस लेने में समस्या, खून की उल्टी, मानसिक स्वास्थ्य पर असर, देखने में दिक्कत, दांतों में भी दर्द और छाती में दर्द आदि होना इस गंभीर बीमारी के लक्षण हैं। किसी भी व्यक्ति में ऐसे लक्षण सामने आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर लें।
गीले सतह पर पाया जाता है यह फंगस
डॉक्टरों के मुताबिक यह फंगल इन्फेक्शन कोविड-19 की बीमारी में पाया जा रहा है। यह म्यूकर नाम का फंगस के कारण होता है जो गीली सतह पर पाया जाता है। हालांकि हम इस पर लगातार नजर बनाए रखे हुए हैं।
किन मरीजों को है अधिक खतरा ?
ब्लैक फंगस का खतरा उन मरीजों को ज्यादा है जो मरीज अनियंत्रित डायबिटीज के शिकार हैं या जिसका शरीर बीमारी से लड़ने में उतना कारगर नहीं है जितना होना चाहिए। इन मरीजों के साथ ही कमजोर इम्यूनिटी और लंबे समय से स्टेरॉइड लेने वाले मरीजों में भी ब्लैक फंगस का जोखिम ज्यादा है।
म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस में क्या न करें
-सबसे पहले फंगस इंफेक्शन को लेकर जरूरी टेस्ट करवाने में देरी ना करें।
-किसी भी तरह के अलर्ट को नजरअंदाज ना करें।
-यदि आपको कोरोना हुआ है तो बंद नाक को महज जुखाम मानकर हल्के में ना लें।
इस बीमारी से बचने के उपाय
गंभीर होती जा रही ब्लैक अंगस नामक जी डिजीज से बचने का उपाय अभी फिलहाल यही है कि आप खुद की सेफ्टी रखें और कोर्णाक लिया डायबिटीज से पीड़ित मरीजों का विशेष ख्याल रखें।
-कोविड-19 से डिस्चार्ज होने के बाद ब्लड ग्लूकोस लेवल लगातार चेक करते रहें।
-स्टेरॉयड का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर उचित समय से लें।
-ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान क्लीन स्टाइल वाटर का ही उपयोग करें।
-ब्लैक फंगल लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाइयां ले।
-डायबिटीज का नियंत्रण इस बीमारी से बचने का कारगर उपाय है।
इन लक्षणों के देखने पर डॉक्टर की सलाह से कुछ सर्जरी प्रक्रिया से गुजर कर शुरुआती दौर में एंटीफंगल थेरेपी शुरू कर दी जाए तो इससे भी मरीज की जान को बचाया जा सकता है। इन सभी उपायों का सही से उपयोग करके ब्लैक फंगस डिजीज को कुछ हद तक रोका जा सकता है। यह एक गंभीर बढ़ती जा रही है बीमारी है जिसे आप भूल कर भी हल्के में ना लें।