महज़ 18 वर्ष की ग्रेटा थनबर्ग पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली पर्यावरण एक्टिविस्ट हैं, जिनको सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध मिली। थनबर्ग का जन्म 3 जनवरी, 2003 को स्वीडन देश की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ था, उनकी माता एक ओपेरा गायिका हैं जिनका नाम मैलेना एर्नमैन और पिता स्वान्ते थनबर्ग एक अभिनेता हैं। स्वान्ते थनबर्ग नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक, Svante Arrhenius के वंशज हैं, सन 1903 में रसायन विज्ञान में उनके अहम् योगदान के लिए उनको नोबेल पुरुस्कार दिया गया था। ग्रीन हाउस प्रभाव पर उन्होंने काम किया था।
बकौल थनबर्ग, उन्होंने सबसे पहले 8 वर्ष की उम्र में पर्यावरण में हो रही समस्याओं के बारे में जाना था, ग्रेटा को Asperger's syndrome नामक बीमारी है, यह एक विकास संबंधी विकार है जिसमे बीमार व्यक्ति बहुत गुस्सैल होता है, ग्रेटा ने इसे एक उपहार के रूप में वर्णित किया है और कहा कि अलग होना एक "महाशक्ति" है।
मई 2018 में जब ग्रेटा मात्र 15 साल की थी तो उन्होंने एक स्थानीय समाचार पत्र द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन पर निबंध लिखा, जिसमे ग्रेटा को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।
स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट
अगस्त 2018 में ग्रेटा थनबर्ग ने स्वीडिश संसद के बाहर धरना प्रदर्शन किया, जिसमे मांग रखी कि स्वीडिश सरकार 2015 में पेरिस में "पेरिस जलवायु समझौता" के अंतर्गत कार्बन उत्सृजन लक्ष्य को पूरा करे। इस हड़ताल में ग्रेटा ने एक हाथ से लिखे साइन बोर्ड में लिखा "स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट" और सभी देशों के छात्रों को इस कैंपेन में आने का आवाहन किया। उन्होंने मांग रखी कि छात्र हर शुक्रवार को स्कूल से हड़ताल करें इसे उन्होंने "फ्राइडे फ़ॉर फ्यूचर" का नाम दिया।
यह विरोध सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और उसके कारण इस विरोध के समर्थन में वृद्धि हुई, दुनिया भर में हड़ताल होनी शुरू हो गयी, हैशटैग #FridaysForFuture पूरे सोशल मीडिया में छाने लगा। इस कैंपेन में कई देशों के छात्रों ने हिस्सा लिया, जिसमे मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूके, बेल्जियम, अमेरिका और जापान सहित अन्य देश थे। ग्रेटा ने यूरोप में ट्रेन से यात्रा करके अलग अलग जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
संयुक्त राष्ट्र में भाषण
ग्रेटा ने जलवायु सम्मेलनों में भाग लेने और दुनिया भर के छात्र विरोधों में शामिल होने के लिए, व अपना अभियान को जारी रखने के लिए 2019 में स्कूल को एक ब्रेक दिया है। जनवरी 2019 में, ग्रेटा को दावोस में विश्व आर्थिक मंच में आमंत्रित किया गया, जहां ग्रेटा के भाषणों ने दुनिया भर में प्रभाव डाला। ग्रेटा ने स्टॉकहोम, हेलसिंकी, ब्रुसेल्स और लंदन में जलवायु सम्मेलनों में जलवायु परिवर्तन के बारे में बात की। सितम्बर 2019 में ग्रेटा को UN क्लाइमेट कांफ्रेंस में भाग लेने न्यूयॉर्क जाना था, ग्रेटा का मानना था कि हवाईजहाज़ से ज्यादा प्रदूषण होता है, इसलिए ग्रेटा ने रेसिंग यॉट से यह यात्रा 2 हफ्ते में पूरी की।
ग्रेटा थनबर्ग जब न्यूयॉर्क पहुंची तो विश्व भर के लोगों ने समर्थन दिया, जहां उन्होंने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से निपटने में विफल रहने के लिए विश्व के सभी पर अपनी पीढ़ी को धोखा देने का आरोप लगाया। उनके भाषण "आपकी हिम्मत कैसे हुई?" ने लोगों पर गहरा प्रभाव डाला और वैश्विक दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा: "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? मुझे यहाँ नहीं होना चाहिए। मुझे समुद्र के दूसरी तरफ स्कूल में होना चाहिए, फिर भी आप युवा लोग हमारे पास यहां उम्मीद के साथ आए हैं।। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?"
ग्रेटा का कहना है कि दुनिया भर में बड़ी सरकारें और व्यवसाय कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के लिए जल्दी से आगे नहीं बढ़ रहे हैं वह स्वयं कम कार्बन वाला जीवन जीती हैं - वह शाकाहारी हैं, और कार्बन पदचिह्न के कारण हवाई यात्रा पसंद नहीं करती हैं। उन्हें टाइम पत्रिका द्वारा दुनिया की सबसे प्रभावशाली किशोरियों में से एक नामित किया गया है। ग्रेटा के परिवार ने भी अपनी जीवन शैली में बदलाव किया है।
परन्तु उनको विश्व के बड़े नेताओं ने उनकी तीक्ष्ण आलोचना भी की है। उनके भाषण के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उनको नसीहत दी कि उनको अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना सीखना चाहिए। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उनको "बेचारी व सही सूचना से वंचित" बताया तो वहीँ अमेरिका के ट्रेजरी सचिव स्टीवन मेनुचिन ने ग्रेटा के निवेशकों को व्याख्यान देने से पहले उनको दूर जाने और अर्थशास्त्र का अध्ययन करने के लिए कहा था।