Zoom video calling can cause mental fatigue
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जूम वीडियो कॉलिंग का प्रयोग करने से हो सकती है यह मानसिक परेशानी, जानिए पूरी डिटेल्स

कोरोना महामारी के दौरान अधिकतर लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे। हालांकि अभी तक भी लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के द्वारा ही अपने  ज्यादातर काम कर रहे हैं। इसमें ऑफिस मीटिंग हो या सामान्य सी वीडियो कॉल इसके लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने ही बेहतर सुविधा उपलब्ध करवाई है। अधिक समय तक होने वाली जूम मीटिंग या वीडियो कॉल भी मानसिक थकान का कारण बनने लगी हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के में हुए एक शोध में यह पता चला है कि इस तरह के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप और वीडियो कॉल करना एक मानसिक रूप से थका देने वाला विचार है तथा इस मानसिक थकान को 'जूम फटीग' (zoom fatigue) नाम दिया गया है।


सदियों पहले देखा गया सपना हुआ सच

दरअसल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक दूसरे से बात करने का सपना कई सदियों पहले देखा गया था परंतु अब यह एक जरूरत बन गया है। महामारी के दौरान से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करना दिनचर्या में शामिल हो गया है। डॉक्टर से परामर्श लेना हो या बच्चों की पढ़ाई हो सभी तरह के कार्य वीडियो कॉल पर ही पूरे हो रहे हैं। एप्पल फेसटाइम और स्काइपी के रूप में पहले पुराने कुछ सालों से यह सुविधा उपलब्ध थी परंतु इसका उपयोग ज्यादा नहीं होता था। अब कई लाखों लोग अपना एक पूरा दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कैमरे के सामने बिताने लगे हैं जिसमें एक समय पर कई सारे लोग हमें देखते हैं। इससे 'जूम फटीग' (zoom fatigue) नामक समस्या का पता चला है। दरअसल कई सारे लोगों द्वारा वीडियो कॉल या मीटिंग के बाद एक विभिन्न प्रकार की थकावट महसूस करने की शिकायत की गई थी। इसका अंदाजा तब लगाया गया जब शोधकर्ताओं द्वारा यह सोचा गया कि कुछ घंटे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बात करने की बजाय यदि आमने-सामने बैठ कर बात की जाए तो इस प्रकार की थकावट महसूस नहीं होती जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करने के बाद होती है। इसके कई कारण हो सकते हैं।


साइकोलॉजिकल इफेक्ट्स हैं इस परेशानी के कारण 


कई देर तक एक ही पोजीशन में स्थिर होकर बैठना

सभी लोग अधिकतर जूम वीडियो कॉलिंग के दौरान एक सीट पर स्थित होकर और अनुशासन के साथ बैठते हैं तथा संवाद करते हैं परंतु देखा जाए तो मानव के स्वभाव और दिमाग के अनुसार यह बिल्कुल भी प्राकृतिक नहीं है। जिस वजह से यह अनकंफरटेबल लगता है। दरअसल बहुत ज्यादा समय तक बिना हिले-डुले एक ही जगह पर स्थिर बैठे रहने से शरीर थक जाता है। वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं कि उठने बैठने और चारों ओर उठकर घूमने से न्यूरॉन्स ज्यादा सक्रिय होते हैं। इससे जब भी लोग किसी भी कार्य को करते हैं तो उसमें उनकी परफॉर्मेंस बेहतर होती जाती है। इसलिए देर तक एक ही अवस्था में बैठे रहने से भी इस तरह की मानसिक परेशानी हो सकती है।


आई कांटेक्ट करीब से होना

दरअसल वीडियो कम्युनिकेशन में आई कांटेक्ट बहुत ही नजदीक से होता है। जो कि स्वाभाविक तौर पर नेचुरल नहीं है। गौरतलब है कि वीडियो कॉल के दौरान आंखों का सीधा संपर्क स्क्रीन पर दिखने वाले चेहरों से होता है। इसमें कई सारे चेहरे एक साथ दिखाई देते हैं। जूम चैट पर हर कोई व्यक्ति स्क्रीन पर लगातार अपने नजर बनाए हुए रखता है। जो मनुष्य के दिमाग के लिए सहज नहीं होता और इससे थकान महसूस होने लगती है। इस कारण से भी जूम फटीग जैसी मानसिक परेशानी होने की संभावना बढ़ जाती है।


अपने ही चेहरे को देखकर थकान  होना

स्वयं को दिन में बहुत बार में शीशे में देखना और लोगों से वीडियो कॉलिंग के दौरान बात करना दोनों बातें कहीं से सामान लगती हैं परंतु इन में समानता नहीं बल्कि बहुत बड़ा अंतर है। एक शोध से यह बात सामने आई है कि जब कोई व्यक्ति खुद को लगातार कई समय तक देखता रहता है, तो वह अपने लिए आलोचनात्मक बन जाता है। इस तरह से जब वीडियो चैट पर स्वयं को कोई व्यक्ति देखता है तो वह उसके लिए पकाऊ और तनावपूर्ण हो जाता है। इससे नकारात्मक और भावनात्मक कई सारे बुरे प्रभाव देखने को मिलते हैं। इसलिए जितना हो सके खुद के चेहरे को ज्यादा गौर से ना देखें।


भावनाओं का आदान-प्रदान है आवश्यक

गौरतलब है कि जब भी हम किसी से आमने-सामने बात कर रहे होते हैं तो इसमें भावनाओं का आदान-प्रदान आसानी से हो जाता है। हमारे द्वारा कही गई बात का हमें तुरंत रिएक्शन मिल जाता है और हम दूसरों की भावनाओं को भी समझ जाते हैं। परंतु वीडियो कॉलिंग में ऐसा संभव नहीं है। दरअसल मनुष्य का दिमाग आमने-सामने की बात को समझने और व्यक्ति से जुड़े व्यवहार को भांपने के लिए अभ्यस्त हो चुका है। इस बारे में सोचने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान बहुत कुछ सोच कर और तोल-मोल कर बोलना पड़ता है। वहां कैजुअल रिमार्क्स के लिए जगह ही नहीं है। इस वजह से इंसान का दिमाग थकावट महसूस करता है। दूसरी ओर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान बार-बार इशारों में और सिर हिला कर अपनी सहमति और असहमति को दिखाना आवश्यक है। इसके लिए मानसिक रूप से दिमाग की अधिक कैलोरी खर्च हो जाती हैं और दिमाग पर दबाव बढ़ जाता है।  इस कारण से भी जूम फटीग होने की संभावना बढ़ जाती है।


एक साथ कई चेहरे देखने से भी हो सकती है थकावट

जूम मीटिंग या फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान एक साथ कई चेहरे एक ही स्क्रीन पर दिखाई देते हैं। इन सभी चीजों को एक साथ देखने से भी दिमाग को थकान हो जाती है। क्योंकि इससे दिमाग को इस सिचुएशन को समझने में परेशानी होती है। यह दिमाग के लिए एक ऐसी सिचुएशन बन जाती है जब कोई व्यक्ति बहस झगड़ा या लड़ाई कर रहा होता है। उसमें भी दिमाग नहीं समझ पाता है कि यह किस प्रकार की सिचुएशन है लेकिन वीडियो  कान्फ्रेंसिंग के दौरान दिमाग को घंटों तक ऐसे ही सिचुएशन का सामना करना पड़ता है। इससे उसे थकावट हो जाती है और यह मानसिक रूप से होने वाली परेशानी का  रूप ले लेता है।


कर सकते हैं ये उपाय

  • जूम मीटिंग यह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होने वाले वाली मानसिक परेशानी से निपटा जा सकता है। इसके लिए मीटिंग के दौरान कुछ बातों को फॉलो करना आवश्यक है।
  • सबसे पहले जूम एप पर यदि जरूरत ना हो तो वीडियो को ऑन ना करें। वीडियो ऑफ रखें केवल ऑडियो में ही आप बात कर सकते हैं। इससे आपकी आंखों को आराम भी मिलेगा।
  • यदि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कई सारे चेहरे एक साथ स्क्रीन पर दिखाई दे रहे हों तो उन्हें छोटा करने के लिए विंडो को छोटे आकार का कर दें और स्क्रीन से उचित दूरी बनाए रखें।
  • अपना चेहरा लगातार देखने की समस्या को खत्म करने के लिए चैट विंडो में अपना चेहरा छिपाकर चैट करें। इससे स्वयं के लिए नकारात्मकता कम होने लगती है।
  • एक ही जगह पर देर तक बैठे रहने की समस्या से निजात पाने के लिए अपने और स्क्रीन के बीच गैप रखकर बैठें। यदि आप अपने लैपटॉप का प्रयोग करते हैं तो वहां अलग से कीबोर्ड लगाकर ही कार्य करें।
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए किसी ऐसे ऐसी जगह का चयन करें जहां आप आसानी से घूम सकते हैं। जैसे कि छत, बरामदा या कोई बंद कमरा आदि।
  • अच्छे संप्रेषण के लिए एक बंद कमरे में स्वयं को ऑडियो मोड में रखें और इशारों में अपनी सहमति जताने की बजाय बोलकर ही प्रतिक्रिया दें।

डिस्क्लेमर: यह टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं, इन्हे किसी डॉक्टर या फिर स्वस्थ्य स्पेशलिस्ट की सलाह के तौर पर न लें, बिमारी या किसी संक्रमण की स्थिति में डॉक्टर की सलाह से ही अपना इलाज करवाएं।

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