चंद्रमा पर पहला कदम रखने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग के बारे में तो आप सभी जानते होंगे, पर क्या आप ये जानते हैं कि वे नौसेना ऑफिसर, पायलट, एरोस्पेस इंजीनियर तथा एक प्रोफेसर भी रह चुके थे।
Neil Armstrong in Korean War से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं जिनके बारे में आप सभी अंजान हैं। आइए आपको इनसे अवगत करवाते हैं और विस्तार से आर्मस्ट्रॉन्ग के बारे में जानते हैं.....
जन्म तथा प्रारंभिक शिक्षा:
नील आर्मस्ट्रॉन्ग का जन्म अमेरिका के ओहियो प्रान्त के वापाकोनेता में 5 अगस्त 1930 को हुआ था। इनके पिता स्टीफन आर्मस्ट्रांग ओहियो सरकार के लिए काम करने वाले ऑडिटर थे और इनकी माता का नाम वायला लुई एंजेला था। ओहियो के अनेक कस्बों में पिता के स्थानांतरण की वजह से नील की रुचि हवाई उड़ानों में बढ़ने लगी। मात्र 5 वर्ष की आयु में 20 जून 1936 को पिता के साथ वारेन नाम की जगह पर उन्हें पहली हवाई जहाज यात्रा का अनुभव हुआ।
अपने 16 वें जन्मदिन पर नील को फ्लाइट सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ और उसी वर्ष अगस्त में उन्होंने अपनी पहली लोकल उड़ान भरी थी।
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नेवी में कार्य:
नौसेना का बुलावा मिलने पर नील ने 26 जनवरी 1949 से पेंसकोली नेवी एयर स्टेशन में 18 महीने की ट्रेनिंग ली और 20 वर्ष की उम्र में उन्हें नौसेना पायलट का दर्जा मिल गया।
फ्लीट एयरक्राफ्ट सर्विस स्क्वार्डन 7 में सान डियागों में नौसेना पायलट के रूप में उनकी पहली तैनाती हुई।
उन्होंने कोरिया युद्ध में सक्रिय भूमिका अदा करते हुए नेवी अधिकारी के रूप में भी अपनी सेवाएं दी।
कोरिया युद्ध:
21 अगस्त 1941 को युद्ध के दौरान उड़ान का पहला अवसर उन्हें प्राप्त हुआ। 5 सितम्बर को पहली सशस्त्र उड़ान भरी।
इस युद्ध में उन्होंने 78 मिशनों में उड़ान भरी और 121 घण्टे हवा में रहे। इसके लिए उन्हें एयर मेडल (पहले 20 मिशन के लिए), गोल्ड स्टार (अगले 20 मिशन के लिए) तथा कोरियन सर्विस मेडल मिला।
22 वर्ष में उन्होंने नौसेना छोड़ दी और संयुक्त राज्य नौसेना रिज़र्व में लेफ्टिनेंट बने। यहाँ से वे 1960 में सेवनिवृत्त हुए।
नौसेना के पश्च्यात:
नौसेना के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और पुरुडु यूनिवर्सिटी से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
आगे 1970 में परास्नातक की उपाधि ऐरोस्पेस इंजीनियरिंग में साउथ केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से प्राप्त की और कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की डिग्रियां प्राप्त की।
एस्ट्रोनॉट के रूप में:
आर्मस्ट्रॉन्ग को लोग चांद पर प्रथम कदम रखने वाले खगोलयात्री के रूप में जानते हैं इससे पहले भी वे यात्रा कर चुके थे जो कि जेमिनी अभियान के दौरान की गई थी।
अपोलो 11 अभियान के तहत 1961 में पहली बार चंद्रमा पर मानव सहित एक यान उतरा था और इस टीम के कमांडर नील आर्मस्ट्रांग थे। इनके साथ चन्द्रमा पर उतरने वाले दूसरे व्यक्ति बज एल्ट्रीन थे तथा चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाते हुए मुख्य यान में बैठे रहने वाले व्यक्ति माइकल कॉलिंस थे।
इस बड़ी उपलब्धि के लिए इन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन के हाथों प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया।
सन 1978 में इन्हें कांग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर और 2001 में उनके साथियों को कांग्रेसनल गोल्ड मेडल दिया गया।
मृत्यु:
24 अगस्त 2012 को 82 वर्ष की उम्र में बाईपास सर्जरी के बाद इनकी मृत्यु हो गयी।
आर्मस्ट्रॉन्ग 200 से अधिक विमानों को उड़ाने की काबिलियत रखते थे। उन्होंने चाँद पर क़दम रखने के बाद 2.25 घंटे की स्पेस वॉक भी की थी। उन्होंने मनुष्य को चंद्रमा से जुड़ी भ्रांतियों से अवगत करवाया और भविष्य के अभियानों के लिए आधार तय किया।