अपने इस लेख के माध्यम से आज हम भारतीय इतिहास की सात प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं से आपको अवगत कराएंगे। इसके लिये सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि प्राकृतिक आपदा किसे कहते हैं? तथा भारत में कौन-कौन सी और कैसी आपदाओं का प्रभाव पड़ता है?
प्राकृतिक आपदा अर्थात प्रकृति द्वारा निर्मित वह विपत्ति जो मानव जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं प्राकृतिक आपदा कहलाती है। प्राकृतिक आपदाओं पर मानव का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है और नहीं प्राकृतिक आपदा के आने का पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है। प्राकृतिक आपदा से भारी मात्रा में जन धन की हानि होती है और धरती पर निवास कर रही अन्य जीव सृष्टि का भी नाश होता है।
प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार- तूफान, भूकंप,हिमस्खलन, ज्वालामुखी, हीटवेव, सूखा, भू स्खलन, जंगल की आग,बर्फानी तूफान,बाढ़ आदि। 7 Major Natural Disasters
1. महान बंगाल अकाल 1770
1770 के दशक में बंगाल का अकाल इतिहास का एक भीषण अकाल माना जाता है जिसमें गंगा के मैदान का निचला भाग वर्तमान बिहार और बंगाल बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। इस अकाल में लगभग एक करोड़ लोग मर गए।
अनगिनत इतिहासकारों अर्थशास्त्रियों तथा शोधकर्ताओं ने इस आपदा को मानव निर्मित बताया और कई कारणों के संयोजन को इसके लिए जिम्मेदार बताया। जबकि 1770 मैं बंगाल में थोड़ी फसल के खराब होने, तूफान से राज्य के कई हिस्सों और खड़ी फसलों को नुकसान हुआ। क्षेत्र में फफुंदीय संक्रमण से फसल खराब हो गई जिसने अकाल में योगदान दिया ।उस समय भारत में अंग्रेजी शासन विद्यमान था अंग्रेजी शासन द्वारा सहायता प्रदान करने से मना कर दिया जो एक त्रासदी का कारण बन गया।
2.1999 में ओडिसा का सुपर साइक्लोन
वर्ष 1999 का सुपर साइक्लोन उतरी हिंद महासागर में सबसे खतरनाक उष्णकटिबंधीय चक्रवात था । जिसने भारत, बांग्लादेश, म्यांमार थाईलैंड आदि देशों को बुरी तरह से प्रभावित किया था। जिसकी गति 260km प्रति घण्टा थी । इस चक्रवात में लगभग 15,000 लोगों की मृत्यु 1.67 मिलयन लोग बेघर और 2.75 मिलयन घर नष्ट हो गए थे।
3. गुजरात भूकंप 2001
26 जनवरी 2001 को संपूर्ण भारत वर्ष अपना 51 वा गणतंत्र दिवस मना रहा था। अचानक गुजरात से कच्छ के भचाऊ तालुका में तीव्र भूकंप आया। जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.6 से लेकर 7.9 के बीच थी जो 120 सेकंड तक चला। इस आपदा ने कच्छ, अहमदाबाद, गांधीनगर सूरत, सुरेंद्रनगर, राजकोट, जामनगर क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया। इस आपदा में लगभग 20,00 लोगों की मौत 167,000 घायल और लगभग 400,000 लोग बेघर हो गए।
4. हिन्द महासागर सुनामी 2004
इतिहास में वर्ष 2004 को वह मनहूस दिल दहलाने वाला दिन माना जाता है जिसने भारत सहित विश्व के 12 देशों को प्रभावित कर 2.3 लाख से अधिक लोगों को मार डाला था। इस सुनामी में मुख्यतः दक्षिणी भारत और अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्ष्यद्वीप इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि देशों को व्यापक रूप से प्रभावित किया। यह घातक सुनामी इंडोनेशिया के सुमात्रा के पश्चिमी तट पर शुरू हुई थी जिसकी तीव्रता 9.1 और 9.3 के बीच 10 मिनट तक जारी रही थी जिसे दुनिया का सबसे बड़ा भूकंप का दर्जा प्रदान किया गया है।
5. बिहार आपदा 2007
बिहार की बाढ़ आपदा 2007 को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बिहार की 'जीवित स्मृति' में सबसे खराब बाढ़ के रूप में वर्णित किया गया है। 30 साल के मासिक औसत से अधिक वर्षा बिहार में 2007 में हुई थी। इस बाढ़ ने बिहार के 19 जिलों के साथ 10 मिलियन लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया था। लगभग 29,000 घर नष्ट हो गए और 44,000 घर छतिग्रस्त हो गए । 4822 गांव और एक करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि इस बाढ़ से नष्ट हो गई और 1287 लोगों की जान चली गई।
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6. कश्मीर बाढ़ आपदा 2014
6 September 2014 को भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में मूसलाधार मानसूनी वर्षा के कारण भयानक बाढ़ आई। बाढ़ के साथ-साथ भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आने लगी झेलम नदी का पानी बढ़ने के कारण लगभग 450 गांव जलमग्न हो गए । यह त्रासदी केवल जम्मू कश्मीर तक ही सीमित नहीं थी अपितु पाकिस्तानी नियंत्रण वाले आजाद कश्मीर गिलगित ब्लास्टिस्तान ,पंजाब प्रांतों में भी इसका व्यापक असर दिखा। इसमें 200 भारत तथा 190 पाकिस्तानी लोगों ने अपनी जान गवा दी थी।
हुआ यह था कि 5 सितंबर को श्रीनगर के झेलम नदी का जलस्तर 22.40 फीट हो गया था जो कि खतरे के निशान से 4.40 फीट अधिक है चिनाब नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी जिसके कारण पाकिस्तान के सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए।
7. उत्तराखंड फ्लैश फ्लड 2013
उत्तराखंड राज्य आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील राज्य रहा है। वर्ष 2013 में 13-16 जून के बीच उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम में बाढ़ ने भयानक त्रासदी मचायी।
दरअसल 13-16 जून के बीच उत्तराखंड में भारी बारिश हुई तेज बारिश का पानी पहाड़ों से होकर सीधे केदारनाथ मंदिर में आ गया जिसमें हजारों लोग बह गये करीब 6000 लोगों की जान चली गई लाखों लोग बेघर हो गए और कई लोग अपनों से बिछड़ गये। इस बाढ़ ने उत्तराखंड के 13 जिलों में से 12 जिलों को व्यापक रूप से प्रभावित किया। जिसमें 4 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुये रुद्रप्रयाग ,उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ ,और चमोली।
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