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नीरजा भनोट की वीरता की दास्तां | The Story of Neerja Bhanot

Neerja Bhanot सबसे कम उम्र की पहली महिला थी  जिन्हें  भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।


इनके बेबाक हौसले की  जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है, अपनी जान को न्योछावर करने वाली 359 लोगों को बचाने वाली, यह नारी शक्ति की सबसे बड़ी मिसाल है। The Story of Neerja Bhanot


आइए जानते हैं नीरजा भनोट के बेबाक हौसले की कहानी 


Neerja Bhanot का जन्म 7 सितंबर 1963 में भारत के जाने-माने शहर चंडीगढ़ मे हुआ था ।इनके पिता का नाम श्री हरीश भनोट था ,जो कि हिंदुस्तान टाइम्स में जनरलिस्ट थे। वहीं इनकी मां रमा देवी क्वीन ऑफ हाउस थी ,नीरजा भनोट के दो भाई हैं, जिनका नाम अखिल भनोट  व अनीश भनोट है । भनोट परिवार कुछ समय पश्चात चंडीगढ़ से मुंबई शिफ्ट हो गया था।


शिक्षा 

Neerja Bhanot की प्रारंभिक शिक्षा चंडीगढ़ के सेक्रेड हार्ट  सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हुई थी ,व सेकेंडरी एजुकेशन इनकी बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से   हुई थी, नीरजा ने  ग्रेजुएशन सेंट जेवियरस कॉलेज से की, यही से नीरजा ने अपने मॉडलिंग करियर की शुरुआत करी ।


वैवाहिक जीवन

Neerja Bhanot की शादी वर्ष 1985 में एक बिजनेसमैन से हुई थी, यह विवाह अरेंज मैरिज हुआ था। शादी करने के पश्चात नीरजा अपने पति के साथ दोहा चली गई, वहां जाकर नीरजा के पति ने नीरजा के ऊपर दहेज का दबाव बनाना शुरू कर दिया, परंतु नीरजा इस दबाव के नीचे दबी नहीं बल्कि, अपने पति को छोड़कर अपने पिता के पास मुंबई चली आई। यहां से नीरजा ने पीछे मुड़कर ना देखने का फैसला लिया, व अपने करियर को आगे बढ़ाने का दृढ़ निश्चय किया।


करियर 

नीरजा अपनी मॉडलिंग तो कर ही रही थी साथ में नीरजा ने पैन एम 73 में एयर होस्टेस बनने की ठानी और उन्हें यहां पर जॉब मिल गई।


नीरजा का अदम्य साहस के सब हुए कायल

मुंबई से न्यूयॉर्क को रवाना हुई फ्लाइट में 380 पैसेंजर थे व  13 क्रु मेंबर्स थे, जिनमें Neerja Bhanot भी शामिल थी।

5 सितंबर 1986 का यह घटनाक्रम है, जब पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट में पैन एम 73 उड़ान भरने को तैयार था ,सभी यात्री अपनी मंजिल की ओर अग्रसारित थे, कि इतने में चार आतंकी जिनका नाम -  जमाल  सईद अब्दुल  रहीम, मोहम्मद अब्दुल्ला खलील हुसैन, मोहम्मद हाफिज अल तुर्की ,मोहम्मद अल मुनवर, जो की 'अबु निदल संगठन' के सदस्य थे, इन आतंकियों ने पैन एम 73  को हाईजैक कर लिया था।

Neerja Bhanot इस फ्लाइट में केबिन क्रु की सीनियर पर्सर थी। नीरजा भनोट ने फ्लाइट के 3 सदस्यो- पायलट ,सहायक पायलट, और फ्लाइट इंजीनियर को आगाह किया की प्लेन हाईजैक हो चुका है, इन तीनो सदस्यों ने यह सुनते ही कॉकपिट से तुरंत बाहर निकल गए ,परंतु नीरजा ने यह कदम हरगिज़ नहीं उठाया, नीरजा भनोट ने पूरी फ्लाइट कि रक्षा की जिम्मेदारी अपने  हाथ पर ले ली।


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जो चार आतंकी फ्लाइट को हाईजैक किए हुए थे, उन्होने नीरजा को आदेश दिया कि वह 43 अमेरिकन पासपोर्ट उन्हें सौंप दें, ताकि वह आतंकी  43 अमेरिकन लोगों को पकड़ कर उनकी हवा में चिथड़े उड़ा दे, परंतु नीरजा ने अपनी बहादुरी व बुद्धिमता का प्रयोग करते हुए। अमेरिकन, पाकिस्तानी, इंडियन पासपोर्ट मिक्स करके छुपा दिए, जिससे वह आतंकी अमेरिकन को पहचान नहीं पाए। परंतु यह कारवां 17 घंटे तक चला 17 घंटे के पश्चात फ्लाइट में आतंकी समूह ने गोलीबारी शुरू कर दी और जानबूझकर लोगों की हत्याएं करने लगे, नीरजा भनोट ने अपने अदम्य साहस से फ्लाइट की आपातकालीन द्वार को खोल दिया, जिससे पैसेंजर  की जान बच पाई अंत में आतंकियों ने 3 बच्चों पर गोली तान दी नीरजा भनोट ने  उन मासूम बच्चों को बचाने के लिए अपनी जान को दांव पर लगा दिया व आतंकियों ने नीरजा भनोट को गोली से मार दिया, उन्होंने नीरजा के शरीर से उस दिव्य-आत्मा को अलग कर दिया, परंतु नीरजा का यह बलिदान और त्याग विश्व में हमेशा अमर रहेगा।


Neerja Bhanot ने मात्र  23 वर्ष की उम्र में अपनी बहादुरी से 359 लोगों की जान बचाई नीरजा का जन्मदिन उनकी वीरगति से 2 दिन बाद था, अर्थात 7 सितंबर को नीरजा का जन्मदिन था । पर विधाता को कुछ और ही मंजूर था। 

  • नीरजा भनोट को उनकी बहादुरी उनके बेबाक हौसले के लिए दिए गए सम्मान 
  • नीरजा भनोट को मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र ' से सम्मानित किया गया अशोक चक्र से सम्मानित होने वाली नीरजा भनोट सबसे कम उम्र में पाने वाली पहली महिला थी ।
  • नीरजा भनोट की स्मृति में  भारत सरकार ने 2004 में डाक टिकट जारी किए थे।
  • अमेरिका ने नीरजा भनोट को ' जस्टिस  सॉरी क्राइम' से नवाजा ,वही पाकिस्तान ने अपने देश के सर्वोच्च सम्मान 'तमगा ए इंसानियत 'अवार्ड से नीरजा भनोट को उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया।
  • नीरजा भनोट की स्मृति में दिए जाने वाला पुरस्कार -)
  • नीरजा भनोट की याद में नीरजा भनोट के परिवार वालों ने 'नीरजा भनोट पैन एम न्यास नामक संस्था की स्थापना करी जो कि नीरजा भनोट की वीरता व उनके बलिदान के संस्मरण में उन महिलाओं को सम्मानित करती है , जो अपनी हिम्मत व अपने अदम्य साहस से कुप्रथाओं का बहिष्कार करते हुए, समाज को नवचेतना से ओतप्रोत करती है।यह संस्था  उन महिलाओं को ट्रॉफी व 150000 की धनराशि के साथ दिया जाता है ।


नीरजा भनोट की याद में फिल्म


राम माधवानी जी ने इस जीवंत आत्मा का परिचय साल 2016 में आई फिल्म नीरजा से कराया ,इस फिल्म में नीरजा की भूमिका सोनम कपूर ने निभाई है।

इस फिल्म को नीरजा भनोट की अदम्य साहस की कहानी मे फिल्माया गया , इससे पहले नीरजा भनोट को भारत में बहुत ही कम लोग जानते थे, परंतु इस फिल्म के बाद नीरजा भनोट की वीरता को  सब दिल से सलाम करते हैं।

नीरजा भनोट फिल्म जगत से राजेश खन्ना साहब की बहुत बड़ी फैन थी ।

23 वर्ष की छोटी उम्र में ही नीरजा ने पूरे राष्ट्र को अपनी वीरता का कायल बना दिया था। नीरजा एक मिसाल दिया करती थी कि  "साल नहीं, काम जिंदगी को बड़ा बनाती है"।

Neerja Bhanot अपने अदम्य साहस व अपनी वीरता के लिए इस जग में सदैव अमर रहेंगी।

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