विश्वव्यापी कोरोना वायरस आज पूरी दुनिया में विकराल रूप ले चुका है । तमाम प्रयासों के बावजूद भी अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा इसकी वैक्सिन का पता लगाने की कोशिशें सकारात्मक रूप से उपचारात्मक कार्यों को अंजाम नहीं दे पाई है।
Covid -19 को लेकर आये दिन नई रिसर्च सामने आ रही है। एक रिसर्च मैं वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया था कि इस रोग के संक्रमण के खतरे को कम करने का एकमात्र उपाय 6 फुट की सामाजिक दूरी बनाये रखना बताया गया था। लेकिन रिसर्च की इस दुनिया मे हर दिन नए नए रिसर्च होते रहते हैं और अब वैज्ञानिकों का कहना है कि 6 फ़ीट की दूरी के नियम को अपनाकर भी हम जानलेवा बीमारी के संक्रमण में आ सकते हैं।
तो आइए जानते हैं Coronavirus Prevention, इस बीमारी के खतरे को कम करने के लिए कितनी होनी चाहिए एक-दूसरे से दूरी-
लॉस एंजिलिस- एक अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए एक दूसरे से 6 फीट की दूरी बनाने का नियम नाकाफी है। क्योंकि यह जानलेवा वाइरस छींकने या खाँसने से करीब 20 फुट की दूरी तक जा सकता है वैज्ञानिकों ने विभिन्न वातावरण की स्थितियों में खाँसने और छीकने और सांस छोड़ने के दौरान निकलने वाली संक्रामक बूंदो के प्रसार का एक मॉडल तैयार किया है और पाया है कि कोरोना वाइरस सर्दी व नमी वाले मौसम में तीन गुना तक फैल सकता है उनके मुताबिक छींकने और खाँसने के दौरान निकली संक्रामक बूंदे वाइरस को 20 फुट की दूरी तक ले जा सकती है।
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वैज्ञानिकों का मानना है कि छींकने, खाँसने और यहां तक कि सामान्य बातचीत से करीब 40,000 बूंद निकलती है यह बूंदे 100 मीटर दूर तक जा सकती हैं पिछले अध्यनों को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा कि इन बूंदों की वायुगतिकी, गर्मी और पर्यावरण के साथ उनके बदलाव की प्रक्रिया वाइरस के प्रसार की प्रभावशीलता निर्धारित करती है और श्वसन बूंदो के माध्यम को Covid -19 का संचरण मार्ग कम दूरी की बूंदें औऱ लम्बी दूरी के एलोसोल कणों में विभाजित है।
अध्ययन में कहा गया है कि बड़ी बूंदें गुरुत्वाकर्षण के कारण आमतौर पर किसी चीज पर जम जाती है जबकि छोटी बुंदें ऐरोसोल कणों को बनाने के लिए तेजी से वाष्पित हो जाती है ये कण वाइरस ले जाने मैं सक्षम होते हैं और घण्टो तक हवा में घूमते हैं। उनके विश्लेषण के मुताबिक मौसम का प्रभाव हमेशा एक जैसा नही होता । शोध कर्ताओं ने बताया कि कम तापमान और उच्च आद्रता बूंदो के जरिए होने वाले संचरण में मददगार होती है जबकि उच्च तापमान और कम आद्रता छोटे एरोसोल कणों को बनाने में सहायक होता है।
नई ताज़ा रिसर्च ने 6 फुट की इस दूरी के दावे को गलत साबित किया है।
कोरोना वाइरस की अभी तक कोई वैक्सिन ईजाद नहीं हो पाई है दुनिया भर में अब तक लगभग 2.58 k लोग चपेट में आ गए है जबकि 858k की मृत्यु हो चुकी है।
इसके बावजूद भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई देशों ने लॉकडाउन को खोलने का फैसला लिया है ऐसे में अगर लोग नियमों का पालन नहीं करते तो संक्रमण और विनाशकारी रूप ले सकता है। संक्रमण के खतरे को कम करने के लिये वैज्ञानिकों द्वारा ज्ञात जानकारियों और नियमो का पालन करें। अपने स्वास्थ्य की देखभाल करें स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें और Covid-19 सम्बन्धित मानदंडो का पालन कीजिये।